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भोजन में सलाद की महिमा

पश्चिम में खाना किस्तों में खाया जाता है, जिन्हें कोर्स कहा जाता हैं. इस परंपरा में सलाद सबसे पहले भूख खोलनेवाले कोर्स के रूप में पेश किया जाता है. यह चलन हमारे देश में भी विभिन्न दावतों में आम होता जा रहा है, जहां व्यंजनों की संख्या बढ़ाने के लिए तीन-चार प्रकार के सलाद सजाये […]

पश्चिम में खाना किस्तों में खाया जाता है, जिन्हें कोर्स कहा जाता हैं. इस परंपरा में सलाद सबसे पहले भूख खोलनेवाले कोर्स के रूप में पेश किया जाता है. यह चलन हमारे देश में भी विभिन्न दावतों में आम होता जा रहा है, जहां व्यंजनों की संख्या बढ़ाने के लिए तीन-चार प्रकार के सलाद सजाये जाते हैं. इससे भूख भी बढ़ती है और दावत की शान भी.

पुष्पेश पंत
पश्चिम में खाना किस्तों में खाया जाता है, जिन्हें कोर्स कहा जाता हैं. इस परंपरा में सलाद सबसे पहले भूख खोलनेवाले कोर्स के रूप में पेश किया जाता है. यह चलन हमारे देश में भी विभिन्न दावतों में आम होता जा रहा है, जहां व्यंजनों की संख्या बढ़ाने के लिए तीन-चार प्रकार के सलाद सजाये जाते हैं. इससे भूख भी बढ़ती है और दावत की शान भी.कुछ बरस पहले जब महंगाई की मार इस कदर नहीं हुआ करती थी, तब सड़क किनारे सामान्य ढाबों पर भी भोजन के साथ सलाद की प्लेट मुफ्त में ग्राहक को पेश की जाती थी. इस सलाद में प्याज और टमाटर के गोलाकार पतले टुकड़ों के साथ एक-दो हरी मिर्च और आधा-चौथाई नींबू ही यथेष्ठ समझा जाता था.
बड़े रेस्तराओं और घरों में भी सलाद इससे ज्यादा अलग नहीं होता था, मूली-गाजर के साथ खीरे की कुछ फांक भी उसमें दिख जाती थी. मजेदार बात यह है कि इसे हरा सलाद कहा जाता था, जबकि इसमें हरी पत्ती नाममात्र को शायद ही होती थी.अंग्रेजी में जिसे लैटस कहते हैं, उसका हिंदी में अनुवाद सलाद की पत्ती किया जाता था. जाहिर है, इसका रिश्ता अंग्रेज साहबों के खान-पान से ही जोड़ा जाता था. वैसे ही जैसे गोलाकार कम तीखी लाल मूलियों को सलाद की मूली कहा जाता था. जाड़े के मौसम में धूप में फुर्सत में बैठे लोग भले ही नमक व मिर्च-मसाले के साथ ताजा मूली और गाजर तबियत से खाते हैं, पर इसे सलाद का नाम नहीं दिया जाता.
पश्चिम में खाने को धारावाहिक किश्तों में बारी-बारी खाया जाता है. इन किश्तों को कोर्स की संज्ञा दी जाती है. भोजन की उस परंपरा में सलाद सबसे पहले भूख खोलनेवाले कोर्स के रूप में पेश किया जाता है. बीते कुछ अरसे से हिंदुस्तानी दावतों में यह चलन जोरों पर है.
शादी-ब्याह या अन्य आयोजनों की दावतों में व्यंजनों की संख्या बढ़ाने के लिए अनेक तरह के सलादों को सजाकर रखा जाता है. हिंदुस्तानियों के लिए सबसे आम सलाद फलों के टुकड़ों का सलाद यानी फ्रूट सलाद है, जो कस्टर्ड के साथ मिठाई के रूप में खाया-खिलाया जाता है.
विदेशों में अनेक प्रकार के सलाद ताजी सब्जियों, मांस-मछली और अंडों के साथ तैयार किये जाते हैं. कुछ में राजमा, दाल और चावल का इस्तेमाल भी होता है. जो सलाद सबसे ज्यादा मशहूर हैं, उनमें सीजर सलाद, वॉलडॉर्फ सलाद, रसन सलाद, चिकेन सलाद और हवाइयन सलाद आदि आते हैं.
सीजर सलाद का नामकरण एक मशहूर बावर्ची के नाम पर हुआ है, जिन्होंने इसे इजाद किया था. वैसे इसमें इजाद करने जैसा कुछ था नहीं, शेफ सीजर ने हाथ से सलाद की पत्तियों को टुकड़े करके उन पर जैतून के तेल और सेब की ड्रेसिंग छिड़क दी थी. इसमें जोर हरी पत्तियों पर होता था.
वॉलडॉर्फ सलाद होटल के साथ जुड़ा है. इसमें आलू के बड़े-बड़े टुकड़े अखरोट की गिरी और मेयोनेस सॉस के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है. रूसी सलाद में आलू-चुकंदर और पनीर के टुकड़ों के साथ उबले अंडे और सॉसेज या मांस के टुकड़े भी मेयोनेस के साथ मिलाये जाते हैं. इस सलाद को मशहूर हस्तियों ने पहले-पहल वहीं चखा. रूसी सलाद को हल्का-फुल्का संतुलित भोजन भी कहा जा सकता है.
हवाइयन सलाद में उबले या धुंगार से पके मुर्ग के साथ अनानास के टुकड़े भी जरूर होते हैं. चिकेन सलाद कुछ-कुछ देसी चिकेन चाट की तरह होता है, भले ही इसका मसाला हल्का रहता है.
पश्चिमी पाक शास्त्र की पुस्तकों में सेहतमंद भोजन में सलाद का स्थान सबसे ऊपर समझा जाता है और इसे गर्मियों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त भोजन माना जाता है. अब सवाल यह उठता है कि भारत में सलाद का प्रचलन पारंपरिक रूप से क्यों नहीं हुआ? शायद इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि भारत की गर्म और नम आबो-हवा में कच्ची सब्जियां या पहले से पका मांस खाना स्वास्थ के लिए खतरनाक हो सकता था.
भारत के लगभग हर हिस्से में रायते, कचुंबरों और पचड़ियों के अनेक प्रकार खाने को मिलते हैं, जो खाने में सलाद की ही भूमिका निभाते रहे हैं. हाल के दिनों में कुछ मशहूर हस्तीनुमा शेफ इन्हीं के आधार पर नये-नवेले सलाद पेश करके विदेशी ग्राहकों को रिझाने में लगे हैं. इसे कहते हैं रायता फैलाना!
खिचड़ी का सफर
अंग्रेजी में जिसे लैटस कहते हैं, उसका हिंदी अनुवाद सलाद की पत्ती किया जाता था.
विदेशों में अनेक प्रकार के सलाद ताजी सब्जियों, मांस-मछली और अंडों के साथ तैयार किये जाते हैं.
जो सलाद सबसे ज्यादा मशहूर हैं, उनमें सीजर सलाद, वॉलडॉर्फ सलाद, रसन सलाद, चिकेन सलाद, हवाइयन सलाद हैं.
भारत के लगभग हर हिस्से में रायते, कचुंबरों और पचड़ियों के अनेक प्रकार खाने को मिलते हैं, जो खाने में सलाद की ही भूमिका निभाते रहे हैं.
हिंदुस्तानियों के लिए सबसे आम सलाद फ्रूट सलाद है, जो कस्टर्ड के साथ मिठाई के रूप में खाया-खिलाया जाता है.

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