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राजकीय सम्मान के साथ बागुन दा की अंत्येष्टि

चाईबासा : झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जानेवाले और पांच बार सांसद व चार बार विधायक रह चुके बागुन सुंबरुई को शनिवार अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे उनके पैतृक गांव भूता में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गयी. इस दौरान भूता गांव के लोग की आंखें नम हो गयी. इससे पहले […]

चाईबासा : झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जानेवाले और पांच बार सांसद व चार बार विधायक रह चुके बागुन सुंबरुई को शनिवार अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे उनके पैतृक गांव भूता में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गयी. इस दौरान भूता गांव के लोग की आंखें नम हो गयी. इससे पहले परिजनों व गांववालों ने अंतिम दर्शन के लिए बागुन सुंबरुई के पार्थिव शरीर को पूरे भूता गांव का भ्रमण कराया गया. इस दौरान लोग जय बागुन सुंबरुई, बागुन दा अमर रहे…, के नारे लगाते रहे. बागुन दा के शव को आदिवासी रीति-रिवाज के अनुसार उनकी पहली पत्नी स्व दयामति सुंबरुई व दूसरी पत्नी स्व मुक्तिदानी सुंबरुई के बीच में कुसुम पेड़ के नीचे दफनाया गया.

इस दौरान पश्चिमी सिंहभूम जिले के उपायुक्त अरवा राजकमल, एसपी मयूर पटेल कन्हैया लाल, डीएसपी प्रकाश सोय, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, पश्चिमी सिंहभूम के सांसद लक्ष्मण गिलुवा, टीसीसी सदस्य जेबी तुबिद, चक्रधरपुर विधायक शशिभूषण सामड़, पूर्व विधायक बहादुर उरांव, पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता केके शुक्ला, अमरजीत नाथ मिश्रा, समांतो कुमार, रामेश्वर प्रसाद, जितेंद्र सिंह, कमलेश्वर कुमार पांडेय, जगन्नाथपुर के पूर्व विधायक मंगल सिंह बोंगबोगा, चक्रधरपुर के पूर्व विधायक सुखराम उरांव, चाईबासा विधायक दीपक बिरुवा, चंपई सोरेन सहित कई दलों के नेता-कार्यकर्ता उपस्थित थे.
11.30 बजे चाईबासा पहुंचा पार्थिव शरीर : जमशेदपुर से बागुन सुम्बरुई का पार्थिव शरीर सुबह 11.30 बजे चाईबासा लाया गया. चाईबासा पहुंचने पर बागुन सुंबरुई के शव को सीधे टुंगरी बिरूवा पथ स्थित पुत्र हिटलर सुंबरुई के आवास पर ले जाया गया. जहां परिजनों ने बागुन दा को श्रद्धांजलि दी. जिसके आधे घंटे बाद 12 बजे शव को शहीद चौक स्थित कांग्रेस भवन ले जाया गया. यहां भारी संख्या में कांग्रेसियों व चाईबासा शहर के लोगों ने बागुन सुंबरुई को श्रद्धांजलि दी. यहां से बागुन सुंबरुई के शव को सीधे उनके पैतृक गांव भूता ले जाया गया. जहां सूर्यास्त से पूर्व राज्यकीय सम्मान के बाद बागुन सुंबरुई के शव को उनकी पहली और दूसरी पत्नी के बीच में दफना दिया गया.
शव पहुंचते ही दहाड़ मार कर रोया पूरा गांव : बागुन सुम्ब्रई का पार्थिव शरीर दोपहर करीब एक बजे भूता गांव ले जाया गया, जहां के ग्रामीण अपने प्रिय नेता बागुन दा के शव के पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. शव भूता पहुंचते ही भूता गांव का बच्चा-बच्चा दहाड़ मार कर रोने लगा.
दोनों पत्नियों के बीच में दफनाये जाने की बागुन ने जतायी थी इच्छा
बागुन सुंबरुई 72 शादियां करने के लिए भी देशभर में जाने जाते थे. वहीं भूता गांव निवासी किशोरी रजनी सुंडी ने बताया कि बागुन दादा जब भी अपने गांव भूता आते थे. तब हम सब बच्चियां उनसे मजाक में पूछा करते थे. दादा जी आप तो हर वक्त चाईबासा में रहते हैं. फिर मरने के बाद आपको चाईबासा में ही दफनाया जायेगा.
इस पर बागुन दा बच्चियों को जवाब देते हुए कहा करते थे कि जब भी मेरी मौत होगी. मुझे मेरी दोनों पत्नियों के बीच में ही दफना देना. इसी कारण मैंने अपनी दोनों पत्नियों को अगल-बगल दफनाया हैं और बीच में अपने लिए स्थान भी छोड़ा हैं, ताकि मरने के बाद मुझे यहीं दफनाया जाये.
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