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पटना : एक स्पैन के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण में लग रहा 735 टन इस्पात

अनुपम कुमार महात्मा गांधी सेतु : पिछले एक वर्ष से चल रहा है पश्चिमी लेन की कटाई का काम, दो स्पैन का काम पूरा, चार पर तेजी से चल रहा पटना : गांधी सेतु के पश्चिमी लेन की कटाई का काम पिछले एक वर्ष से चल रहा है वहीं, दूसरी ओर हाजीपुर सिरे पर सुपर […]

अनुपम कुमार

महात्मा गांधी सेतु : पिछले एक वर्ष से चल रहा है पश्चिमी लेन की कटाई का काम, दो स्पैन का काम पूरा, चार पर तेजी से चल रहा

पटना : गांधी सेतु के पश्चिमी लेन की कटाई का काम पिछले एक वर्ष से चल रहा है वहीं, दूसरी ओर हाजीपुर सिरे पर सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण भी तेजी से शुरू हो गया है. पिछले 15-20 दिनों से पिलर संख्या दो से आठ तक एक साथ सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण किया जा रहा है.

इनमें से हर स्पैन (दो पिलरों के बीच का 121 मीटर लंबा हिस्सा) के सुपर स्ट्रक्चर में 735 टन इस्पात का इस्तेमाल हो रहा है. दो स्पैन का काम पूरा हो गया है. जबकि, चार पर काम चल रहा है. सभी 47 पिलरों के पश्चिमी लेन की कटाई व सुपर स्ट्रक्चर का निर्माण पूरा कर जून, 2019 तक एक लेन को चालू करने का लक्ष्य रखा गया है. पुल के दोनों लेन के सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण पर 1388 करोड़ खर्च होंगे.

एक स्पैन में लगे हैं 569 स्टील थ्रो ट्रश

गांधी सेतु का पुराना सुपर स्ट्रक्चर कैंटलीवर तकनीक पर आधारित था. इसमें प्री केबल स्ट्रेसिंग के माध्यम से फ्लाइओवर को तने धनुष का रूप दिया गया था. आरंभ में तो यह तकनीक सफल मानी जा रही थी और इस्पात के कम इस्तेमाल के कारण इससे पुल के निर्माण में कम खर्च (केवल 87 करोड़) पड़ा था.

लेकिन हर दिन हजारों ओवर लोडेड ट्रकों व भारी वाहनों के गुजरने के कारण पुल के सुपर स्ट्रक्चर पर इतना दबाव पड़ा कि 20 वर्षों के भीतर ही डेक के अंदर के प्री स्ट्रेसिंग केबल टूटने लगे और हिज बेयरिंग भी घिस गयी. इस अनुभव को देखते हुए गांधी सेतु का नया सुपर स्ट्रक्चर पूरी तरह स्टील का बनाने का निर्णय लिया गया. इसके अंतर्गत बेस में चौड़े स्टील फ्रेम बना कर उसके ऊपर विशाल थ्रो ट्रश लगाये गये हैं. एक स्पैन में 569 स्टील थ्रो ट्रश लगे हैं. अलग-अलग जगह पड़ने वाले दबाव के अनुरूप इनका डिजाइन, आकार और एंगल भी अलग-अलग है.

34 पिलर कट गये, सात पर चल रहा काम

गांधी सेतु के पश्चिमी लेन के 34 पिलर कट गये हैं. इसमें पिलर संख्या एक से 31 तक के सभी पिलर शामिल हैं. साथ ही, पिलर संख्या 35, 36 और 44 भी कट गये हैं. सात पिलरों को काटने का काम चल रहा है, जिसमें पिलर संख्या 32, 37, 38, 40, 41, 42 और 43 शामिल हैं. इसमें पिलरों संख्या 42 के 40 में से 22 सिग्मेंट, 37 के 20 सिग्मेंट और पिलर संख्या 40 व 41 के 16-16 सिग्मेंट कट चुके हैं.

छह पिलरों में काम शुरू होना बाकी

गांधी सेतु के छह पिलरों में काम शुरू होना बाकी है, जिसमें पिलर संख्या 33, 34, 39, 45, 46 व 47 शामिल हैं. ये पिलर बीच नदी में स्थित हैं, जिनके सुपर स्ट्रक्चर के टुकड़ों को बार्ज से संग्रहित किया जायेगा. दो बार्ज होने के कारण नदी के बीच में स्थित केवल दो पिलरों की कटाई का काम एक बार में हो पाता है. इसलिए इनके सुपर स्ट्रक्चर की कटाई में देरी हो रही है.

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