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…तो इसलिए भारत ने चीन से लिया है पंगा, पढ़ें सुषमा स्वराज ने सदन में क्या कहा

नयी दिल्ली : सिक्किम सीमा पर चीन के साथ जारी विवाद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को संसद में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने राज्यसभा में बताया कि आखिर भारत को किन परिस्थितियों में चीन के खिलाफ सख्‍त रुख अखतियार करना पड़ा? विदेश मंत्री से सदन में पहला सवाल कांग्रेस सांसद छाया […]

नयी दिल्ली : सिक्किम सीमा पर चीन के साथ जारी विवाद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को संसद में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने राज्यसभा में बताया कि आखिर भारत को किन परिस्थितियों में चीन के खिलाफ सख्‍त रुख अखतियार करना पड़ा? विदेश मंत्री से सदन में पहला सवाल कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने पूछा. उन्होंने सवाल किया कि क्या चीन ने हिंद महासागर में अपनी पनडुब्बियों को तैनात किया है और क्या वह भारत की घेराबंदी करने का प्रयास कर रहा है ? मामले को लेकर सरकार क्या कर रही है?

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छाया के सवाल का जवाब देते हुए सुषमा ने कहा कि भारत की स्थिति दक्षिण चीन सागर के संबंध में बिल्कुल साफ है. वहां फ्रीडम ऑफ नेविगशन होनी चाहिए. किसी तरह से भी व्यापार को बाधित बनाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए. सुषमा ने हिंद महासागर में चीन के भारत को घेरने पर कहा कि ऐसी खबरें आयी थीं कि चीन समुद्री ताकत बढ़ाने की ओर अग्रसर है. यही कारण रहा है कि उसने समुद्री सीमाओं के आसपास सक्रियता बढ़ा दी है, लेकिन भारत अपनी सुरक्षा के बारे में बहुत सजग है, इसलिए उसे कोई घेर नहीं सकता.

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इसके बाद समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने विदेश मंत्री से प्रश्‍न किया कि चीन और भारत के बीच मौजूदा तनाव का कारण क्या है और चीन क्या -क्या मांग कर रहा है? उन्होंने पूछा कि चीन क्या-क्या विरोध कर रहा है और भारत का इस पर क्या स्टैंड है? दुनिया के कौन-कौन से देश भारत के साथ इस मुद्दे पर साथ हैं? क्या भारत अब भी पंचशील के सिद्धांत का पालन कर रहा है?

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नरेश अग्रवाल के सवाल का जवाब देते हुए सुषमा ने साफ कहा कि देश अब भी पंचशील सिद्धांत पर कायम है. सिक्किम सीमा पर हुए ताजा विवाद के संबंध में जानकारी देते हुए सुषमा ने कहा कि भारत और चीन के अलावा चीन और भूटान के बीच सीमा तय होनी है. भारत ने इस मामले का हल निकालने के लिए प्रतिनिधि तय किये हैं. विदेश मंत्री की मानें तो, सीमा तय किये जाने का मामला देशों को आपस में सुलझाना होता है, लेकिन एक जगह ऐसी थी, जिसे ट्राइजंक्शन कहते हैं जिसे लेकर 2012 में समझौता हुआ था कि भारत, चीन और भूटान मिलकर सीमा तय करने का काम करेंगे.

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विदेश मंत्री के अनुसार, समझौता के बाद भी चीन समय-समय पर इस क्षेत्र में आता रहा और हल्की-फुल्की गतिविधियां जारी रखा. हालांकि, इस बार चीनी सेना बुलडोजर और भारी साजो-सामान लेकर इलाके में पहुंची है. विदेश मंत्री ने बताया कि इस बार चीन चाहता था कि ट्राइजंक्शन को लेकर ‘स्टेटस क्वो’ यानी यथापूर्व स्थिति को समाप्त किया जाए. सुषमा ने कहा कि ट्राइजंक्शन पॉइंट में चीन की दखल होते ही भारत के हित इस मामले से सीधे तौर पर जुड़ चुके हैं. अगर चीन यहां की यथापूर्व स्थिति को बदल देता तो हमारी सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी.

चीनी सेना से आमना-सामना पर सुषमा ने कहा कि अगर बातचीत के लिए दोनों देशों द्वारा सेनाएं पीछे हटाने की शर्त रखी गयी तो इसमें कुछ भी गलत नहीं था. विदेश मंत्री के अनुसार, भारत की ओर से इस मामले में कोई भी गैर वाजिब कदम नहीं उठाया गया है और भूटान समेत सभी देश उसके रुख के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.

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