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जस्टिस कर्णन ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी, क्या है इस चिट्ठी में? जानने के लिए पढ़िये

नयी दिल्लीः न्यायपालिका से सीधी टक्कर लेकर सुर्खियों में आये कलकत्ता हाइकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा है. जस्टिस कर्णन ने अपने पत्र में राष्ट्रपति से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में उन्हें जो छह महीने की सजा सुनायी है, उस पर महामहिम रोक […]

नयी दिल्लीः न्यायपालिका से सीधी टक्कर लेकर सुर्खियों में आये कलकत्ता हाइकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा है. जस्टिस कर्णन ने अपने पत्र में राष्ट्रपति से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में उन्हें जो छह महीने की सजा सुनायी है, उस पर महामहिम रोक लगायें.

जस्टिस कर्णन ने चीफ जस्टिस खेहर समेत सुप्रीम कोर्ट के 6 जजों को अपने सामने पेश होने का आदेश दिया

फिलहाल, जस्टिस सीएस कर्णन भूमिगत हो गये हैं. हालांकि, एक खबर यह भी है कि वह गिरफ्तारी से बचने के लिए विदेश चले गये हैं. इन्हीं खबरों में कहा गया है कि जस्टिस कर्णन अब तभी भारत लौटेंगे, जब राष्ट्रपति उन्हें मुलाकात का समय देंगे.

दूसरी तरफ, जस्टिस कर्णन के वकील का कहना था कि जस्टिस कर्णन बिना शर्त माफी मांगने के इच्छुक थे, लेकिन उनकी याचिका को स्वीकार नहीं किया गया. वकील ने यह भी कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस कर्णन के अरेस्ट ऑर्डर पर रोक लगा दी जाये, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक जज उपस्थित नहीं होंगे, इस मामले पर कोई सुनवाई होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन को सुनायी छह महीने की जेल, उनके आदेश मीडिया में प्रकाशित करने पर भी बैन

ज्ञात हो कि जस्टिस कर्णन ने 23 जनवरी, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट एवं विभिन्न हाइकोर्टों के 20 जजों की सूची भेजी थी. जस्टिस कर्णन ने इन सभी को भ्रष्ट बताते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को कर्णन के खिलाफ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि उनके इस पत्र को कोर्ट की अवमानना क्यों न माना जाये? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट मेंउनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू हुई. भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह पहला मौका था, जब सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के सिटिंग जज पर ऐसी कार्रवाई की.

चेन्नई से कहां चले गये जस्टिस कर्णन!

कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर जमानती वारंट जारी करते हुए उन्हें न्यायिक और प्रशासनिक काम से भी अलग कर दिया था. इसके बाद जस्टिस कर्णन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर सहित सुप्रीम कोर्ट के सात जजों के खिलाफ जांच के आदेश दे दिये. उनके विदेश जाने पर भी रोक लगा दी.

इतना ही नहीं, एससी-एसटी प्रताड़ना एक्ट 1989 के तहत जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के आठ जजों के खिलाफ फैसला सुना दिया था. जस्टिस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के जजों पर न्यायिक ताकत का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था. जस्टिस कर्णन वर्ष 2011 से ही कॉलेजियम पर आरोप लगाते रहे हैं कि यहां दलित विरोधी नीति अपनायी जाती है.

कलकत्ता हाइकोर्ट के जज कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत सात जजों की विदेश यात्रा पर लगाया प्रतिबंध

उन्होंने जिन सात जजों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया, उनमें जस्टिस दीपक मिश्रा, रंजन गगोई, मदन बी लोकुर, पिनाकी चंद्र घोष और कूरियन जोसफ शामिल हैं.

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