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मृत्युदंड से नहीं रुकेंगे दुष्कर्म

II रुचिरा गुप्ता II सामाजिक कार्यकर्ता ruchiragupta@gmail.com मौत की सजा का भय दुष्कर्म की रोकथाम नहीं कर सकता. पिछले ही वर्ष मई महीने में ज्योति सिंह पांडेय के दुष्कर्मियों को फांसी की सजा सुनायी गयी थी, पर उसी वर्ष महिलाओं एवं बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं में क्रमशः 12 प्रतिशत तथा 82 प्रतिशत की बढ़ोतरी […]

II रुचिरा गुप्ता II

सामाजिक कार्यकर्ता

ruchiragupta@gmail.com

मौत की सजा का भय दुष्कर्म की रोकथाम नहीं कर सकता. पिछले ही वर्ष मई महीने में ज्योति सिंह पांडेय के दुष्कर्मियों को फांसी की सजा सुनायी गयी थी, पर उसी वर्ष महिलाओं एवं बच्चियों से दुष्कर्म की घटनाओं में क्रमशः 12 प्रतिशत तथा 82 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी.

इसी दौरान सियासी नेताओं द्वारा नफरत भड़कानेवाली उक्तियों में लगभग 500 फीसदी की वृद्धि भी हुई, जिससे धार्मिक और जाति आधारित दुष्कर्मों के बाद भी सजा से बचे रहने की प्रवृत्ति पैदा हुई. और उसके बाद सभी वर्गों की महिलाओं से दुष्कर्म एक सामान्य बात हो गयी. दुष्कर्म की संस्कृति का जन्म इसी तरह होता है.

कठुआ तथा उन्नाव के दुष्कर्मों की जड़ इसी दुष्कर्म संस्कृति में स्थित है, जिसके अंतर्गत ‘शत्रु पक्ष’ के साथ दुष्कर्म को गौरव की बात मानी जाती है. इस संदर्भ में बाबरी मस्जिद के विध्वंस का जश्न मनाने को सूरत में किये गये 15 मुस्लिम महिलाओं के साथ दुष्कर्म को लिया जा सकता है.

इस समूह दुष्कर्म की वीडियो रिकॉर्डिंग करने को खास स्पॉट लाइटें लगायी गयीं और इसके टेप पूरे देश में बांटे गये. इसी तरह वर्ष 2002 के गुजरात दंगे में सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया और पुलिस ने दोषियों के विरुद्ध शिकायतें दर्ज करने से भी इनकार कर दिया.

इस घटना की एक पीड़िता बिलकिस बानो, जिसकी दो-वर्षीया बेटी की हत्या भी कर दी गयी, गुजरात पुलिस की निष्क्रियता के बाद इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गयी. फिर उसके मुकदमे की गुजरात से बाहर सुनवाई हुई और तब जाकर 15 वर्षों के बाद 11 दोषियों को पिछले साल मौत की सजा सुनायी गयी.

हाल ही में हुई मुजफ्फरनगर की घटना भी ली जा सकती है, जिसमें 17 मुस्लिम महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया और इसके साथ ही परवान चढ़ी हिंदू पौरुष की भावना योगी आदित्यनाथ के लिए सत्ता-सोपान बन गयी. इसके बाद भी यूपी में मुस्लिम और दलित महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं जारी रहीं.

भाजपा के निर्वाचित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा किये गये दुष्कर्म की पीड़िता 17-वर्षीया बालिका के पिता की पुलिस अभिरक्षा में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत्यु हो गयी. ये सभी घटनाएं दुष्कर्म की उसी संस्कृति की मिसाल हैं, जिसके अंतर्गत दुष्कर्म को महिमामंडित तथा महिलाओं का अवमूल्यन किया जाता है, और वैसा करने के दोषियों को बचाया जाता है.

सत्तासीन भाजपा नेताओं की टिप्पणियों ने लगातार महिलाओं का अवमूल्यन किया है. उनके हस्तक्षेपों ने महिलाओं की आजादी सीमित करने की चेष्टाएं की हैं.

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा है कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म के लिए उनके परिधान दोषी हैं. भाजपा पार्टी पदाधिकारियों द्वारा बार-बार महिला पत्रकारों के लिए ‘प्रेस-वेश्याएं’ (प्रेस्टीट्यूट) शब्द का इस्तेमाल किया गया. यूपी के मुख्यमंत्री ने हिंदू-मुस्लिम प्रेम विवाहों के लिए लव जिहाद नामक अभियान आरंभ किया तथा रोमियो दस्तों के गठन कराये, जिनका उद्देश्य पुरुषों-महिलाओं को ‘डेटिंग’ से रोकना है.

हादिया नामक एक 24-वर्षीया विवाहिता को अदालत के आदेश से महीनों अपने माता-पिता के साथ रहना पड़ा, क्योंकि उसने दूसरे धर्म का पति चुना था. एक अन्य भाजपा सांसद ने कहा कि अच्छी हिंदू महिलाओं को घर में रहना चाहिए और चार बच्चे पैदा करने चाहिए. प्रधानमंत्री ने स्वयं अपनी पत्नी का जीवन अधर में डाल दिया.

कठुआ में एक मंदिर की देखभाल करनेवाले सांझी राम नामक व्यक्ति ने एक परिवार को सजा देने और उसे गांव छोड़ने को बाध्य करने हेतु उसकी 8-वर्षीया बेटी के साथ दुष्कर्म किया. दो स्थानीय पुलिस अफसरों ने भी उसके साथ पांच दिनों तक दुष्कर्म किया.

इन दुष्कर्मियों को किसी कानून के भय ने नहीं सताया. उन्नाव में दुष्कर्म करने के बाद भी दोषी भाजपा नेता को एक वर्ष तक अभयदान मिला रहा.

इन दोषियों को कानून की जानकारी थी. उन्हें पता था कि दुष्कर्मियों को जेल की सजा होती है. वे जानते थे कि हत्या करने पर मौत की सजा भी मिल सकती है. पर यह उन्हें रोक नहीं सका. उन्हें जिस चीज ने प्रोत्साहित किया, वह अन्य दुष्कर्मियों को मिला अभयदान था. बहुत से दुष्कर्मी बगैर किसी पछतावे के फांसी से झूल जायेंगे, क्योंकि उनके मन में यह यकीन होगा कि वे एक खास तरह के हिंदुत्व के लिए शहीद हो रहे हैं.

यौनवाद, जातिवाद और इस्लाम के भय मिश्रित नफरत फैलाते भाषणों के नतीजे में अन्य अनेक भावी दुष्कर्मी तैयार हो रहे हैं, जो हिंदू राष्ट्रवाद की विजय के नाम पर मौत का स्वागत करेंगे. यह उनके दुनियावी जीवन को एक अर्थ देगा. उनके लिए मौत की सजा का एक ही मतलब होगा कि इससे वे अपना पौरुष सिद्ध कर लेंगे. वे एक बड़े उद्देश्य हेतु अपना जीवन न्योछावर करने को तैयार हैं.

दुष्कर्म रोकने की एक ही राह है कि महिलाओं का अवमूल्यन करने और उनकी स्वतंत्रता सीमित करनेवालों को कानून के अंदर सजा मिले. हमें नफरत की भावना भड़कानेवालों को सजा देने के कानून की, ऐसे भाषणों से संबद्ध समूहों पर रोक लगाने की जरूरत है. जब तक यह नहीं होगा, दुष्कर्म जारी रहेंगे.

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