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बोलीं ममता बनर्जी – छोड़ना चाहती थी मुख्यमंत्री पद लेकिन…

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया. लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा के लिए कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री आवास में पार्टी के पदाधिकारियों के साथ बैठक करने […]

कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के अपेक्षाकृत खराब प्रदर्शन के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इसे खारिज कर दिया. लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा के लिए कालीघाट स्थित मुख्यमंत्री आवास में पार्टी के पदाधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद सुश्री बनर्जी ने कहा कि वह कुर्सी की भूखी नहीं हैं.

संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह बैठक में मुख्यमंत्री पद छोड़ना चाहती थीं. उनके लिए पार्टी अहम है. बैठक में उन्होंने सीएम पद छोड़ने की पेशकश भी कर दी थी, लेकिन पार्टी ने इसे स्वीकार नहीं किया. इसलिए वह पद पर बनी हुई हैं.
लेकिन वह तभी इस पद पर रहेंगी जब समूची पार्टी एकजुट रहने का वादा करे. ममता बनर्जी का कहना था कि उन्हें सत्ता का लोभ नहीं है, लेकिन पार्टी के भीतर कुछ विश्वासघाती लोग हैं. जिन्हें वह पहचान रही हैं. मुख्यमंत्री का कहना था कि चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के कुछ लोगों ने भाजपा से पैसे लेकर उसके लिए काम किया है. इन लोगों की भाजपा के साथ सेटिंग थी.
मुख्यमंत्री ने एक बार फिर आरोप लगाया कि चुनाव में इवीएम के साथ छेड़छाड़ की गयी. अन्यथा ऐसा हो ही नहीं सकता कि समूचे देश में विपक्ष को इस तरह की हार का सामना करना पड़े.
उन्होने कहा कि पिछले छह महीने से चुनाव आयोग ने उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर काम नहीं करने दिया. चुनाव के नाम पर उन्हें काम करने से रोका गया. इससे वह बेहद दुखी हैं और चुनाव आयोग के इस कदम को वह स्वीकार नहीं कर पा रही हैं. मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग पूरी तरह से भाजपा के अधीन था.
उन्होने भाजपा को जीत की बधाई देते हुए कहा कि बावजूद इसके वह उग्र हिंदुत्व को स्वीकार नहीं कर सकतीं. राजनीति को धर्म से जोड़ना ठीक नहीं है. केवल वोट के लिए वह हिंदू, मुसलमान, सिख , ईसाई के बीच बंटवारा नहीं मान सकती.
सुश्री बनर्जी ने कहा कि पिछले पांच महीने से राज्य में एक तरह से अघोषित आपातकाल की स्थिति का माहौल था. सांप्रदायिकता को भाजपा ने चुनाव में भुनाया. पश्चिम बंगाल में चुनाव के लिए रुपये लाये गये. उनका आरोप था कि चुनाव में भाजपा ने जमकर पैसे खर्च किये. वोटरों व कुछ नेताओं को खरीदा गया. उन्होने संगठन में फेरबदल की भी घोषणा की. साथ ही आगामी 31 मई को फिर से बैठक करने का एलान किया.

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