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गंभीर प्रयास करें, आगे बढ़ने के मौके जरूर मिलेंगे

डॉ गणेश नटराजन भारत के सम्मानित बिजनेस और कम्युनिटी लीडर हैं. 5F वर्ल्ड के चेयरमैन हैं. 5F वर्ल्ड ऐसी कंपनी है, जो सॉफ्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल टेक्निकल और सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग के लिए करती है. स्टार्टअप कंपनीज में निवेश भी करती है. हाल ही में डॉ गणेश नटराजन को सोशल वेंचर पार्टनर्स में रवि वेंकटेशन […]

डॉ गणेश नटराजन भारत के सम्मानित बिजनेस और कम्युनिटी लीडर हैं. 5F वर्ल्ड के चेयरमैन हैं. 5F वर्ल्ड ऐसी कंपनी है, जो सॉफ्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल टेक्निकल और सॉफ्ट स्किल ट्रेनिंग के लिए करती है. स्टार्टअप कंपनीज में निवेश भी करती है.

हाल ही में डॉ गणेश नटराजन को सोशल वेंचर पार्टनर्स में रवि वेंकटेशन की जगह चेयरमैन नियुक्त किया गया है. सोशल वेंचर पार्टनर्स भारत में 200 पार्टनर्स के साथ 5 शहरों में काम रही है. इसके तहत उन सामाजिक प्रयासों को सहयोग किया जाता है, जो दीर्घकालिक रोजगार सृजन की दिशा में कार्य करता है. देश के लिए बेहद जरूरी मिलियन जॉब मिशन की दिशा में यह गंभीर शुरुआत है.

डॉ गणेश नटराजन का प्रोफाइल देखेंगे, तो पायेंगे कि वह एक ऐसे इन्सान हैं, जिसने प्रोफेशनल करियर में बड़ा मुकाम हासिल किया. लेकिन, उन्हें करीब से जानने की कोशिश करेंगे, संवाद करेंगे, तो पायेंगे कि वह झारखंड की मिट्टी से आज भी गहराई से जुड़े हैं. डॉ नटराजन का बचपन झारखंड की राजधानी रांची से सटे टाटीसिलवे में गुजरा. उनके पिता जी नटराजन टाटीसिलवे में ही वैक्स पोल इंडस्ट्रीज में काम करते थे. 14 लोगों का संयुक्त परिवार था. डॉ गणेश का 1962 में बिशप वेस्टकॉट ब्वॉयज स्कूल, नामकुम में एडमिशन हुआ. स्कूलिंग पूरी करने के बाद बीआईटी मेसरा (1973-78) से मेकेनिकल इंजीनियरिंग और एनआईटीआई मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएशन इन इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग का कोर्स किया. नौकरी करते हुए आईआईटी मुंबई से नॉलेज मैनेजमेंट में पीएचडी (1999 -2005 )और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट (2006) की पढ़ाई पूरी की.

डॉ गणेश नटराजन ने अपनी पहली नौकरी क्रॉम्पटन ग्रीव्स में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में शुरू की. डॉ गणेश बताते हैं कि स्कूलिंग के दौरान अंग्रेजी की अच्छी शिक्षा ने उनमें लीडरशिप क्वालिटी विकसित हुई. लोगों से संवाद करने में काफी मदद मिली. प्रोफेशनल करियर में इसका काफी लाभ मिला. इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलॉजी में आने को डॉ गणेश अपने लिए एक एक्सीडेंट मानते हैं.

डॉ गणेश बताते हैं, ‘क्रॉम्पटन ग्रीव्स में एक कंप्यूटर आया. शायद वे वहां इकलौते इन्सान थे, जिसे कंप्यूटर हैंडल करना आता था. इस घटना के बाद धीरे-धीरे उनका झुकाव इन्फाॅर्मेशन टेक्नोलॉजी की तरफ हो गया. डॉ गणेश ने 1985 से 1988 तक ज्वाइंट वेंचरवाली कंपनी डीपीएस सिस्टम, जो एक छोटी स्टार्टअप कंपनी थी, में जेनरल मैनेजर के रूप में काम किया. फिर 3 वर्ष तक एनआईआईटी में नौकरी की.

वर्ष 1991 उनके प्रोफेशनल करियर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. 1991 -2001 तक उन्होंने कंप्यूटर ट्रेनिंग की बड़ी कंपनी एप्टेक में सीईओ के रूप में काम किया. इस दौरान 10 करोड़ की पूंजी और 7 ट्रेनिंग सेंटरवाला संस्थान एप्टेक 40 देशों में, 700 ट्रेनिंग सेंटर के साथ 700 करोड़ की कंपनी बन गयी. इसके बाद वह 2001 से 2016 तक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की नामी कंपनी जेनसर टेक्नोलॉजी में वाईस चेयरमैन सह सीईओ रहे.

इस दौरान जेनसर टेक्नोलॉजी 40 करोड़ से 2000 करोड़ रुपये की कंपनी बन गयी. बेहतरीन लीडरशिप के लिए डॉ गणेश को 2010 में एशिया पैक आंत्रप्रेन्योर अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया. अर्नेस्ट एंड यंग जैसी नामी संस्था ने भी उनके एक्सेप्शनल लीडरशिप की सराहना की. डॉ गणेश ने बहुत सारी किताबें लिखी हैं. आईटी जर्नल्स में रेगुलर कॉलम भी लिखते हैं. इसके अतिरिक्त बहुत सारे इंटरनेशनल फोरम और प्रबंध संस्थानों में गेस्ट लेक्चरर भी हैं.

डॉ गणेश नटराजन की प्रोफेशनल उपलब्धियों की भी कमी नहीं है. बावजूद इसके उनका स्वभाव बिल्कुल सहजज और सरल है. मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने सोचा था कि कभी आप इस मुकाम पर पहुंच पायेंगे, तो डॉ गणेश ने बहुत ही संजीदगी से कहा : ‘जीवन में अगर कोई गंभीर प्रयास करे, तो उसे आगे बढ़ने के मौके जरूर मिलते हैं. और इन मौकों का सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाये, तो आगे के रास्ते खुलते चले जाते हैं.’

उन्होंने कहा कि टाटीसिल्वे में बचपन में संयुक्त परिवार की परवरिश ने उनके आगे बढ़ने में उत्प्रेरक का काम किया. संयुक्त परिवार में हम सीखते हैं कि आपको सिर्फ अपने लिए नहीं जीना है, अपने परिवार के सदस्यों का भी ख्याल रखना है. जीवन में ऐसी सीख का लाभ आपको तब मिलता है, जब किसी संस्थान में काम के दौरान आपको टीम बनाने और को-ऑर्डिनेशन की जरूरत पड़ती है. संस्थान में बेहतरीन टीम और आपसी सामंजस्य ही आपको प्रोमोट करता है.

डॉ गणेश खुद को कठिन समय में सहज नहीं पाते. वे कहते हैं कि संकट के समय यदि आप सहज रहना चाहते हैं, तो बेहतरीन टीम बनाइये. एक लीडर के रूप में आपमें यह क्षमता होनी चाहिए कि आप अपने साथ काम करनेवाले एक-एक सहयोगी की क्षमता-दक्षता को समझें, उसका अधिकतम इस्तेमाल करें. काम को लेकर निर्मम बनें, ताकि काम पूरा हो, लेकिन जब कठिन निर्णय लेने का वक्त हो, उस समय इन्सान की भावना और संवेदना का जरूर ख्याल रखें.

डॉ गणेश कहते हैं कि परिवार और और मित्रों के साथ सामंजस्य ने भी उनकी सफलता में अहम् भूमिका अदा की. खासकर उनकी पत्नी उमा और बेटी करुणा ने. पत्नी ग्लोबल टैलेंट ट्रैक कंपनी में सीईओ हैं और बेटी फ्लोरिडा में कैंसर की डॉक्टर हैं.

डॉ गणेश कहते हैं, ‘मेरी तमन्ना है कि हर साल कम से कम 10 लोगों के जीवन को बेहतर बना सकूं.’ उनका कहना है कि अब तक वह अपने इस मकसद में सफल रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘दूसरे के लिए कुछ करने के संस्कार मुझे अपने पिता से मिले हैं, क्योंकि मैंने बचपन में उन्हें रामकृष्ण मिशन के साथ मिलकर टाटीसिल्वे के इलाके में गरीबों के बीच काम करते देखा था.’

उम्र के इस पड़ाव में डॉ गणेश लोगों के लिए काम करने की गति को और तेज करना चाहते हैं. वर्ष 2016 में पुणे सिटी कनेक्ट, जिसके वे चेयरमैन हैं और पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने मिलकर लाइट हाउस प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें स्लम के गरीब युवाओं को रुचि के हिसाब से स्किल डेवलपमेंट कराया जाता है और ट्रेंड होने के बाद नौकरी पाने में भी सहयोग किया जाता है. पुणे में हर 15 वार्ड को मिलाकर एक लाइट हाउस स्लम एरिया के पास बनाया गया है. डॉ गणेश चाहते हैं कि झारखंड में भी ऐसी ही व्यवस्था हो.

बी-पॉजिटिव

विजय बहादुर

vijay@prabhatkhabar.in

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