Coronavirus: कोरोना के उपचार का दावा करने वाले आयुर्वेदिक डॉक्टर पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया 10 हजार का जुर्माना

Coronavirus, coronavirus medicine, Supreme court news: भारत में जहां लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं, तमाम उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं. वहीं इसकी दवा या वैक्सीन को लेकर तरह-तरह के दावे भी सामने आए हैं. एक ऐसे ही दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त एक्शन लिया है. देश की शीर्ष अदालत ने उस आयुर्वेदिक डॉक्टर पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है जिसने दावा किया था कि उसके पास कोविड-19 का उपचार है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 21, 2020 1:45 PM

Coronavirus, coronavirus medicine, Supreme court news: भारत में जहां लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं, तमाम उपाय नाकाफी साबित हो रहे हैं. वहीं इसकी दवा या वैक्सीन को लेकर तरह-तरह के दावे भी सामने आए हैं. एक ऐसे ही दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त एक्शन लिया है. देश की शीर्ष अदालत ने उस आयुर्वेदिक डॉक्टर पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है जिसने दावा किया था कि उसके पास कोविड-19 का उपचार है.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने हरियाणा के ओमप्रकाश वैद्य ज्ञानतारा पर याचिका दाखिल करने के लिए कड़ी फटकार भी लगाई. इस याचिका में कोर्ट से निर्देश मांगा गया था कि उनकी दवा का इस्तेमाल देश भर के सभी डॉक्टरों, अस्पतालों द्वारा किया जाना चाहिए. जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिसअनिरुद्ध बोस की बेंच ने ये फैसला दिया.

लाइव लॉ के मुताबिक, बेंच के समक्ष बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी के डिग्रीधारक ज्ञानतारा की जनहित याचिका में कहा गया था कि कोर्ट भारत सरकार के सचिव और स्वास्थ्य विभाग को कोविड-19 के इलाज के लिए उनके द्वारा बनाई गई दवाओं का उपयोग करने का निर्देश जारी करे.

ये है वैद्य की दलील

वैद्य ज्ञानतारा के दलीलों में दावा किया गया कि उनके पास घातक कोरोना संक्रमण का इलाज है. लेकिन बेंच ने इस तरह के दावों को बेबुनियाद माना . रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने ने विचार किया कि जनहित याचिका में मांगे गए दिशा- निर्देश पूरी तरह से गलत हैं और यह संदेश देने का समय आ गया कि लोगों को ऐसी सामग्री के साथ कोर्ट का रुख नहीं करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका दायर करने में याचिकाकर्ता की मंशा अपनी ओर ध्यान खींचने और प्रचार करने की लगती है.साथ ही ये भी कहा कि न्यायिक समय की ऐसी बर्बादी पूरी तरह से अनुचित है.

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चार सप्ताह के भीतर जमा करना होगा पैसा 

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ज्ञानतारा को चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड वेलफेयर फंड में 10 हजार रुपये का जुर्माना जमा कराने का आदेश देते हुए याचिका को खारिज कर दिया. बता दें कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम को लेकर फर्जी दावों की बाढ़-सी आ गई है.

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Posted by: Utpal kant

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