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Delhi Excise Policy Case: मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज, हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे

Delhi Excise Policy Case: दिल्ली एक्साइज पॉलिसी मामले में राउज एवेन्यू कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की दूसरी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी. उनकी जमानत का सीबीआई और ईडी दोनों ने विरोध किया था.

Delhi Excise Policy Case: मनीष सिसोदिया ने मुकदमे में देरी के आधार पर जमानत मांगी थी. उनकी पिछली जमानत अर्जी भी पिछले साल कोर्ट ने खारिज कर दी थी. वह फरवरी 2023 से हिरासत में हैं. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित आबकारी नीति घोटाले को लेकर अलग-अलग मामले दर्ज किए थे.

कोर्ट ने कहा, जमानत देने के लिए समय सही नहीं

सीबीआई और ईडी के मामलों की विशेष न्यायधीश कावेरी बावेजा ने सिसोदिया को राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह समय जमानत देने के लिए सही नहीं है. अदालत ने सीबीआई, ईडी और सिसोदिया का पक्ष रखने के लिए उपस्थित वकील की दलीलें सुनने के बाद पूर्व उप मुख्यमंत्री की जमानत अर्जी पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे मनीष सिसोदिया

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में अधीनस्थ अदालत द्वारा जमानत अर्जी खारिज किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख करेंगे.

सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 8 मई तक बढ़ाई गई

दिल्ली की एक अदालत ने आबकारी नीति से संबंधित धन शोधन मामले में शुक्रवार 26 अप्रैल को आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया, सह-आरोपी विजय नायर और अन्य की न्यायिक हिरासत आठ मई तक बढ़ा दी थी. कोर्ट में ईडी के विशेष लोक अभियोजक नवीन कुमार मट्टा और साइमन बेंजामिन ने आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्ति कार्यवाही में देरी कर रहे हैं और वे सुनवाई में तेजी लाने के इच्छुक नहीं हैं. इससे पूर्व अदालत ने मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता को सात मई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

ईडी ने अरविंद केजरीवाल पर लगाया गंभीर आरोप

ईडी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल की आम आदमी पार्टी आबकारी घोटाला मामले में अपराध से अर्जित आय की प्रमुख लाभार्थी है. ईडी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं. आरोप है कि लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया, लाइसेंस शुल्क माफ कर दिया गया या कम कर दिया गया तथा एल-1 लाइसेंस को सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना विस्तारित किया गया.

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