Delhi Artificial Rain Video: दिल्ली में कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग ट्रायल, वर्षा का इंतजार

Delhi Artificial Rain: दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए मंगलवार को कृत्रिम बारिश कराने के लिए टेस्ट किया गया. जिसमें क्लाउड सीडिंग के लिए ट्रायल की गई. हालांकि अब भी दिल्ली में बारिश का इंतजार है.

By ArbindKumar Mishra | October 29, 2025 8:28 AM

Delhi Artificial Rain: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि उनकी सरकार ने आईआईटी-कानपुर के सहयोग से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में कृत्रिम बारिश का पहला परीक्षण किया तथा अगले कुछ दिनों में इस तरह के और परीक्षण किए जाने की योजना है.

क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया 17 से 18 मिनट तक चली

कृत्रिम बारिश की खातिर रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और मेरठ की हवाई पट्टी पर उतरने से पहले बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे क्षेत्रों में रसायनों का छिड़काव किया. सिरसा ने बताया, ‘‘सेसना विमान ने कानपुर से उड़ान भरी. इसने आठ झोंकों में रसायनों का छिड़काव किया. प्रत्येक झोंके में छिड़काव किये गए रसायन का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम था और परीक्षण आधे घंटे तक चला. रसायन का छिड़काव करने का प्रत्येक झोंका दो से ढाई मिनट का था. बादलों में 15 से 20 प्रतिशत आर्द्रता थी. रसायनों के छिड़काव की प्रक्रिया 17 से 18 मिनट तक चली.’’

भारी बारिश की संभावना नहीं

मंत्री ने कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-कानपुर का मानना ​​है कि परीक्षण के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर बारिश हो सकती है. मंत्री ने कहा, ‘‘हालांकि, इससे भारी बारिश नहीं होगी क्योंकि आर्द्रता का स्तर केवल 15 से 20 प्रतिशत है.’’ इस बीच, दूसरा परीक्षण भी बाहरी दिल्ली में मंगलवार को ही किया गया.

अगले कुछ दिनों में ऐसे 9 से 10 परीक्षणों की योजना : मंत्री सिरसा

सिरसा ने बताया कि अगले कुछ दिनों में ऐसे 9 से 10 परीक्षणों की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि चूंकि भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सूचित किया है कि हवा की दिशा उत्तर की ओर है, इसलिए उस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को लक्षित किया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रदूषण कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया यह एक बड़ा कदम है. अगर परीक्षण सफल रहे, तो हम फरवरी तक एक दीर्घकालिक योजना तैयार करेंगे. हमें उम्मीद है कि अगर यह सफल रहा, तो प्रदूषण कम करने की दिशा में यह भारत में पहला ऐसा वैज्ञानिक कदम होगा.’’

पहले फेज में 4000 फीट की ऊंचाई पर रसायन का छिड़काव किया गया

पहले चरण में जमीन से लगभग 4,000 फीट की ऊंचाई पर छह झोंकों में रसायन छोड़े गए और इनकी कुल अवधि करीब साढ़े अठारह मिनट रही. विमान ने दूसरी उड़ान दोपहर 3:55 बजे भरी और इस दौरान लगभग 5,000-6,000 फीट की ऊंचाई से आठ झोंकों में रसायनों का छिड़काव किया गया.

क्लाउड सीड़िंग में 3.21 करोड़ रुपये होंगे खर्च

परीक्षण के लिए डीजीसीए के अलावा 10 से अधिक केंद्रीय और राज्य विभागों से भी मंजूरी ली गई है, जिनमें केंद्रीय पर्यावरण, रक्षा और गृह मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो आदि शामिल हैं. दिल्ली मंत्रिमंडल ने सात मई को 3.21 करोड़ रुपये की कुल लागत से कृत्रिम बारिश के लिए पांच परीक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. हालांकि, प्रतिकूल मौसम और मानसून की स्थिति के कारण परीक्षण को कई बार स्थगित करना पड़ा.

कृत्रिम बारिश पर क्या है पर्यावरणविदों की राय?

पर्यावरणविदों ने हालांकि दिल्ली सरकार के कृत्रिम बारिश परीक्षण को एक अल्पकालिक उपाय बताया है. उन्होंने कहा है कि इससे प्रदूषण अस्थायी रूप से कम हो सकता है, लेकिन यह राष्ट्रीय राजधानी की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मूल कारणों का समाधान करने में विफल रहेगा.