Darbhanga News: भाइयों को पूर्णिया भेज दो साल तक दिलायी मखान का लावा फोड़ने की ट्रेनिंग, अब गांव में ही शुरू कर दी यूनिट
Darbhanga News: राढ़ी पूर्वी पंचायत के ततैला गोनौली टोल निवासी पवन सहनी ने गांव में ही मखाना फोड़ने का काम शुरू कर स्वयं सहित अन्य मखाना उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने की राह आसान कर दी है.
Darbhanga News: शिवेंद्र कुमार शर्मा, कमतौल. राढ़ी पूर्वी पंचायत के ततैला गोनौली टोल निवासी पवन सहनी ने गांव में ही मखाना फोड़ने का काम शुरू कर स्वयं सहित अन्य मखाना उत्पादक किसानों की आमदनी बढ़ाने की राह आसान कर दी है. साथ ही अपने समुदाय के एक दर्जन से अधिक लोगों के लिए रोजगार का अवसर भी प्रदान किया है. पवन सहनी ने बताया कि तीन-चार वर्ष से लावा फोड़ने की बात सोच रहा था. कुशल श्रमिक के अभाव के कारण काम शुरू नहीं कर पा रहे थे. पहले अपने दोनों भाई को दो साल पूर्णिया भेजकर लावा फोड़ने की ट्रेनिंग दिलाई. इसके बाद भाइयों ने परिवार के अन्य सदस्यों को प्रशिक्षण दिया. वहीं गांव के कई पुरुष और महिलाओं को भी ट्रेंड किया गया. साथ ही पांच लाख पूंजी की व्यवस्था कर काम शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि अब तक लावा की बिक्री से दो लाख की आमदनी हुई है. पूरे सीजन में पांच से छह लाख रुपये के आय होने की उम्मीद है. बताया कि हमें शहरों में जाने की कोई इच्छा नहीं है. गांव से गहरा लगाव है. मानना है कि परिवार के साथ गांव में रहकर भी आर्थिक सफलता प्राप्त की जा सकती है. मखान फोड़ी का काम न केवल मेरे लिए, बल्कि गांव के लोगों के लिए एक सुनहरा अवसर है. एकजुट होकर काम करने पर मखान उत्पादक किसान भी अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं. मखान की खेती में नित्य नये प्रयोग और मेहनत से हर कोई अपनी किस्मत बदल सकता है. अब यहां के किसानों को गुड़ी बेचने या लावा फोड़वाने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. किसान यहां गुड़ी बेच सकते हैं या लावा भी फोड़वा सकते हैं. लावा की बिक्री कर अपनी आमदनी को और बढ़ा सकते हैं. इधर पवन द्वारा शुरू किए गए लावा फोड़ी कार्य से जहां मखान की खेती करने वाले क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर है, वहीं गांव के लोगों को घर के समीप ही रोजगार मिलने से उनकी खुशी दोगुनी हो गयी है. मखान उत्पादक किसान नरेंद्र कुमार सिंह, अमरेंद्र ठाकुर सहित कई किसानों ने बताया कि पहले मखान की गुड़ी बिक्री करने के लिए दूर जाने की विवशता थी, अब पड़ोस में ही बिक जाएगा, तो उसे ले जाने-आने का भाड़ा बचेगा. वहीं श्रमिक उपेंद्र सहनी, राजू, मनोज, लक्ष्मी और नीतीश ने बताया कि बाहर जाकर मजदूरी करने जाने से बाल बच्चों की देखरेख नहीं हो पाती थी. परिजनों के बीच रहकर काम करने से पैसे की बचत होगी, बच्चों का देखरेख भी हो सकेगा. इधर, कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर व जलजमाव वाले खेतों में मखान की खेती कर उत्पादक किसानों के प्रेरणास्रोत बेलबाड़ा निवासी प्रगतिशील किसान धीरेंद्र कुमार ने पवन सहनी के लावाफोड़ी स्थल का जायजा लिया. पवन द्वारा शुरू किए गए कार्य की सराहना की. इसे और विस्तार करने के लिए प्रेरित किया.
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