Vidur Niti: इन 10 लोगों को धर्म की बातें समझाना मूर्खता से कम नहीं

महात्मा विदुर नीति में बताते हैं कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें धर्म का पाठ पढ़ाना व्यर्थ है, जानें किन 10 लोगों को धर्म की बातें समझाना मूर्खता माना गया है.

By Pratishtha Pawar | September 9, 2025 1:39 PM

Vidur Niti: महात्मा विदुर ने महाभारत काल में नीति, धर्म और आचार-विचार को लेकर कई गहरी बातें कही थीं. उनकी कही गई बातें आज भी जीवन में उतनी ही प्रासंगिक हैं. विदुर नीति के अनुसार हर व्यक्ति धर्म की गूढ़ बातें समझने योग्य नहीं होता. कुछ परिस्थितियां और स्वभाव ऐसे होते हैं जिनमें इंसान को धर्म की सीख देना व्यर्थ माना गया है.

महात्मा विदुर का यह संदेश आज भी जीवन में मार्गदर्शन करता है कि हमें उपदेश देने से पहले यह देखना चाहिए कि सामने वाला उसे समझने योग्य स्थिति में है या नहीं.

Vidur Niti in Hindi: किन 10 लोगों को धर्म का पाठ पढ़ाना है मूर्खता

Vidur niti

विदुर नीति में बताया गया है कि धर्म की शिक्षा तभी सार्थक होती है जब सामने वाला सुनने और समझने योग्य हो. परंतु निम्न 10 प्रकार के लोग ऐसे हैं जिन्हें धर्म समझाना व्यर्थ है:

  1. नशे में मदहोश व्यक्ति – नशे की हालत में इंसान का विवेक खत्म हो जाता है, इसलिए वह सही-गलत में फर्क नहीं कर पाता.
  2. असावधान व्यक्ति – जो व्यक्ति हमेशा लापरवाह और असावधान रहता है, उसे धर्म समझाना व्यर्थ है.
  3. पागल – मानसिक असंतुलन से ग्रस्त व्यक्ति के लिए धर्म का कोई अर्थ नहीं रह जाता.
  4. थका हुआ व्यक्ति – अत्यधिक थकान की अवस्था में इंसान का दिमाग सही ढंग से काम नहीं करता.
  5. क्रोधी व्यक्ति – गुस्से में अंधा इंसान कभी भी धर्म या सदुपदेश को स्वीकार नहीं कर सकता.
  6. भूखा व्यक्ति – भूख से व्याकुल इंसान केवल पेट की चिंता करता है, ऐसे में धर्म की बातें उसे निरर्थक लगती हैं.
  7. जल्दबाज – जो व्यक्ति हर काम में उतावला रहता है, उसके पास धर्म को समझने की धैर्यशीलता नहीं होती.
  8. लोभी – लालच के अंधे इंसान के लिए धर्म से बढ़कर केवल धन ही मायने रखता है.
  9. भयभीत व्यक्ति – डर से ग्रस्त इंसान धर्म के मार्ग पर चलने की शक्ति खो देता है.
  10. कामुक व्यक्ति – जिसकी बुद्धि कामवासना में फंसी हो, उसके लिए धर्म का उपदेश व्यर्थ है.

विदुर नीति कहती है कि धर्म की शिक्षा तभी कारगर होती है जब इंसान शांत, धैर्यवान और विवेकशील हो. उपरोक्त परिस्थितियों में व्यक्ति धर्म की बातों को ग्रहण करने की स्थिति में नहीं होता. ऐसे में उसे उपदेश देना बंसी के आगे बीन बजाने जैसा है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.