Vidur Niti: सुख के बावजूद दुख में जीवन जीते हैं ऐसे लोग

Vidur Niti: महाभारत काल के विदुर अपने नीति उपदेशों के लिए प्रसिद्ध थे. विदुर नीति आज भी प्रासंगिक है, क्योंकि यह सही-गलत का भेद सिखाती है और जीवन को दिशा देती है। इसमें बताया गया है कि कुछ आदतें इंसान को सुखी होते हुए भी दुखी बना देती हैं.

By Shashank Baranwal | September 7, 2025 10:50 AM

Vidur Niti: महाभारत काल में महात्मा विदुर अपनी नीति, धर्मनिष्ठा और दूरदर्शी विचारों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध थे. वे हस्तिनापुर के महामंत्री थे और सत्य, न्याय तथा नैतिकता के प्रतीक माने जाते थे. विदुर ने हमेशा धृतराष्ट्र को धर्म का पालन करने और न्याय के मार्ग पर चलने की सलाह दी. उनके उपदेश केवल उस समय के लिए ही नहीं थे, बल्कि आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं. विदुर नीति का पालन कर व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है और साथ ही एक नैतिक व आदर्शपूर्ण जीवन भी जी सकता है. यह नीति हमें सही और गलत का भेद करना सिखाती है और जीवन को उचित दिशा प्रदान करती है. विदुर नीति में स्पष्ट किया गया है कि कुछ आदतें मनुष्य के जीवन को दुखी बना देती हैं, चाहे उसके पास कितना भी सुख क्यों न हो.

  • विदुर नीति में बताया गया है कि सबसे पहली पहली आदत है घृणा. जिस व्यक्ति के मन में घृणा रहती है, वह कभी सुख का अनुभव नहीं कर पाता, क्योंकि नकारात्मक भावनाएँ उसकी मानसिक शांति को नष्ट कर देती हैं.

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  • दूसरी आदत है असंतोष. जो इंसान अपने पास मौजूद साधनों और परिस्थितियों से संतुष्ट नहीं रहता, वह हमेशा दुखी रहता है. असंतोषी व्यक्ति को किसी भी चीज़ में आनंद नहीं मिलता और वह हमेशा कमी का अनुभव करता है.
  • तीसरी प्रवृत्ति है संदेह. जो इंसान हर बात पर संदेह करता है, उसका मन कभी स्थिर नहीं रहता. संदेहशीलता इंसान को रिश्तों और अवसरों दोनों में दुखी बना देती है.

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  • विदुर नीति में यह भी बताया गया है कि जो व्यक्ति दूसरों के भाग्य पर निर्भर रहकर जीवन बिताता है, वह कभी सच्चा सुख नहीं पा सकता. आत्मनिर्भरता ही सुख का आधार है.
  • इसके अलावा, ईर्ष्या भी दुख का बड़ा कारण है. जिस व्यक्ति के भीतर जलन की भावना रहती है, वह कभी प्रसन्न नहीं रह सकता, क्योंकि दूसरों की उन्नति देखकर उसका मन जलता रहता है.

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