Vidur Niti: इन लोगों की संगति से नष्ट हो जाते हैं व्यक्ति के सारे सद्गुण – आखिर कौन है वे लोग?
Vidur Niti: क्या आपने कभी सोचा है कि संगति का आपके जीवन और स्वभाव पर कितना गहरा असर पड़ता है? विदुर नीति बताती है कि गलत लोगों का साथ आपके सद्गुणों को भी धीरे-धीरे नष्ट कर सकता है.
Vidur Niti: जीवन में संगति का बहुत महत्व है. हम जिस वातावरण में रहते हैं और जिन लोगों से जुड़ते हैं, वही हमारी सोच, आदत और व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित करता है. महाभारत में विदुर नीति के श्लोक इस बात को बहुत स्पष्ट रूप से बताते हैं कि भलें ही कोई व्यक्ति कितना ही सज्जन क्यूं ना हो या तपस्वी हो, लेकिन अगर वह गलत लोगों की संगति में रहता है तो उसके भी सद्गुण धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं.
Vidur Niti Shlok in Hindi: विदुर नीति का श्लोक
यदि सन्तं सेवति यद्यसन्तं, तपस्विनं यदि वा स्तेनमेव।
वासो यथा रञ्जनं प्रयाति, तथा स तेनैव व्रजाम्भवेत।।
श्लोक का अर्थ
जैसे कपड़ा जिस रंग में रंगा जाता है, वैसा ही हो जाता है. उसी प्रकार यदि कोई सज्जन, असज्जन, तपस्वी अथवा चोर की संगति करता है तो वह उन्हीं के समान हो जाता है. विदुर कहते है कि संगति का सीधा असर व्यक्ति के स्वभाव और आचरण पर पड़ता है.
Vidur Niti: गलत संगति नहीं है किसी ग्रहण से कम
मनुष्य चाहे कितना ही बुद्धिमान और संस्कारी क्यों न हो, लेकिन अगर वह गलत लोगों के बीच अधिक समय बिताने लगे तो धीरे-धीरे उनकी आदतें और दोष उसमें भी आ जाते हैं. यही कारण है कि विदुर नीति में कहा गया है कि बुरे लोगों की संगति से बचना चाहिए.
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सही संगति क्यों जरूरी है?
- अच्छे लोगों की संगति से व्यक्ति के विचार और कर्म सकारात्मक बनते हैं. सही लोगों का साथ व्यक्ति के गुणों को निखारने में मदद करते है.
- सही वातावरण में रहकर मनुष्य अपने मूल्यों और संस्कारों को संभाल पाता है. इसीलिए यह और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है कि व्यक्ति एक स्वस्थ संस्कारों से भरें वातावरण में रहें.
- अच्छी संगति व्यक्ति को जीवन में कुछ अच्छा करने की प्रेरणा देती है और सही दिशा दिखाती है.
विदुर नीति से हमें यह सीख मिलती है कि संगति व्यक्ति को गढ़ती है. यदि हम अच्छे लोगों का साथ चुनते हैं तो हमारे सद्गुण और संस्कार में प्रबलता आती है, लेकिन अगर हम गलत लोगों के बीच रहेंगे तो धीरे-धीरे हमारे सद्गुण भी नष्ट हो जाएंगे. इसलिए संगति हमेशा सोच-समझकर करनी चाहिए.
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