World Asthma Day पर जानें इस बीमारी से जुड़े इन 4 मिथकों के बारे में, इन्हें सच मानने की गलती हरगिज मत करना

World Asthma Day 2024: साल 2022 में जारी की गयी ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीबन 3 करोड़ 50 लाख अस्थमा से पीड़ित हैं.

By Saurabh Poddar | May 6, 2024 3:12 PM

World Asthma Day 2024: अस्थमा के बारे में हम सभी जानते हैं ये सांस से जुड़ी एक काफी गंभीर बीमारी है. यह एक ऐसी बीमारी है जिससे दुनियाभर के करोड़ों लोग पीड़ित हैं. लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता बनी रहे इसलिए हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को वर्ल्ड अस्थमा डे के रूप में मनाया जाता है. इस बार यह 7 मई के दिन मनाया जा रहा है. इस साल की थीम जागरूकता और शशक्तिकरण रखा गया है. वर्ल्ड अस्थमा डे के अवर पर आज हम आपको इससे जुड़े चार मिथकों और उनके पीछे की सच्चाई बताने वाले हैं. चलिए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.

अस्थमा एक जानलेवा बीमारी है

हमने अक्सर यह सुना है कि अस्थमा एक जानलेवा बीमारी है. लेकिन क्या यह सच है? देखा जाए तो ऐसा कहना आंशिक रूप से सही है. अस्थमा मरीज को अगर सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती तो ऐसे में उनकी स्थिति काफी बिगड़ सकती है. केवल यहीं नहीं जो अस्थमा मरीज जरूरत से ज्यादा दवाओं का सेवन करते हैं उनके फेफड़े भी काफी नाजुक हो जाते हैं. अस्थमा मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे दवाओं का सेवन सीमित मात्रा में करें और केवल उन्हीं जगहों पर जाएं जहां उन्हें सही मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके.

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नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकते अस्थमा मरीज

डॉक्टर्स की अगर माने तो ऐसा कहना गलत है कि एक अस्थमा का मरीज नॉर्मल लाइफ नहीं जी सकता है. अगर किसी को अस्थमा है तो वह काफी आसानी से नॉर्मल और हेल्दी लाइफ जी सकता है. डॉक्टर्स की अगर मानें तो जिन लोगों को छोटे से ही अस्थमा की समस्या है लेकिन डॉक्टर्स से सलाह लेकर दवाई और इलाज करवाते रहते हैं तो उन्हें कम परेशानी होती है और वे काफी आसानी से एक नॉर्मल इंसान की तरह जीवन जी सकते हैं. केवल यहीं नहीं, जिन्हें ज्यादा तकलीफ होती है उन्हें इन्हेलर का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है.

इन्हेलर से बेहतर दवाई

डॉक्टर्स की अगर माने तो अस्थमा मरीजों को आराम पहुंचे इसके लिए सभी तरह के दवाई मौजूद हैं. लेकिन, जब बात आती है सांस के थेरेपी की तो इसके लिए इन्हेलर से बेहतर कुछ भी नहीं है. डॉक्टर्स ने बताया कि जब हम किसी भी तरह का दवाई या फिर सिरप लेते हैं तो उसे काम करने में कम से कम 25 मिनट का समय लगता है जबकि, इन्हेलर तुरंत आपके लंग्स तक पहुंच जाता है.

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एक्ससरसाइज नहीं कर सकते अस्थमा के मरीज

डॉक्टर्स की अगर माने तो एक अस्थमा का मरीज एक्ससरसाइज और वर्कआउट दोनों ही एक नॉर्मल इंसान की तरह कर सकता है. लेकिन, उन्हें ज्यादा इंटेंसिटी वाले वर्कऑउट्स करने से बचना चाहिए. इस तरह के मरीजों को उस तरह के सभी स्पोर्ट्स से दूर रहना चाहिए जिसमें सांस फूलती हो. अगर कोई अस्थमा का मरीज है तो उसे नॉर्मल रफ्तार में वाकिंग, स्विमिंग, साइकिलिंग और योगा को चुनना चाहिए. केवल यहीं नहीं, एक्ससरसाइज करते समय उन्हें काफी जागरूक भी रहने की जरुरत होती है ताकि उन्हें अचानक से अटैक न आ जाए.

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