Mothers Day 2021: कोरोना से कैसे बचाएं गर्भ में पल रहे बच्चे को, क्या वे भी हो सकते हैं संक्रमित? संक्रमण के बाद गर्भवती महिलाएं क्या करें, जानें एक्सपर्ट की राय

Happy Mother's Day 2021, Corona Pregnancy Risk, Symptoms, Treatment, How To Fight, Home Remedies, Health News: गर्भवती महिलाओं को हमेशा विशेष देखभाल की जरूरत होती है. वहीं जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर काफी तेज है, तो इस समय उन्हें ज्यादा सावधान रहने व अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है. आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. यही वजह है कि गर्भवती महिलाएं संक्रमण की हाई रिस्क कैटेगरी में आती हैं. विशेषज्ञों से जानें कि इस समय गर्भवती महिलाएं कैसे रखें अपना विशेष ख्याल.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2021 8:09 AM

Happy Mother’s Day 2021, Corona Pregnancy Risk, Symptoms, Treatment, How To Fight, Home Remedies, Health News: गर्भवती महिलाओं को हमेशा विशेष देखभाल की जरूरत होती है. वहीं जब कोरोना वायरस की दूसरी लहर काफी तेज है, तो इस समय उन्हें ज्यादा सावधान रहने व अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है. आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. यही वजह है कि गर्भवती महिलाएं संक्रमण की हाई रिस्क कैटेगरी में आती हैं. विशेषज्ञों से जानें कि इस समय गर्भवती महिलाएं कैसे रखें अपना विशेष ख्याल.

कोविड-19 भयावह महामारी का रूप ले चुका है. इसके नये वैरिएंट को डबल म्यूटेंट वैरिएंट नाम दिया गया है. स्टडी रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह वैरिएंट खासकर 21 से 30 साल के लोगों के बीच तेजी से फैलता है. आमतौर पर इस एज ग्रुप के गर्भवती महिलाएं काफी संख्या में होती हैं, इसलिए उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है.

गर्भस्थ शिशु में संक्रमण का कितना खतरा

इस नये वैरिएंट में कुछ केसेज ऐसे भी सामने आये हैं, जब मां से गर्भ में पल रहे बच्चे में भी संक्रमण ट्रांसमिट हो रहा है. हालांकि, इस ट्रांसमिशन का रिस्क कुल मामलों में केवल 2-3 प्रतिशत ही देखने को मिला है. दुनियाभर में कोरोना के पहले वैरिएंट पर हुई रिसर्च के मुताबिक, संक्रमित मां से गर्भ में पल रहे बच्चे को कोरोना वायरस ट्रांसमिट होने की आशंका नहीं के बराबर थी.

ज्यादातर केस से पता चला कि कोरोना वायरस उनके जरिये गर्भ में पल रहे बच्चे में ट्रांसमिट नहीं होता है. यहां तक कि डब्ल्यूएचओ का भी मानना है कि कोरोना संक्रमित गर्भवती महिला गर्भावस्था या प्रसव के दौरान अपने भ्रूण या बच्चे को वायरस ट्रांसमिट कर सकती है या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है.

क्या करें जब हो जाएं कोरोना संक्रमित

आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं. ऐसे में अगर वायरस संक्रमण की शुरुआत भी होती है, तो कई बार महिला समझ नहीं पाती. जब भी ऐसा लगे कि रुटीन से कुछ अलग परेशानी हो रही है, तो बिना देर किये गर्भवती को अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करना चाहिए. कोविड संक्रमित गर्भवती महिला की खराब स्थिति का असर बच्चे पर भी पड़ता है.

रिसर्च के मुताबिक, तीसरी तिमाही में कोरोना संक्रमण से गर्भ में बच्चे के आसपास का एम्नियोटिक फ्ल्यूड कम हो जाता है, जिससे बच्चे का ब्लड फ्लो कम हो जाता है और उसका विकास अवरुद्ध हो सकता है. अगर संक्रमण की आशंका हो, तो होम आइसोलेशन में रहना चाहिए. आरटी-पीसीआर टेस्ट कराना चाहिए. पॉजिटिव आने पर लक्षणों के हिसाब से डॉक्टर से दवाई लें. सोनोग्राफी कर बच्चे की स्थिति का भी पता लगाया जाता है. 10 दिन बाद आरटी-पीसीआर टेस्ट दोबारा किया जाता है.

गर्भवती महिलाएं खुद को कैसे रखें सुरक्षित

  • अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें.

  • अस्पताल भी तभी जाएं, जब बेहद जरूरी हो.

  • अपने डॉक्टर से फोन या वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संपर्क करना ही बेहतर है.

  • 3 या 4 सप्ताह बाद जब डॉक्टर से चेकअप कराने या अल्ट्रासाउंड कराने जाना हो, तो पूरी एहतियात बरतें.

  • घर से बाहर डबल मास्क लगाकर जाएं. सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करके चलें. कम-से-कम 6 फुट की दूरी बनाकर चलें.

  • जब कोरोना संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो ड्रॉपलेट के साथ वायरस के बारीक कण हवा में फैल जाते हैं. इनके संपर्क में आने पर गर्भवती महिलाएं भी संक्रमित हो सकती हैं.

  • यथासंभव अपने हाथ सैनिटाइजर से साफ करते रहें. घर आने के बाद नहाकर कपड़े बदलें.

  • नियमित रूप से एल्कोहलयुक्त साबुन/हैंडवॉश और पानी से बार-बार 20 सेकेंड के लिए हाथ धोने चाहिए या फिर हाथ अच्छी तरह सेनिटाइज करने चाहिए.

  • कोरोना वायरस संक्रमण से खुद को बचाने के लिए अपनी आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें, ताकि इनके जरिये वायरस शरीर में प्रवेश न कर पाये.

  • पर्सनल हाइजीन का विशेष ध्यान रखें, यानी जब भी खांसी या छींक आये तो मुंह और नाक को कोहनी मोड़ कर कवर करके करें. टीशू पेपर भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस के बाद सुरक्षित तरीके से डिस्पोज करें.

पौष्टिक आहार लें

कोरोना वायरस से बचने के लिए सबसे जरूरी हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना है. इसके लिए नियमित रूप से पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करें. इंफेक्शन से बचने के लिए खासकर विटामिन सी, प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ ज्यादा से ज्यादा लेने चाहिए. ध्यान रखें कि घर में बना, अच्छी तरह पका, ताजा और गर्म खाना खाएं.

सकारात्मक रहें

गर्भवती महिलाएं डर व दशहत को हावी न होने दें. यथासंभव सकारात्मक रहें. भविष्य की चिंता करने की जगह उन्हें वर्तमान में जीना चाहिए. परिवार के साथ बातचीत, हंसी-मजाक में खुद को व्यस्त रखें. तभी शारीरिक-मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकेंगी. तनाव से बचने के लिए अपनी सहूलियत और पसंद के हिसाब से घर में ही टहलें और योग, व्यायाम, मेडिटेशन करें.

संक्रमित मां दूध पिलाएं, पर सुरक्षा के साथ

आइसीएमआर की गाइडलाइंस और विशेषज्ञों के मुताबिक, संक्रमित मां नवजात बच्चे को दूध पिला सकती हैं, लेकिन पूरी सावधानी के साथ. दूध से बच्चे के शरीर में एंटीबॉडी बनती है. इससे बच्चे की इम्युनिटी बढ़ती है, लेकिन दूध पिलाते समय बच्चा मां के बहुत करीब होता है, तो सांस के जरिये वायरस बच्चे में जा सकता है. ऐसे में दूध पिलाते समय डबल मास्क जरूर लगा कर रखें. हाथ सैनेटाइज करें, हाथ धोएं, उसके बाद ही बच्चे को दूध पिलाएं. फीड कराने के बाद बच्चे को खुद से दूर कर दें.

इन लक्षणों के प्रति रहें हमेशा सतर्क

कोरोना संक्रमण के माइल्ड लक्षणों में गले में दर्द, नाक बहना, खांसी, बुखार, सिरदर्द हो सकते हैं. मॉडरेट लक्षणों में फेफड़ों का एक्स-रे किया जाता है और फेफड़ों में निमोनिया का पता चलता है. प्रेग्नेंसी के समय डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को लैड की शील्ड पहनाकर चेस्ट का एक्स-रे कर सकते हैं. सीवियर लक्षणों में ऑक्सीजन सैचुरेशन 94 प्रतिशत से कम होने लगता है. ऐसी स्थिति में आपको हाइ-प्रेग्नेंसी यूनिट, आइसीयू की जरूरत पड़ सकती है.

बातचीत : रजनी अरोड़ा

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