कोई मेरा मजाक उड़ाये मुझे बुरा नहीं लगता

उर्मिला कोरी एक दशक के बाद यशराज बैनर की फिल्म बैंकचोर में विवेक ओबेरॉय नजर आ रहे हैं. वर्ष 2002 उनके शुरुआती कैरियर का वह दौर था, जब इसी प्रोडक्शन हाउस की फिल्म साथिया से उन्हें बड़ी कामयाबी हाथ लगी थी. लंबे समय बाद इसी बैनर की लाइट कॉमेडी फिल्म बैंकचोर करके वे उतने ही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 22, 2017 1:46 PM
उर्मिला कोरी
एक दशक के बाद यशराज बैनर की फिल्म बैंकचोर में विवेक ओबेरॉय नजर आ रहे हैं. वर्ष 2002 उनके शुरुआती कैरियर का वह दौर था, जब इसी प्रोडक्शन हाउस की फिल्म साथिया से उन्हें बड़ी कामयाबी हाथ लगी थी. लंबे समय बाद इसी बैनर की लाइट कॉमेडी फिल्म बैंकचोर करके वे उतने ही खुश नजर आ रहे हैं. कई सवालों पर विवेक ओबेरॉय ने खुल कर बातें कीं.
– ‘बैंकचोर’ का प्रोमोशन बिल्कुल अलग तरह से किया गया. यह किसका आइडिया था?
यह यशराज की मार्केटिंग टीम का आइडिया था. अलग तरह की फिल्म है. टिपिकल फॉरमेटवाली फिल्म नहीं है. फिल्म बैंकचोर पर है, तो चोर क्या-क्या चोरी कर सकते हैं, इस पर सोचा गया. इसके बाद पोस्टर्स से इंटरव्यू तक सब कुछ चुराये गये. ऐसा प्रोमोशन हुआ, जो आपको डिजिटली बांधे रखता है. आजकल यूथ सबसे ज़्यादा डिजिटली कनेक्टेड है, इसलिए इस बात का ख्याल रखा गया.
– क्या आप लोगों ने सोचा कि कहीं प्रोमोशन का स्पूफ किसी को बुरा न लग जाये?
हां, इस बारे में भी सोचा गया था. लेकिन 89 प्रतिशत तक हमें पॉजिटिव रिस्पांस ही मिला, जो भी हमने मजाक किया था. शाहरुख खान, प्रियंका चोपड़ा, सोनम कपूर सभी ने बहुत ही पॉजिटिव रिस्पांस दिये. वजह यह थी कि हमने शुरुआत खुद का मजाक बनाने से की. ईमानदार ट्रेलर लॉन्च के दौरान हमने खुद को मजाक बनाया था. गरीबों का सिंघम, तो क्या…तो क्या. सभी को लगा होगा कि ये खुद का भी तो मजाक बना रहे हैं. फिर बुरा माननेवाली क्या बात है?
– आपका मजाक बनाया जाता है, तो आप कैसे लेते हैं?
मेरा पर्सनल सेंस ऑफ ह्यूमर है. कोई भी मेरा मजाक बनाता है, मुझे बुरा नहीं लगता. मैं पॉजिटिवली उस चीज को लेता हूं. अगर बैंकचोर में मैं नहीं होता, कोई और होता. मेरा मजाक बनाया जाता, तो मैं भी उसे सपोर्ट करता और प्रोमोट भी.
– साथिया के लंबे समय बाद आप यशराज कैंप से जुड़े हैं. कैसा लग रहा है?
बहुत अच्छा आर्गेनाइजेशन है. साथिया के वक्त भी मजा आया था, अभी भी अच्छा अनुभव रहा. आदित्य चोपड़ा के साथ मेरे अच्छे रिश्ते रहे हैं. उन्होंने ही मुझे फोन किया और कहा कि यह फिल्म कीजिए. स्क्रिप्ट और किरदार मुझे पसंद आये. यह सिर्फ कॉमेडी नहीं, बल्कि फ़िल्म से जुड़ा थ्रिलर इसे खास बना देता है.
– एक कॉमिक किरदार के लिए कुछ विशेष तैयारी करनी पड़ती है?
लाइट फ़िल्म है, तो उसकी तैयारी भी उसी तरह से करनी पड़ी. ज़्यादा नहीं, बस थोड़ा बहुत होमवर्क किया. पहली बार पुलिस ऑफिसर की भूमिका में हूं. पिताजी ने इतने सारे कड़क ऑफिसर के रोल किये हैं. उनकी फिल्मों को देखा. आवाज में थोड़ा और भारीपन लाया. मोटी मूंछ उगायी और बहुत वर्कआउट किया, क्योंकि किरदार को पावरफुल दिखाने के लिए यह जरूरी था.
– यह एक साफ-सुथरी कॉमेडी फिल्म है. इससे पहले आपने एडल्ट कॉमेडी साथ में की है?
(हंसते हुए) अलग अनुभव तो होता ही है. हमने मस्ती सीरीज की जो फिल्में की हैं, जो एडल्ट कॉमेडी फिल्में की थीं, उनमें हम हंसे बहुत हैं. लेकिन कई बार ऐसा भी हुआ है जब इंदूजी (इंद्र कुमार) से हमने कहा कि यह हम परदे पर कैसे करेंगे. कई बार शर्म भी आ जाती थी.
कई बार झिझक भी होती थी. लेकिन हम फिल्म को लेकर कमिटेड हैं, तो कर जाते थे. बैंकचोर एक साफ-सुथरी कॉमेडी फिल्म है, यह किसी को यकीन ही नहीं हुआ था, क्योंकि रितेश और मुझे देखकर लोग समझते हैं कि ये कुछ तो वैसा ही करेंगे. फिल्म का नाम बैंकचोर जरूर है, लेकिन लोग अपने-अपने एडल्ट वर्जन इसके निकालने लगे थे. इस बार मेरी पत्नी प्रियंका भी बहुत खुश है. बोली कि बच्चों के साथ यह फिल्म देख सकते हैं. आमतौर पर एडल्ट कॉमेडी फिल्मों पर वह बड़ी-बड़ी आंखें करके कहती रही हैं कि क्यों करते हो ऐसी फिल्में.
पापा ने हमेशा मोटिवेट किया
मेरे पापा मेरी प्रेरणा रहे हैं. वह हैदराबाद से मात्र 4०० रुपये लेकर मुंबई आये थे. आज उनके पास एक बंगला, गाड़ी के साथ कई अच्छी फिल्में और एक नेशनल अवार्ड भी है. वह कितने भी मशरूफ क्यों न हों, वह मेरे और मेरी बहन के लिए समय निकालते ही हैं. मैं भी उनके जैसा ही पिता बनना चाहता हूं.
उन्होंने हमेशा मुझे मोटीवेट किया. जब मैं अपने बुरे वक़्त में भगवान को कोस रहा था, तो उन्होंने कहा कि जब तुम्हारी फिल्में चल रही थीं, अवार्ड्स मिल रहे थे, रातों-रात स्टारडम मिल गया. करोड़ों रुपये कमाने लग गये, तब भगवान से क्यों नहीं पूछा कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है. लेकिन जैसे ही थोड़ा विपरीत दौर आया, तो पूछते हो कि ऐसा क्यों हो रहा है तुम्हारे साथ. छोड़ना है, तो सब उसी पर छोड़ दो. इस तरह हर बार पापा ने मुझे मोटिवेट किया.

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