IEA: भारत 2050 तक बन सकता है दुनिया में तेल की मांग बढ़ाने वाला मुख्य केंद्र
IEA: दुनिया की ऊर्जा की तस्वीर बदल रही है और भारत अब इस बदलाव का नया केंद्र बन सकता है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट बताती है कि आने वाले दस साल में भारत की तेल खपत सबसे तेजी से बढ़ने वाली है. क्या भारत अपनी बढ़ती जरूरतों को पूरा कर पाएगा? क्या हमें ज्यादा तेल आयात करना पड़ेगा? चीन की मांग धीमी हो रही है और भारत इसमें कैसे अपनी जगह बनाएगा? 2035 तक भारत के तेल उपयोग में भारी बढ़ोतरी होगी, जो देश की अर्थव्यवस्था और ग्लोबल मार्केट दोनों के लिए बड़ी चुनौती और अवसर साबित हो सकती है.
IEA: दुनिया में ऊर्जा की मांग लगातार बदल रही है और अब भारत इस बदलती तस्वीर का नया खिलाड़ी बनने वाला है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की हालिया रिपोर्ट बताती है कि अगले दस साल में भारत की तेल खपत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली है. यानी आने वाले समय में भारत न सिर्फ अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी तेल की मांग को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाएगा.
क्या भारत बनेगा दुनिया का नया तेल खपत का केंद्र?
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले सालों में दुनिया में तेल की खपत और बढ़ने वाली है. खासकर भारत अगले दस साल में तेल की खपत बढ़ाने में सबसे आगे रहने वाला है. यह पहले की भविष्यवाणियों से अलग है, जब 2024 में IEA ने कहा था कि तेल की खपत 2030 के आसपास स्थिर या घट सकती है.
क्यों बढ़ेगी भारत में तेल की मांग?
IEA के अनुसार, भारत में कारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और प्लास्टिक, केमिकल्स, हवाई यात्रा और खाना पकाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है. इस वजह से भारत में तेल की खपत 2024 में 5.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन से बढ़कर 2035 तक 8 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो जाने वाली है.
चीन की खपत में बदलाव क्यों?
पिछले 25 साल में दुनिया की कुल ऊर्जा मांग में आधे से ज्यादा हिस्सा चीन का था. लेकिन अब चीन की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बदल रही है, और वहां सालाना खपत की दर 1.1% तक सीमित रह जाने वाली है. वहीं, भारत हर साल लगभग 3% की दर से अपनी ऊर्जा मांग बढ़ाने वाला है.
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क्या बढ़ेगा तेल का आयात?
भारत में तेल का उत्पादन सीमित है, इसलिए बढ़ती खपत के लिए आयात पर निर्भरता और बढ़ने वाली है. IEA का अनुमान है कि भारत की आयात निर्भरता 2024 में 87% से बढ़कर 2035 तक 92% हो जा सकती है. इसका मतलब है कि भारत को अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए और अधिक विदेशों से तेल खरीदना हो सकता है.
क्या तेल 2050 तक भी प्रमुख रहेगा?
IEA का कहना है कि 2050 तक भी तेल प्रमुख ऊर्जा स्रोत बना रहने वाला है. हालांकि चीन का तेल खपत बढ़ना धीमा हो रहा है. भारत दुनिया में तेल खपत बढ़ाने वाला नया केंद्र बन जाने वाला है.
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