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Aditya kumar

I adore to the field of mass communication and journalism. With two and half years of work experience, I have worked exclusively in Digital Media. Along with this, there is also experience of ground work for video section as a Reporter.

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खिलजी के हकीम पड़ते थे नालंदा विश्वविद्यालय के वैद्य से कमजोर, क्या यही बना...

Nalanda University भारत की अमिट पहचान है. मेडिसिन, तर्कशास्त्र, गणित और खास तौर पर बौद्ध सिद्धांतों के बारे में लोग यहां ज्यादा पढ़ने और रिसर्च करने आते थे. इतनी ख्याति पाने वाले विवि को आखिर ध्वस्त क्यों किया गया. इस सवाल का जवाब खोजते हुए हमने इतिहास के कई जानकारों से बात की.

अगर जीत गया NOTA तो, हार कर भी सांसद बन सकते हैं नेताजी

NOTA : क्या कोई उम्मीदवार चुनाव हारने के बाद भी जनप्रतिनिधि बन सकता है, अगर चुनाव में सभी उम्मीदवार के मुकाबले NOTA को अधिक वोट मिल जाता है तो क्या होगा? आइए, इन दो अहम सवालों पर चर्चा करते है और इसका जवाब तलाशते है...

झारखंड : दुमका में कमल और तीर-धनुष नहीं, आ-सार और उप़ल बाहा की है...

झारखंड के दुमका लोकसभा सीट पर कमल और तीर-कमान की नहीं बल्कि उप़ल बाहा और आ-सार की लड़ाई है. लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में पुंडरी और खेक्खा के बीच चुनावी दंगल और सिंहभूम लोकसभा सीट पर सलुकड्बा और सर-अ:सर के बीच रण होगा. लोकसभा चुनाव के दौरान अगर आपने यह शब्द पहली बार सुने है तो आइए समझते है क्या है इसका मतलब और महत्व

झारखंड के नागवंशी शाहदेवों का नया तीर्थ बनेगा गुजरात का कच्छ, जानिए क्यों है...

नागवंशियों का इतिहास काफी पुराना है. झारखंड समेत कई राज्यों में एक वक्त इनका शासन हुआ करता था. आज फिर एक बार नागवंशी चर्चा में है. कारण, गुजरात के कच्छ में मिला 15 मीटर लंबे सांप का जीवाश्म. इस मामले पर पेश है एक खास रिपोर्ट कि यह झारखंड के नागवंशियों के लिए कितनी बड़ी बात है...

KKR vs PBKS: पंजाब ने जीता टॉस, पहले गेंदबाजी का किया फैसला, देखें प्लेइंग-11

KKR vs PBKS: कोलकाता नाइट राइडर्स और पंजाब किंग्स के बीच आईपीएल 2024 का 42वां मुकाबला इडेन गार्डन में खेला जाने वाला है. आइए जानते है इस मैच में दोनों टीमों का प्लेइंग-11 और कौन सी टीम पहले करेगी बल्लेबाजी.

झारखंड से MBA-MCA क्यों नहीं करना चाहते बिहार-यूपी के छात्र, ये हैं 2 बड़ी...

रांची में उच्च शिक्षा लेने वाले कई छात्रों के लिए रांची विश्वविद्यालय और डीएसपीएमयू उनकी पहली पसंद होती है. सामान्य कोर्स के अलावा व्यावसायिक शिक्षा के कई विषयों की भी पढ़ाई यहां होती है. यहां बच्चों का नामांकन तो हर साल होता है लेकिन स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं. यही हाल राज्य के सभी विश्वविद्यालय के है. आलम यह है कि विश्वविद्यालय के अधिकतर विभाग गेस्ट फैकल्टी और कन्ट्रैक्चूअल शिक्षकों के बल पर ही चल रहे है.