ICT क्या है? बांग्लादेश की वो अदालत जिसने शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई

ICT Bangladesh: बांग्लादेश की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को छात्र आंदोलन पर हिंसक कार्रवाई के आरोप में मौत की सजा सुनाई. जानिए ICT क्या है, कैसे बना, 1971 के युद्ध अपराधों की इसकी भूमिका और हसीना केस के बारे में.

By Govind Jee | November 17, 2025 6:34 PM

ICT Bangladesh: बंग्लादेश की राजनीति में सोमवार  का दिन ऐतिहासिक और हंगामेदार रहा. इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने देश की बेदखल प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में मौत की सजा सुना दी. ढाका में संस्कृति मंत्रालय ने बड़े-बड़े स्क्रीन लगवाए, जहां लोग फैसले को लाइव देखते रहे. अदालत के मुताबिक, हसीना ने अपने गृह मंत्री और पुलिस प्रमुख के साथ मिलकर पिछले साल हुए छात्र आंदोलन पर हिंसक कार्रवाई कराई थी. अदालत ने कहा कि 5 अगस्त के दिन चांखारपुल में छह लोगों को “घातक हथियारों” से मार दिया गया और इसका आदेश ऊपर से आया था.

क्या है ICT- इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल?

इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) बांग्लादेश की एक खास अदालत है, जिसे 1971 के मुक्तियुद्ध में हुए नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों की सुनवाई के लिए बनाया गया था. इस अदालत का मकसद था कि पाकिस्तान सेना और उनके स्थानीय सहयोगियों, जैसे रजाकार, अल-बदर और अल-शम्स जैसे समूहों द्वारा किए गए अपराधों पर न्याय दिलाना. 1971 की लड़ाई में लगभग 30 लाख लोगों की जान गई और हजारों महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ. यही वो पृष्ठभूमि थी जिसने इस अदालत की जरूरत को पैदा किया. ICT के अंदर खास जज, जांच एजेंसी और अभियोजन टीम होती है. मुकदमों को जल्दी निपटाने के लिए ICT-1 और ICT-2, दो अलग-अलग बेंच भी बनाई गई थीं.

ICT का इतिहास- कैसे शुरू हुआ ये पूरा सिस्टम?

अवामी लीग की सरकार जब 2009 में सत्ता में लौटी, तो उसने अपने पुराने वादे के तहत ICT को सक्रिय रूप से बनाना और चलाना शुरू किया. इस अदालत का पूरा आधार इंटरनेशनल क्राइम्स (ट्रिब्यूनल) एक्ट, 1973 है, जो सरकार को यह अधिकार देता है कि वह नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करे और दोषियों को सजा दे. इस कानून को देश और दुनिया दोनों जगह से न्याय की मांग उठने के बाद बनाया गया था, ताकि युद्ध के पीड़ितों और उनके परिवारों को इतने साल बाद भी न्याय मिल सके. ICT ने बनने के बाद कई बड़े फैसले सुनाए जैसे कि कई राजनीतिक नेताओं और संगठनों के शीर्ष लोगों को जन्मकैद और फांसी की सज़ा दी गई. इनमें जनसंहार, सामूहिक बलात्कार और टारगेटेड हत्या जैसे गंभीर अपराध शामिल थे.

ICT Bangladesh: शेख हसीना का केस

शेख हसीना के खिलाफ आया यह फैसला ICT के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे विवादित फैसला माना जा रहा है. अदालत के अनुसार, छात्र आंदोलन पर की गई कार्रवाई में हसीना की सीधी भूमिका साबित हुई और इसे मानवता के खिलाफ अपराध की श्रेणी में रखा गया. ICT भले 1971 के अपराधों के लिए बना था, लेकिन इस फैसले ने दिखाया कि यह अदालत आज के मामलों में भी कठोर कार्रवाई करने का अधिकार रखती है.

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