क्या वेनेजुएला पर हमला करने वाला है US? ट्रंप ने लैटिन अमेरिका में भेजा एयरक्राफ्ट कैरियर, मादुरो ने भी तैनात की आर्मी
USS Gerald Ford R in Latin America: मंगलवार को दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत यूएसएस गेराल्ड आर. फोर्ड लैटिन अमेरिका पहुंच गया. अमेरिकी नौसेना ने बताया कि यह तैनाती लगभग तीन सप्ताह पहले शुरू की गई थी, जिसका घोषित उद्देश्य ड्रग तस्करी की रोकथाम है. हालांकि, वेनेजुएला ने इस कदम को पूर्ण युद्ध की तैयारी बताते हुए अपनी सैन्य तैनाती की घोषणा कर दी है.
USS Gerald Ford R in Latin America: लैटिन अमेरिका में एक बार फिर से तनाव बढ़ रहा है. अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव की स्थिति दोबारा बनती हुई दिख रही है. दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला के नजदीक अमेरिकी सैन्य गतिविधि में तेजी आने से क्षेत्र में भू-राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. मंगलवार को दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत यूएसएस गेराल्ड आर. फोर्ड लैटिन अमेरिका पहुंच गया. अमेरिकी नौसेना की सदर्न कमांड लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र की निगरानी करती है. उसने पुष्टि की कि यह पोत अब उसके परिचालन क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है. अमेरिकी नौसेना ने बताया कि यह तैनाती लगभग तीन सप्ताह पहले शुरू की गई थी, जिसका घोषित उद्देश्य ड्रग तस्करी की रोकथाम है. हालांकि, वेनेजुएला ने इस कदम को पूर्ण युद्ध की तैयारी बताते हुए अपनी सैन्य तैनाती की घोषणा कर दी है.
अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) के प्रवक्ता शॉन पर्नेल ने कहा कि “यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड की मौजूदगी अमेरिका की सामरिक क्षमता को और मजबूत करेगी. यह तैनाती ड्रग तस्करों की गतिविधियों की पहचान, निगरानी और रोकथाम में मदद करेगी. कैरेबियन सागर से होकर गुजरने वाला यह रूट अमेरिका की सुरक्षा और समृद्धि के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है.” अमेरिकी नौसेना के यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड के साथ ही नौ हवाई स्क्वाड्रन, दो आर्ले बर्क श्रेणी के मिसाइल विध्वंसक (यूएसएस बेनब्रिज और यूएसएस माहन), एक मिसाइल डिफेंस कमांड शिप (यूएसएस विंस्टन एस. चर्चिल) और 4000 से अधिक नाविकों के साथ लैटिन अमेरिका को कवर करने वाले यूएस सदर्न कमांड के क्षेत्र में पहुंच चुका है.
कैरिबियन और पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में सैन्य अभियान चला रहे ट्रंप
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस समय कैरिबियन और पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में वृहद सैन्य अभियान चला रहे हैं. इसमें अमेरिकी नौसेना और वायुसेना को ड्रग तस्करी रोकने के लिए लगाया गया है. लेकिन वेनेजुएला का मानना है कि इसका असली उद्देश्य मादुरो सरकार को गिराना है. ट्रंप प्रशासन पहले ही मादुरो के राष्ट्रपति चुने जाने को धोखाधड़ी का परिणाम करार दे चुका है. दूसरी ओर, वेनेजुएला ने ट्रंप प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने दावा किया कि अमेरिकी सैन्य गतिविधियां ड्रग्स तस्करी के खिलाफ अभियान के नाम पर चलाई जा रहीं यह गतिविधियां वास्तव में उनके शासन को अस्थिर करने और सत्ता से हटाने की साजिश का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि “अमेरिका हमारे खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा है.”
बीते दिनों हुए 19 हमलों में मारे गए 76 नागिरक
हालांकि ट्रंप ने 2 नवंबर को एक बयान में वेनेजुएला के साथ सीधी जंग की संभावना से इनकार किया, मगर यह भी कहा कि मादुरो के दिन अब गिने-चुने रह गए हैं. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक, सितंबर की शुरुआत से अमेरिकी बलों ने इस क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में कम से कम 19 जहाजों पर हमले किए हैं, जिनमें 76 लोगों की मौत हुई है. अमेरिकी कांग्रेस को दिए एक आधिकारिक नोटिस में ट्रंप प्रशासन ने दावा किया कि अमेरिका अब ड्रग कार्टेल्स के साथ सशस्त्र संघर्ष में है. हालांकि, अब तक अमेरिका ने यह साबित नहीं किया है कि जिन जहाजों पर हमला हुआ, वे वास्तव में ड्रग तस्करी में शामिल थे.
मादुरो की सूचना देने वाले को 50 मिलियन डॉलर का ईनाम
पेंटागन ने अपने बयान में कहा कि यह तैनाती अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग तस्करी रोकने, अपराध सिंडिकेट्स को कमजोर करने और उन्हें समाप्त करने में मदद करेगी. अगस्त में वाशिंगटन प्रशासन ने मादुरो के खिलाफ कदम और सख्त करते हुए, उनकी गिरफ्तारी में मददगार जानकारी देने वाले व्यक्ति के लिए इनाम की राशि बढ़ाकर 50 मिलियन डॉलर (करीब 400 करोड़ रुपये) कर दी थी. अमेरिका ने उन पर ड्रग्स तस्करी और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्क से जुड़े होने के आरोप लगाए हैं. हालांकि मादुरो ने सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज किया है.
वेनेजुएला अपनी तैयारी में जुटा
वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिका वेनेजुएला के निर्दोष नागरिकों को मार रहा है. इसके जवाब में, वेनेजुएला ने अपने तटीय इलाकों में व्यापक सैन्य तैनाती की घोषणा की है. उन्होंने चेतावनी दी कि “अगर अमेरिका ने हमारे खिलाफ तख्तापलट की कोशिश की, तो लाखों वेनेजुएलन बंदूकों के साथ अमेरिका की ओर मार्च करेंगे.” दक्षिण अमेरिकी देश के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि देश साम्राज्यवादी खतरे से निपटने के लिए थल, जल, वायु, नदी और मिसाइल बलों के साथ-साथ सिविल मिलिशिया को भी सक्रिय कर रहा है. विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के साथ सीधे सैन्य टकराव की स्थिति में वेनेजुएला को गंभीर नुकसान उठाना पड़ सकता है.
अमेरिकी सैन्य मौजूदगी बढ़ने के बाद वेनेजुएला ने सैन्य तैयारी शुरू कर दी है. राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के आदेश पर देश के रक्षा मंत्री व्लादिमीर पाद्रीनो लोपेज ने घोषणा की कि थल सेना, नौसेना, वायुसेना और रिजर्व बल बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास करेंगे. यह अभ्यास बुधवार तक चलेगा और इसमें बोलीवारियन मिलिशिया नामक नागरिक रिजर्व फोर्स भी भाग लेगी. यह बल पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज के समय बनाया गया था. लोपेज ने कहा कि यह कदम अमेरिका की साम्राज्यवादी धमकियों का सीधा जवाब है.
रूस ने की ताजा अमेरिकी कार्रवाई की निंदा
इस बीच, रूस ने भी अमेरिका की कार्रवाई की निंदा करते हुए अपने सहयोगी वेनेजुएला का समर्थन किया है. रूस ने वेनेजुएला की नौकाओं पर अमेरिकी हमलों को अवैध और अस्वीकार्य बताया है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह विवाद अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी गंभीर रूप ले चुका है. विश्लेषकों का कहना है कि मौजूदा हालात कूटनीतिक तनाव से आगे बढ़कर सैन्य टकराव की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं. हालांकि ट्रंप प्रशासन इसे ड्रग्स के खिलाफ अभियान बता रहा है, लेकिन वेनेजुएला इसे अपने राजनीतिक अस्तित्व के खिलाफ हमला मान रहा है. रूस ने हाल ही में वेनेजुएला की सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी के लिए कुछ हथियार उपलब्ध करवाए हैं.
कैरिबियन में पहले से मौजूद थी बड़ी अमेरिकी सेना
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने इस पोत की तैनाती का आदेश दिया था. इसके बाद कैरेबियन सागर में पहले से मौजूद आठ युद्धपोतों, एक परमाणु पनडुब्बी और एफ-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमानों की तैनाती में और इजाफा हो गया है. साल 2017 में कमीशन हुआ जेराल्ड आर. फोर्ड अमेरिका का सबसे नया और दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत माना जाता है. इस पर पांच हजार से अधिक नौसैनिक तैनात हैं और यह किसी भी देश को तबाह करने में अकेले ही काफी है, विशेषकर वेनेजुएला जैसे छोटे देश को.
सहयोगियों का हटना और बढ़ती असहजता
अमेरिका लंबे समय से इस क्षेत्र में ड्रग कार्टेल्स के खिलाफ अभियान चला रहा था, जिसमें ब्रिटेन और कनाडा उसके सहयोगी थे. पहले इस क्षेत्र में तस्करों को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाती थी. लेकिन अब अमेरिकी सेना सीधे हवाई और नौसैनिक हमले कर रही है. सीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक उसके सहयोगी देश असहज महसूस कर रहे हैं. वे इसे एक्स्ट्रा जुडिशियल किलिंग मान रहे हैं. ब्रिटेन के बाद कनाडा ने भी इन अभियानों से दूरी बना ली है. कनाडाई रक्षा मंत्रालय ने साफ किया कि उनके अभियान अमेरिकी सैन्य कार्रवाई से पूरी तरह स्वतंत्र हैं और वे नहीं चाहते कि उनकी खुफिया जानकारी किसी हमले में इस्तेमाल की जाए.
विशेषज्ञों की संघर्ष की चेतावनी
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की यह पूरी रणनीति वेनेजुएला और कैरेबियन क्षेत्र पर दबाव बढ़ाने का हिस्सा है. वॉशिंगटन पहले ही कुछ ड्रग कार्टेल्स को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर चुका है, जिससे उसे किसी भी सैन्य कार्रवाई को वैध ठहराने का बहाना मिल जाता है. विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति आगे चलकर वेनेजुएला के तटों पर सैन्य नाकाबंदी या सीधी अमेरिकी कार्रवाई में बदल सकती है, जो इस क्षेत्र को एक नए युद्ध की ओर धकेल देगी, खासकर तब जबकि वेनेजुएला के रूस से गहरे रणनीतिक संबंध पहले से ही मौजूद हैं.
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