चुनावी हिंसा पर भड़कीं शेख हसीना, कहा- लोकतंत्र लौटेगा, हमारी पार्टी.. पाकिस्तानी दोस्ती पर खोली यूनुस की पोल
Sheikh Hasina Targets Muhammad Yunus: बांग्लादेश में चुनावों का ऐलान होते ही आक्रामक भाषण और बयानों की बाढ़ सी आ गई है. भारत के खिलाफ इस बदले माहौल के लिए शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि देर सवेर बांग्लादेश में लोकतंत्र लौटेगा. उन्होंने पाकिस्तान से मोहम्मद यूनुस की दोस्ती का भी भेद खोला है.
Sheikh Hasina Targets Muhammad Yunus: बांग्लादेश में चुनावों का ऐलान होने के साथ ही हिंसा में भी बढ़ोतरी हो गई है. अब तो अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस के राज में भारत के नॉर्थ ईस्ट में परेशानी खड़ी करने की गीदड़भभकी भी खुले आम दी जा रही है. हालांकि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि अंतरिम मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के शासन में होने वाला कोई भी चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी नहीं हो सकता. 12 फरवरी को होने वाले इस चुनाव में हसीना की पार्टी अवामी लीग के भाग लेने पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. इस पर शेख हसीना ने कड़ी टिप्पणी की हैं.
CNN-News18 को दिए गए एक विशेष साक्षात्कार में शेख हसीना ने खुलकर बात की. ईमेल इंटरव्यू में, उन्होंने अपनी सरकार के पिछले साल सत्ता से हटने के बाद उनकी पार्टी अवामी लीग पर लगाए गए प्रतिबंध की कड़ी निंदा की. हसीना ने कहा कि अगर अवामी लीग पर लगा प्रतिबंध बरकरार रहता है, तो कोई भी चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष या समावेशी नहीं हो सकता. मोहम्मद यूनुस ने करोड़ों नागरिकों को मताधिकार से वंचित कर दिया है और देश से विकल्प छीन लिया है. हमारे बिना होने वाला कोई भी चुनाव अगली सरकार की वैधता को कमजोर करेगा.
जनता की आवाज दबा रहे ‘यूनुस सरकार’
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री को पिछले महीने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने मानवता के खिलाफ अपराधों के एक मामले में मौत की सजा सुनाई थी. वह बांग्लादेश की पहली प्रधानमंत्री हैं जिन्हें इस तरह की सजा दी गई. इंटरव्यू में हसीना ने यह भी याद दिलाया कि बांग्लादेश में उनकी पार्टी किस तरह अत्याचारों का सामना कर रही है. उन्होंने कहा कि इस प्रशासन ने हमारी पार्टी पर प्रतिबंध लगाया, हजारों लोगों को झूठे आरोपों में हिरासत में लिया, पत्रकारों की आवाज दबाई और न्यायिक स्वतंत्रता को नष्ट कर दिया.
जब उनसे पूछा गया कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया जाए और उसके नेता को मौत की सजा सुना दी जाए, तो उस पार्टी का भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकता है? इस हसीना ने कहा कि अवामी लीग बांग्लादेश के इतिहास और स्वतंत्रता की बुनियाद में रची-बसी है. हमने हत्याओं, सैन्य शासन और राजनीतिक तौर पर मिटाने की बार-बार की गई कोशिशों को झेला है. यह मौत की सजा एक कठपुतली अदालत का नतीजा है, जो एक गैर-निर्वाचित अंतरिम सरकार के इशारे पर काम कर रही है.
उन्होंने आगे कहा कि हमें उम्मीद है कि देर-सबेर बांग्लादेश में लोकतंत्र लौटेगा और हमारी पार्टी को उसका उचित स्थान मिलेगा. पार्टी पर मौजूदा प्रतिबंध सिर्फ अंतरिम सरकार की असुरक्षा और असली लोकतांत्रिक मुकाबले से डर को उजागर करता है. हम पर प्रतिबंध लगाने से हमारे करोड़ों समर्थक खत्म नहीं हो जाते. अवामी लीग को जनता ने नौ बार चुना है, क्योंकि हम हर गांव और हर मोहल्ले में जड़ें जमाए हुए हैं. हम कानूनी, कूटनीतिक और शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्ष जारी रखेंगे, ताकि बांग्लादेश को उसके लोगों को वापस सौंपा जा सके.
पाकिस्तान से पींगें बढ़ा रहे मोहम्मद यूनुस
हाल के दिनों में बांग्लादेश में पाकिस्तान के ISI की गतिविधियां बढ़ गई हैं. पाकिस्तानी सेना प्रमुखों से मोहम्मद यूनुस की मुलाकातें, भारत के पूर्वोत्तर को ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ के रूप में दिखाना, सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर आने वाले बयानों से भारत को उकसाने की कोशिश की जा रही है. इस पर हसीना ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने सर्वसम्मति से यूनुस की कार्रवाइयों की निंदा की है, उनकी सरकार के सदस्य विरोध में इस्तीफा दे रहे हैं और करोड़ों बांग्लादेशी अब उनकी चालों को समझने लगे हैं.
यूनुस का पाकिस्तान की ओर भागना हैरानी की बात नहीं है, वह किसी भी तरह की अंतरराष्ट्रीय वैधता की भीख मांग रहे हैं. यूनुस के पास न तो कूटनीति का अनुभव है और न ही जनादेश. कूटनीति दीर्घकालिक साझेदारी और देश के रणनीतिक हितों से जुड़ी होती है. मैं भारत के धैर्य की सराहना करती हूं, जो ऐसे नेता की प्रतीक्षा कर रहा है जो सच में हमारे देश का प्रतिनिधित्व कर सके, न कि मुट्ठीभर अलोकप्रिय चरमपंथियों का.
स्वतंत्र बांग्लादेशी ऐसा नेता चुनेंगे, जो भारत का सच्चा मित्र होगा
जब उनसे पूछा गया कि आपके पद छोड़ने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में जो दरार आई है, क्या ये रिश्ते फिर से सुधर पाएंगे? शेख हसीना ने कहा कि पूरा विश्वास है कि भारत के साथ हमारा रिश्ता यूनुस के इस अस्थायी दौर की नासमझी को झेल लेगा. भारत सिर्फ रणनीतिक साझेदार नहीं, बल्कि हमारा मित्र है, जिसके साथ हमारी संस्कृति, इतिहास और 4,000 किलोमीटर लंबी सीमा साझा है. जब बांग्लादेशी स्वतंत्र रूप से वोट डाल पाएंगे, तो वे ऐसा नेता चुनेंगे जो भारत के लिए भी एक सच्चा मित्र होगा.
‘बार-बार दी चुनौती ले चलो हेग’
बांग्लादेश ने शेख हसीना को मौत की सजा देने के बाद भारत से उनके प्रत्यर्पण की मांग की है. ऐसे में अगर भारत आपको ढाका भेजने पर सहमत होता है, तो क्या आप मुकदमे का सामना करने लौटेंगी? हसीना ने कहा कि यह राजनीतिक हत्या है, जिसे न्यायिक आवरण पहनाया गया है. तथाकथित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण न तो अंतरराष्ट्रीय है और न ही निष्पक्ष. यूनुस शासन में ढाका लौटना मेरे लिए सुरक्षित नहीं होगा. शेख हसीना ने आगे कहा कि उन्होंने बार-बार चुनौती दी है कि इन आरोपों को हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में ले जाया जाए, लेकिन यूनुस इससे इनकार करते हैं, क्योंकि वहां उन्हें बरी किया जाएगा और उनकी सरकार के मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच होगी.
भारत का जताया आभार
हसीना ने इसके बाद भारत की तारीफ करते हुए कहा कि वे भारतीय जनता की आभारी हैं. वे अपना घर छोड़ना नहीं चाहती थी, लेकिन वहां रहना उनके और उनके आसपास के लोगों के लिए खतरनाक हो सकता था. उन्होंने आगे कहा कि अवामी लीग पर प्रतिबंध रहते हुए कोई भी चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकता. यूनुस ने करोड़ों लोगों को उनके वोट से वंचित कर दिया है. हमारे बिना चुनाव अगली सरकार की वैधता को कमजोर करेगा.
शेख हसीना 5 अगस्त 2024 से भारत में हैं. उनके खिलाफ छात्र आंदोलन के बाद उनकी जान को खतरा पैदा हो गया, जिसकी वजह से देश छोड़कर भागना पड़ा. हालांकि वे अब भी बांग्लादेश के नागरिकों के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा है कि बांग्लादेश में न्याय अंतरराष्ट्रीय दबाव और लोकतंत्र की बहाली से आएगा. मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र ने अंतरिम सरकार की इन कार्यवाहियों की निंदा की है.
12 दिसंबर को डाले जाएंगे वोट
आपको बता दें कि बांग्लादेश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने 12 दिसंबर को चुनाव की तारीख तय की है. इस दिन सुबह 7.30 बजे से शाम को 4.30 बजे तक वोट डाले जाएंगे. इसी दिन बांग्लादेश के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस की ओर से पेश किए गए सुधारों पर जनमत संग्रह भी कराए जाएंगे. हालांकि शेख हसीना की अवामी लीग को इस चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया गया है.
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