इस्लाम का गढ़ सऊदी में रेत के नीचे छिपा मिला 12000 साल पुराना रहस्य, इंसानों ने पत्थरों पर क्या छोड़े थे निशान?
Saudi Arabia Discovered: सऊदी अरब के अल नफूद रेगिस्तान में मिली 12,000 साल पुरानी चट्टान कला ने इतिहास की परिभाषा बदल दी है. ऊंट, हिरण और भैंसे की जीवन-आकार नक्काशियां बताती हैं कि यह रेत कभी हरी-भरी धरती थी जहां इंसान ने पहली बार कला रची थी.
Saudi Arabia Discovered: रेगिस्तान की रेत सिर्फ सन्नाटा नहीं समेटे हुए है, उसमें इंसान की पहली कल्पनाओं के निशान दफ्न हैं. सऊदी अरब के अल नफूद रेगिस्तान की तपती जमीन के नीचे कुछ ऐसा मिला है, जिसने पुरातत्व की किताब में एक नया पन्ना जोड़ दिया. यहां वैज्ञानिकों ने ऊंट, हिरण, घोड़े और अब विलुप्त हो चुके जंगली भैंसे जैसी आकृतियों की जीवन-आकार की नक्काशियां खोजी हैं जो कि लगभग 12,000 से 16,000 साल पुरानी हैं. जर्मनी के मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ जियोएन्थ्रोपोलॉजी की पुरातत्वविद मारिया गुआगिन की टीम ने इस खोज की अगुवाई की. वैज्ञानिकों ने पाया कि इन विशाल आकृतियों को सिर्फ एक नुकीले पत्थर से बनाया गया था. इनमें से कई चित्र छह फीट से भी ऊंचे हैं.
गुआगिन के मुताबिक, “सिर्फ एक पत्थर से इतनी बारीकी से काम करना एक खास कला है.” यह कल्पना कीजिए कि कलाकार ऐसी संकरी चट्टानों पर काम कर रहे थे, जहां वे पीछे हटकर अपने बनाए चित्र को देख भी नहीं सकते थे. यानी हर वार में परफेक्शन, बिना कोई दूसरा मौका. इस खोज ने इतिहास की टाइमलाइन बदल दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि लोग सऊदी अरब में पहले के अनुमान से करीब 2000 साल पहले रहते थे. यानी ये समुदाय उस वक्त मौजूद थे, जब यह इलाका आज की तरह सूखा नहीं, बल्कि जीवंत रहा होगा. मगर बड़ा सवाल यही है कि इतनी बंजर जमीन पर ये लोग जिए कैसे? क्या वे मौसमी झीलों के भरोसे थे, या गहरी दरारों में जमा पानी ही उनकी प्यास बुझाता था?
Saudi Arabia Discovered: पत्थर का औजार बना टाइम मशीन
साइट पर वैज्ञानिकों को चट्टानों के नीचे एक पत्थर का औजार मिला, जिससे ये नक्काशियां बनाई गई थीं. इसी औजार की रेडियोकार्बन डेटिंग से इन कलाकृतियों की उम्र का पता चला है जो करीब 11,400 से 12,800 साल पुरानी. इस खोज को प्रतिष्ठित जर्नल ‘नेचर कम्युनिकेशन्स’ में मंगलवार को प्रकाशित किया गया. जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविद माइकल हैरोवर ने कहा है कि हमें इस प्राचीन काल में मध्य पूर्व की कला के बारे में बहुत कम जानकारी है. यह खोज उस खाली जगह को भरती है.
इन नक्काशियों में एक जंगली भैंसे (ऑरोक्स) की आकृति भी है जो अब विलुप्त हो चुका है और कभी रेगिस्तान में नहीं रहता था. इससे गुआगिन को यह अंदाजा हुआ कि शायद कलाकार कहीं और से यात्रा करके आए होंगे, या उस समय का मौसम आज जैसा सूखा नहीं था. उनके अनुसार, ये कलाकार कोई घुमंतू लोग नहीं, बल्कि एक स्थापित समुदाय रहे होंगे, जो इस इलाके को अच्छी तरह जानते थे.
Saudi Arabia Discovered in Hindi: ‘ग्रीन अरेबिया प्रोजेक्ट’ की बड़ी खोज
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, यह खोज सऊदी अरब के ‘ग्रीन अरेबिया प्रोजेक्ट’ के तहत हुई. इसमें हेरिटेज कमीशन, स्थानीय विश्वविद्यालयों और अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्रों की टीमों ने मिलकर काम किया. इस अध्ययन में 176 नक्काशियां दर्ज की गईं हैं जिनमें 130 ऊंट, बकरियां, घोड़े, हिरण और ऑरोक्स की जीवन-आकार की आकृतियां शामिल हैं. कुछ चित्र तीन मीटर तक लंबे हैं और इतनी ऊंचाई पर खुदे हैं कि उन्हें बनाना आज भी चुनौती माना जाएगा. ये नक्काशियां कलाकारों की कुशलता, साहस और धैर्य की मिसाल हैं.
Almost 200 engravings created around 12,000 years ago have been discovered in Saudi Arabia, including depictions of camels etched into cliff faces over 40 metres high https://t.co/CV4Wl2FIkJ
— New Scientist (@newscientist) October 2, 2025
जब अरब था हरा- ‘ग्रीन डेजर्ट’ का सबूत
गल्फ न्यूज के अनुसार, शोधकर्ताओं का कहना है कि ये कलाकृतियां 13,000 से 16,000 साल पहले के नम जलवायु काल में बनी होंगी, जब अरब का ये इलाका हरियाली और झीलों से भरा हुआ था. आज का यह रेगिस्तान तब जीवंत धरती था जहां इंसान बसता था, जानवर घूमते थे और कला की पहली लकीरें खींची जा रही थीं. इस खोज से वैज्ञानिकों को चट्टान कला के विकास, पूर्व-ऐतिहासिक जीवन शैली, और उत्तरी अरब व पड़ोसी क्षेत्रों के सांस्कृतिक रिश्तों की नई जानकारी मिली है.
ये भी पढ़ें:
UAE ने वीजा सिस्टम में किए बड़े बदलाव! ट्रक ड्राइवरों, पर्यटकों और परिवारों के लिए नए रास्ते खुले
