कभी रॉक सिंगर थीं साने ताकाइची, अब बनने जा रही हैं जापान की पहली महिला पीएम! चीन और अमेरिका को करेंगी टाइट

Sanae Takaichi To Become Japan First Female Prime Minister: जापान की सियासत में बड़ा मोड़ आया है, साने ताकाइची बनीं एलडीपी की प्रमुख. पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की रेस में आगे, पर सोच अब भी रूढ़िवादी है. क्या ये बदलाव की शुरुआत है या परंपरा की वापसी? पढ़िए ताकाइची की सियासी कहानी और उनके सख्त रुख के बारे में.

By Govind Jee | October 5, 2025 1:26 PM

Sanae Takaichi To Become Japan First Female Prime Minister: जापान की राजनीति में इन दिनों हलचल है. साने ताकाइची, जो कभी हेवी-मेटल ड्रम बजाया करती थीं, अब लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) की प्रमुख बन गई हैं. यही पार्टी दशकों से जापान की सत्ता पर काबिज है. और अब ताकाइची का नाम सामने आने के बाद, पूरा देश इस सवाल पर चर्चा कर रहा है कि क्या जापान को अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री मिलने वाली है?

शनिवार को हुए मुकाबले में ताकाइची ने पूर्व प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइज़ुमी के बेटे शिंजिरो कोइज़ुमी को दूसरे दौर में हरा दिया. पहले राउंड में किसी को भी बहुमत नहीं मिला था, इसलिए फैसला रन-ऑफ वोटिंग से हुआ. अब पूरा जापान 15 अक्टूबर की ओर देख रहा है, जब संसद नए प्रधानमंत्री के लिए मतदान करेगी.

Sanae Takaichi To Become Japan First Female Prime Minister: पुरुष-प्रधान राजनीति में महिला चेहरा

64 साल की साने ताकाइची जापान की राजनीति में एक जाना-पहचाना रूढ़िवादी चेहरा हैं. वो एलडीपी के दक्षिणपंथी धड़े से आती हैं, वही धड़ा जिसने कभी शिंजो आबे जैसे नेताओं को ताकत दी थी. जापानी राजनीति में महिलाओं की मौजूदगी आज भी बेहद सीमित है. संसद के निचले सदन में महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ करीब 15% है, जबकि पूरे देश में सिर्फ दो प्रीफेक्चुरल गवर्नर महिलाएं हैं.

टोकाई यूनिवर्सिटी में जेंडर और राजनीति के प्रोफेसर युकी त्सुजी के मुताबिक, “ताकाइची को महिलाओं के अधिकारों या लैंगिक समानता की नीतियों में कोई दिलचस्पी नहीं रही है.” त्सुजी के अनुसार, ताकाइची का पूरा करियर पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने में गुजरा है, न कि उन्हें चुनौती देने में.

साने ताकाइची नारीवाद से बहुत दूर हैं

ताकाइची एलडीपी की उस सोच से पूरी तरह मेल खाती हैं जिसमें महिलाओं को घर-परिवार की भूमिका में देखने पर जोर दिया जाता है. उन्होंने समलैंगिक विवाह का विरोध किया है. महिलाओं के शाही उत्तराधिकार का समर्थन नहीं किया और विवाहित जोड़ों को अलग-अलग उपनाम रखने के कानून के भी खिलाफ रही हैं. हालांकि, एक मौके पर उन्होंने रजोनिवृत्ति (Menopause) से जुड़ी अपनी निजी परेशानियों के बारे में खुलकर बात की थी. उन्होंने कहा कि पुरुषों को महिला स्वास्थ्य के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि कार्यस्थल पर महिलाओं को बेहतर समझ और समर्थन मिल सके.

तीन दशक का सियासी सफर

साने ताकाइची 1993 में अपने गृह क्षेत्र नारा से पहली बार सांसद चुनी गई थीं. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आर्थिक सुरक्षा, आंतरिक मामलों और लैंगिक समानता मंत्रालय जैसे अहम पद उनके नाम रहे हैं. वो ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर को अपनी राजनीतिक प्रेरणा मानती हैं और शिंजो आबे के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में गिनी जाती हैं. दोनों के राजनीतिक दृष्टिकोण में काफी समानता है जैसे कि  राष्ट्रवाद और सुरक्षा नीति के मामले में.

ड्रम से राजनीति तक की यात्रा

कभी ताकाइची की पहचान एक हेवी-मेटल ड्रमर (रॉक संगीत की एक शैली) और बाइक राइडर के रूप में होती थी. राजनीति में आने के बाद उन्होंने खुद को एक सख्त, अनुशासित और राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया. उनकी नीतियों की सूची में शामिल हैं जैसे- रक्षा बजट में बढ़ोतरी, परमाणु संलयन (nuclear fusion) पर शोध को बढ़ावा, साइबर सुरक्षा मजबूत करना, आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज और कड़े इमिग्रेंट्स नियम.

विदेश नीति में आक्रामक रुख

विदेश नीति के मोर्चे पर ताकाइची का रुख हमेशा से सख्त माना जाता है. वो यासुकुनी श्राइन की नियमित विजिटर हैं. वही विवादित तीर्थस्थल जहां जापान के युद्ध अपराधियों को भी श्रद्धांजलि दी जाती है. पड़ोसी चीन और दक्षिण कोरिया इसे अपमानजनक मानते हैं. एजेंसी AP के मुताबिक, ताकाइची चीन के प्रति कठोर और दक्षिण कोरिया के प्रति सतर्क नीति रखने वाली नेता हैं. 

यहां तक कि ताकाइची ट्रंप ट्रेड डील के खिलाफ हैं. रॉयटर्स के अनुसार, हाल ही में जापान ने अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया था जिसमें जापानी ऑटोमोबाइल पर टैरिफ 27.5% से घटाकर 15% किया गया था.  अगर वो प्रधानमंत्री बनती हैं, तो जापान की विदेश नीति में और अधिक दृढ़ता (या आक्रामकता) देखने को मिल सकती है. हालांकि, उनका यह सख्त रवैया सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल मध्यमार्गी कोमेइतो पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है. इसके बावजूद ताकाइची ने संकेत दिए हैं कि वह अति-दक्षिणपंथी समूहों के साथ काम करने को तैयार हैं.

जापान में बदलाव की उम्मीद या पुरानी सोच की वापसी?

साने ताकाइची का एलडीपी प्रमुख बनना एक बड़ा प्रतीकात्मक कदम है जो पहली बार किसी महिला ने जापान की इस ताकतवर पार्टी की कमान संभाली है. लेकिन सवाल यह भी है कि क्या वो ‘पहली महिला प्रधानमंत्री’ बनकर वाकई कुछ नया करेंगी, या फिर पुरानी सोच को ही और मजबूत करेंगी? उनके आलोचकों का कहना है कि ताकाइची “थैचर जैसी मजबूत नेता तो बन सकती हैं, लेकिन नारीवादी नहीं.” अब 15 अक्टूबर को होने वाले संसदीय मतदान में तय होगा कि क्या जापान एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाएगा, या फिर यह कहानी भी जापान की पारंपरिक राजनीति की एक और कड़ी बनकर रह जाएगी.

ये भी पढ़ें:

जापान में बदलने जा रहा है इतिहास! साने ताकाइची बनने जा रही हैं देश की पहली महिला प्रधानमंत्री

घूमने गए थे सिंगापुर पहुंच गए जेल, दो भारतीयों ने वेश्याओं को होटल में बुलाकर गहने और पैसे लूटे

0.12 ग्राम के हथियार से अमेरिका हिला! जानें ये क्या चीज है जिससे ट्रंप भी चीन के आगे गिड़गिड़ाने पर हो गए मजबूर