Trump Tariffs : रूस ने भारत के समर्थन में कह दी ये बात, डोनाल्ड ट्रंप को लग सकता है बुरा

Trump Tariffs : भारत, चीन के बाद रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. भारत की ऊर्जा आपूर्ति में लगभग 40% हिस्सा मॉस्को का है. रूस ने कहा है कि रक्षा के क्षेत्र में भी भारत के लिए पसंदीदा साझेदार बना हुआ है. जानें रूस ने ऐसा क्या कह दिया जिससे अमेरिका को लग सकती है चिढ़.

By Amitabh Kumar | August 21, 2025 6:54 AM

Trump Tariffs : रूस ने अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और टैरिफ को लेकर उठी चिंताओं को खारिज कर दिया. रूस की ओर से कहा गया है कि भारत के तेल आपूर्ति पर असर नहीं पड़ेगा. वरिष्ठ रूसी अधिकारियों ने कहा कि मॉस्को के पास एक खास प्लान है जिससे वह डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा ऊर्जा व्यापार पर लगाई गई पाबंदियों से निपट सकता है.

भारत आएंगे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

रूस रक्षा के क्षेत्र में भी भारत के लिए पसंदीदा साझेदार बना हुआ है. मई में भारत और पाकिस्तान के बीच  झड़प हुआ जो एस-400 वायु रक्षा प्रणाली जैसी रूसी हथियारों के लिए बहुत सफल युद्ध परीक्षण साबित हुआ. यह बात रूस के चार्ज डी’अफेयर्स रोमन बाबुश्किन ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कही. उन्होंने यह भी पुष्टि की कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल के अंत में वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा करेंगे, हालांकि तारीखों की घोषणा अभी नहीं हुई है.

भारत की ऊर्जा आपूर्ति में लगभग 40% हिस्सा मॉस्को का

भारत, चीन के बाद रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है. देश की ऊर्जा आपूर्ति में लगभग 40% हिस्सा मॉस्को का है. 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद में काफी वृद्धि हुई. अमेरिका 28 अगस्त से रूसी तेल की खरीद को लेकर भारतीय निर्यात पर 25% का दंडात्मक शुल्क लगाने जा रहा है, जो 25% के शुल्क के अतिरिक्त होगा.

उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने क्या कहा?

इस बीच, रूस के पहले उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव ने कहा कि रूस से भारत को तेल और ऊर्जा संसाधनों का निर्यात जारी रहेगा. मॉस्को को भारत को एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) निर्यात करने की भी संभावनाएं दिख रही हैं. मंटुरोव ने बताया, “हम कच्चे तेल, तेल से बने उत्पाद, बिजली उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाला ईंधन और कोयले का निर्यात लगातार कर रहे हैं. हम भारत को रूसी एलएनजी भेजने की भी संभावना देख रहे हैं.”

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उन्होंने आगे कहा, “हम शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में भारत के साथ और अधिक सहयोग की उम्मीद करते हैं, खासकर कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना में मिले सफल अनुभव के आधार पर.” भारत के विदेश में जयशंकर और मंटुरोव ने आईआरआईजीसी-टीईसी सत्रों के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए, जिसका विवरण बाद में भारत एवं रूस की सरकारों द्वारा जारी किया जाएगा.