ढाका में जली मशाल, बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा, जगह-जगह फूटे बम, अब यूनुस राज में क्या होने वाला है?

Protest in Bangladesh: बांग्लादेश एक बार फिर से आंदोलन की राह पर बढ़ता दिख रहा है. इस बार इसके निशाने पर यूनुस सरकार है, जिन्होंने इस्लामिक समूहों के दबाव में आकर स्कूलों से संगीत और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद खत्म कर दिए हैं.

By Anant Narayan Shukla | November 13, 2025 11:56 AM

Protest in Bangladesh: बांग्लादेश में फिर से बवाल की आहट सुनाई देने लगी है. यह केवल आहट नहीं है, बल्कि जोरदार तैयारी लग रही है. बांग्लादेशी छात्र समुदाय फिर से गुस्से में है. वही ताकत जिसने कुछ महीने पहले देश के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया था. ढाका से लेकर चटगांव तक देशभर के विश्वविद्यालय और कॉलेजों में आक्रोश भड़क उठा है. मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने कथित रूप से इस्लामिक समूहों के दबाव में स्कूलों से संगीत और शारीरिक शिक्षा शिक्षकों के पद खत्म कर दिए हैं. इसी के बाद व्यापक विरोध पैदा हो गया है.

यूनुस सरकार के आदेश के बाद छात्र मशालें लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. ढाका की सड़कों पर नारे लगा रहे हैं, “तुम स्कूलों से संगीत को मिटा सकते हो, दिलों से नहीं.” इन प्रदर्शनों को बांग्लादेश की सांस्कृतिक पहचान की रक्षा की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है. ढाका के कई इलाकों में विस्फोटों, झड़पों और लॉकडाउन की खबरें सामने आई हैं, जिससे देश में अशांति का माहौल और गहरा गया है. यह विरोध सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय के खिलाफ नहीं बल्कि यूनुस की अंतरिम सरकार की नीतियों में बढ़ती इस्लामीकरण की प्रवृत्ति के खिलाफ एक व्यापक असहमति का प्रतीक माना जा रहा है.

इस बढ़ते आक्रोश के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस पर लोकतंत्र कुचलने और अपनी सरकार में कट्टरपंथियों का मुखौटा बनने का आरोप लगाया है. हसीना के मुताबिक मौजूदा अंतरिम प्रशासन संप्रदायिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी शक्तियों के प्रभाव में है, जिन्होंने सरकार में घुसपैठ कर ली है. आज 13 नवंबर को ही हसीना सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले की तारीख की घोषणा करने वाला है. उन पर छात्र आंदोलन के दौरान नरसंहार का आरोप है. पिछले साल इन आंदोलनों में कथित तौर पर एक हजार से ज्यादा छात्रों के मारे जाने आरोप है. इसी आंदोलन के बाद हसीना को 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश छोड़कर भागना पड़ा था. 

विडंबना यह है कि अब यूनुस की सरकार के खिलाफ भड़क रहा यही छात्र आंदोलन कुछ महीने पहले शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने वाली ताकत थी. तब छात्रों ने हसीना की सत्तावादी नीतियों और जवाबदेही की कमी के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन चलाया था, जिसने अंततः उनकी सत्ता के पतन और यूनुस को अंतरिम मुख्य सलाहकार बनाए जाने का रास्ता खोला. उस समय पश्चिमी देशों और बांग्लादेशी सिविल सोसायटी के कई हिस्सों ने इस कदम का स्वागत किया था.

लेकिन अब परिस्थितियाँ पलट गई हैं. जैसे-जैसे ढाका और देश के अन्य हिस्सों में विरोध की लपटें फैल रही हैं, वही युवा वर्ग जो कभी बदलाव के लिए हसीना के खिलाफ उतरा था, अब यूनुस की नीतियों से असंतुष्ट दिख रहा है और उन्हीं के खिलाफ आवाज उठा रहा है. ढाका में राजनीतिक तनाव की वजह से कई इलाकों में आगजनी और क्रूड बम विस्फोटों की घटनाएं सामने आई हैं. यूनुस सरकार ने इन हिंसक घटनाओं के लिए अवामी लीग समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है। ब्राह्मणबारिया में मोहम्मद यूनुस के ग्रामीण बैंक की एक शाखा को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया, जिसमें फर्नीचर और दस्तावेज पूरी तरह जलकर राख हो गए. कई जगहों पर क्रूड बम के फटने की खबरें भी सामने आई हैं. 

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