पाकिस्तान भारत को अलग रखकर दक्षिण एशिया में नया गठबंधन बनाने की तैयारी, बांग्लादेश और चीन के साथ करेगा नई साजिश
Pakistan South Asia Alliance: दक्षिण एशिया में पाकिस्तान भारत को बाहर रखकर नया क्षेत्रीय समूह बनाने की कोशिश कर रहा है. SAARC ठप है, लेकिन भारत की आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के चलते यह योजना चुनौतीपूर्ण दिखती है. विशेषज्ञों का मानना है कि बिना भारत के कोई भी पहल टिक नहीं पाएगी, जबकि चीन और बांग्लादेश इसमें पाकिस्तान का समर्थन कर रहे हैं.
Pakistan South Asia Alliance: दक्षिण एशिया में इन दिनों बड़ी हलचल है. पाकिस्तान एक नया क्षेत्रीय समूह बनाने की कोशिश कर रहा है वो भी भारत को बाहर रखकर. इशाक डार, जो पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री हैं, दावा कर रहे हैं कि बांग्लादेश और चीन के साथ बना उनका नया गठजोड़ अब बढ़कर बड़े स्तर तक जा सकता है. लेकिन वहीं दूसरी तरफ, विशेषज्ञ साफ कह रहे हैं कि भारत को अलग रखकर दक्षिण एशिया में कोई भी क्षेत्रीय पहल टिक नहीं सकती. पिछले हफ्ते इशाक डार ने कहा कि SAARC अब लगभग बंद हो चुका है, इसलिए दक्षिण एशिया को एक नया समूह चाहिए.
उनका कहना था कि यह इलाका अब जीरो-सम सोच और टूटे हुए ढांचों से बाहर निकलकर खुला और शामिल करने वाला क्षेत्र बने. उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान-चीन-बांग्लादेश का जो त्रिपक्षीय ढांचा इस साल बना है, उसे और देशों तक बढ़ाया जा सकता है. जून में कुनमिंग में इन तीनों देशों की पहली मीटिंग हुई थी. डार ने कहा कि छोटे-छोटे मुद्दों पर बने समूह अब जरूरत हैं और इन्हें किसी की जिद के चलते बाधित नहीं होना चाहिए. बात घुमाकर कही गई थी, लेकिन इशारा भारत पर था.
Pakistan South Asia Alliance in Hindi: SAARC कैसे ठप पड़ा?
SAARC का गठन 1985 में ढाका में हुआ था. इसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव थे. 2007 में अफगानिस्तान भी जुड़ गया. मकसद था कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सहयोग. लेकिन 2014 में काठमांडू में हुई आखिरी समिट के बाद से SAARC लगभग बंद है. 2016 में इस्लामाबाद में होने वाली मीटिंग उरी हमले की वजह से रद्द हो गई. भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद का आरोप लगाया और तब से कहा कि ऐसी स्थिति में SAARC नहीं चल सकती. इसके बाद भारत का ध्यान BIMSTEC पर चला गया, जिसमें पाकिस्तान शामिल नहीं है.
दक्षिण एशिया में 2 अरब से ज्यादा लोग रहते हैं. दुनिया का सबसे घना आबादी वाला इलाका. लेकिन व्यापार? सिर्फ 23 बिलियन डॉलर, यानी कुल व्यापार का 5% भी नहीं. वर्ल्ड बैंक कहता है कि अगर देश आपसी बाधाएं हटाएं तो व्यापार 67 बिलियन डॉलर तक हो सकता है. सबसे बड़ी दिक्कत है सीमा पार कनेक्टिविटी और राजनीतिक तनाव.
क्या पाकिस्तान की योजना चलेगी?
लाहौर की यूनिवर्सिटी ऑफ लाहौर की प्रोफेसर राबिया अख्तर का मानना है कि पाकिस्तान का यह प्रस्ताव अभी आकांक्षा ज्यादा है और वास्तविकता कम. उनके मुताबिक यह योजना दो बातों पर टिकेगी कि क्या बाकी देश इसे फायदा पहुंचाने वाला मानते हैं? क्या इस समूह में शामिल होने से भारत से रिश्तों पर असर पड़ेगा? यही वजह है कि कई जानकार पहले ही कह चुके हैं कि भारत को बाहर रखकर दक्षिण एशिया में कोई भी ढांचा टिकना मुश्किल है.
भारत का असर क्यों इतना बड़ा है?
एनडीटीवी में दिए हुए इंटरव्यू के अनुसार, जेएनयू के प्रोफेसर स्वर्ण सिंह बताते हैं कि भारत की स्थिति दक्षिण एशिया में अडिग है. भारत की आबादी पाकिस्तान से 7 गुना, रक्षा बजट 5 गुना, अर्थव्यवस्था 12 गुना और फॉरेक्स रिजर्व 45 गुना है. इसके अलावा नेपाल और भूटान जैसे देशों की कई ज़रूरी चीजें भारत के रास्ते ही चलती हैं. कोविड हो या प्राकृतिक आपदा भारत ने खुद को संकट के समय भरोसेमंद नेता साबित किया है. जेएनयू के ही प्रोफेसर शांतश कुमार सिंह का कहना है कि अगर भारत साथ नहीं होगा तो क्षेत्र बिखर जाएगा और फंड भी कम हो जाएंगे. चीन के बढ़ते असर के बीच भारत की सक्रिय भूमिका और भी जरूरी है.
पाकिस्तान का आरोप- SAARC को भारत ने रोका
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ताहिर हुसैन अंद्राबी ने कहा कि SAARC के रुके होने की वजह भारत है. उनका कहना था कि 1990 के दशक में भी भारत ने SAARC प्रक्रिया को रोका था और उस समय उसने पाकिस्तान को नहीं, किसी दूसरे देश को जिम्मेदार बताया था. पाकिस्तान का दावा है कि भारत की जिद SAARC को कमजोर कर रही है.
SAARC को ठप मानकर पाकिस्तान अब चीन और बांग्लादेश की मदद से नया क्षेत्रीय समूह बनाना चाहता है. बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मो. तौहीद हुसैन ने भी कहा कि ढाका, पाकिस्तान और चीन के साथ बने ऐसे मंच में शामिल होने पर विचार कर रहा है. पाकिस्तान का मकसद साफ है कि दक्षिण एशिया में भारत की भूमिका कम करना.
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