भारत की दबाई नस पर चीखा पाकिस्तान, सिंधु के पानी के लिए दुनिया को बुलाकर खड़ा किया वितंडा

Pakistan India Suspension of IWT: चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक हुए उतार-चढ़ाव ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ा दी है. इस्लामाबाद में इशाक डार ने राजनयिक कोर के लिए एक आपात मीडिया ब्रीफिंग की. इस दौरान उन्होंने भारत के ऊपर सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करने पर सवाल उठाए और पाकिस्तान के पक्ष में काफी तर्क पेश करने की कोशिश की.

By Anant Narayan Shukla | December 19, 2025 3:09 PM

Pakistan India Suspension of IWT: भारत की ओर से सिंधु जल समझौते (Indus Water Treaty) को सस्पेंड करने का असर अब दिख रहा है. जैसे-जैसे यह साफ हो रहा है, पाकिस्तान की चीख भी और बढ़ रही है. चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक हुए उतार-चढ़ाव ने पंजाब के किसानों के बीच चिंता पैदा कर दी. पाकिस्तान जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (वापडा) की दैनिक रिपोर्टों के अनुसार, चिनाब नदी पर मराला हेडवर्क्स में पानी के इनफ्लो और आउटफ्लो से जुड़ी स्थिति 9 दिसंबर से 18 दिसंबर के बीच चिंताजनक पाई गई. इन तारीखों के दौरान मराला पर पानी के आने और जाने की निगरानी की गई, जिसमें 9 दिसंबर को क्रमशः 10,100 और 3,800 क्यूसेक और 10 दिसंबर को 6,900 और 1,500 क्यूसेक दर्ज किए गए. पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने शुक्रवार को भारत द्वारा “पानी के हथियारीकरण” को लेकर गंभीर चिंता जताई.

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने चिनाब नदी के प्रवाह में अचानक हुए बदलाव को लेकर भारत से पत्र के माध्यम से स्पष्टीकरण मांगा है. इसके एक दिन बाद बाद ही इस्लामाबाद में इशाक डार ने राजनयिक कोर के लिए एक आपात मीडिया ब्रीफिंग की. डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अपनी ब्रीफिंग की शुरुआत में डार ने कहा कि वह एक ऐसी स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं, जो दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए खतरा बन सकती है.

उन्होंने कहा, “इस साल अप्रैल में हमने भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) को एकतरफा तौर पर स्थगित करने का कदम देखा था… लेकिन अब जो हम देख रहे हैं, वह भारत द्वारा की गई ठोस उल्लंघन की कार्रवाइयाँ हैं, जो IWT की मूल भावना पर सीधा प्रहार करती हैं और जिनके क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय कानून की पवित्रता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “इस साल हमने दो बार चिनाब नदी के प्रवाह में असामान्य और अचानक बदलाव देखे हैं. ये बदलाव 30 अप्रैल से 21 मई और 7 दिसंबर से 15 दिसंबर के बीच दर्ज किए गए. पानी के प्रवाह में ये बदलाव पाकिस्तान के लिए बेहद चिंताजनक हैं, क्योंकि ये इस ओर इशारा करते हैं कि भारत ने एकतरफा तौर पर चिनाब नदी में पानी छोड़ा है. भारत ने यह पानी बिना किसी पूर्व सूचना, बिना किसी डेटा या जानकारी साझा किए छोड़ा, जबकि संधि के तहत ऐसा करना अनिवार्य है.”

हमारी खेती के समय पानी में हेरफेर

डार ने आगे कहा कि भारत की यह ताजा कार्रवाई “पानी के हथियारीकरण का स्पष्ट उदाहरण है. हमारे कृषि चक्र के एक नाजुक समय में भारत द्वारा पानी में किया गया यह हेरफेर सीधे तौर पर हमारे नागरिकों के जीवन और आजीविका, साथ ही खाद्य और आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा है.” उन्होंने आगे कहा कि संधि के हालिया उल्लंघन तो केवल एक उदाहरण हैं. भारत लगातार और व्यवस्थित तरीके से इस संधि को कमजोर करने की कोशिश करता रहा है.”

भारत के बनाए डैम से खतरा

इशाक डार ने भारत के ऊपर आरोप लगाया कि किशनगंगा और रैटल (Ratle) जैसी जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण में भारत ने ऐसे डिजाइन फीचर्स अपनाए हैं, जो संधि की तकनीकी शर्तों का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने कहा, “भारत संधि की जिम्मेदारियों की पूरी तरह अनदेखी करते हुए अवैध बांधों का निर्माण जारी रखे हुए है, ताकि बाद में एक ‘फैट अकॉम्प्ली’ (तथ्यात्मक स्थिति) थोप दी जाए. इन बांधों के निर्माण से भारत की पानी को संग्रहित करने और उसके प्रवाह में हेरफेर करने की क्षमता बढ़ रही है, जो पाकिस्तान की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और 24 करोड़ लोगों की आजीविका को खतरे में डालती है.”

समय पर सूचना नहीं दे रहा भारत

डार ने कहा कि भारत ने संधि के तहत आवश्यक सूचना साझा करने, हाइड्रोलॉजिकल डेटा देने और संयुक्त निगरानी जैसी प्रक्रियाओं को रोक दिया है, जिससे पाकिस्तान बाढ़ और सूखे के खतरों के प्रति असुरक्षित हो गया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का यह कदम पाकिस्तान में मानवीय संकट को जन्म देने की पूरी क्षमता रखता है भारत द्वारा जारी पानी का हेरफेर अंतरराष्ट्रीय और मानवीय कानूनों का उल्लंघन है. अगर भारत को संधि और उसके तहत दायित्वों का उल्लंघन बिना किसी सजा के करने दिया गया, तो यह एक बेहद खतरनाक मिसाल कायम करेगा.

भारत के ऊपर आरोप, विफल कर रहा प्रावधान

डार ने यह भी कहा कि भारत संधि के विवाद समाधान तंत्र को कमजोर कर रहा है, क्योंकि वह स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) और न्यूट्रल एक्सपर्ट की कार्यवाहियों में भाग लेने से इनकार कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत संधि के प्रावधानों को जानबूझकर विफल करने की रणनीति पर काम कर रहा है. पाकिस्तान एक बार फिर दोहराना चाहता है कि IWT एक बाध्यकारी कानूनी दस्तावेज है, जिसने दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता में अमूल्य योगदान दिया है.

बयान के समर्थन में पेश की यूएन रिपोर्ट

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूतों (UN rapporteurs) की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने भी IWT से जुड़े भारत के कदमों पर चिंता जताई है. डार ने बताया कि यह रिपोर्ट 15 दिसंबर को सार्वजनिक की गई थी. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, 21 जून को भारत के गृह मंत्री ने घोषणा की थी कि भारत कभी भी इस संधि को बहाल नहीं करेगा और इसके बजाय एक नई नहर के ज़रिये पानी को भारत के राजस्थान की ओर मोड़ देगा.

युद्ध की कार्रवाई वाली बात दोहराई

उन्होंने आगे कहा कि उसी रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि 21 अप्रैल को पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति ने घोषणा की थी कि संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाले पानी को रोकने या मोड़ने की किसी भी कोशिश को “युद्ध की कार्रवाई” माना जाएगा. डार ने एक बार फिर भारत के साथ विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए पाकिस्तान की प्रतिबद्धता दोहराई, लेकिन चेतावनी के अंदाज में कहा कि पाकिस्तान “अपने लोगों के अस्तित्व से जुड़े जल अधिकारों पर कोई समझौता नहीं करेगा.”

‘पानी जीवन है और इसे हथियार नहीं बनाया जा सकता’

अपने संबोधन के अंत में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से UNSC के सदस्यों से इस स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की. उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अपनी क्षमता के अनुसार भारत से IWT को पूरी तरह बहाल करने, पानी के हथियारीकरण को रोकने, अंतरराष्ट्रीय कानून और संधि दायित्वों का सम्मान करने और दक्षिण एशिया की शांति व स्थिरता को कमजोर करने से बचने का आग्रह करेगा. उन्होंने निष्कर्ष में कहा, “पानी जीवन है और इसे हथियार नहीं बनाया जा सकता.”

पहलगाम हमले के बाद भारत ने सस्पेंड किया IWT

भारत ने अप्रैल में, कश्मीर के कब्ज़े वाले इलाके के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद IWT को स्थगित कर दिया था, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी, भारत ने इसके लिए इस्लामाबाद को जिम्मेदार ठहराया. इसके तुरंत बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ और 4 दिन की लड़ाई के बाद पाकिस्तान के आग्रह पर भारत ने सीजफायर स्वीकार किया. हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि यह ऑपरेशन अब भी जारी है. वहीं पाकिस्तान ने संधि के तहत अपने जल हिस्से को निलंबित करने की किसी भी कोशिश को युद्ध की कार्रवाई करार दिया था.

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