नेपाल में तेजी से बदल रही राजनीति, बालेन शाह बने RSP के साझा पीएम कैंडिडेट, तो मधेस में मिलीं ये दो पार्टी
Nepal Politics Balendra Shah PM Candidate Madhesh Unites: नेपाल की राजनीति में चुनाव नजदीक आने पर गठबंधन मज़बूत हो रहे हैं. जहां बालेन्द्र शाह राष्ट्रीय स्वतन्त्र पार्टी (RSP) के प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित हो गए हैं. वहीं मधेश आधारित जनता समाजवादी पार्टी (JSP) और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (LSP) एकजुट हुए हैं.
Nepal Politics Balendra Shah PM Candidate Madhesh Unites: नेपाल में 5 मार्च को प्रस्तावित आम चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इसी क्रम में मधेस क्षेत्र की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने एक अहम फैसला लेते हुए आपसी विलय की घोषणा की है. इस कदम को मधेसी राजनीति को एकजुट करने और राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वहीं दूसरी ओर काठमांडू महानगर के मेयर बालेन्द्र शाह (बालेन शाह) को औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है. यह घोषणा राष्ट्रीय स्वतन्त्र पार्टी (RSP) के साथ उनके चुनावी गठबंधन के ऐलान के साथ हुई है.
महंत ठाकुर के नेतृत्व वाली जनता समाजवादी पार्टी (JSP) और उपेंद्र यादव के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी (LSP) ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर अपने विलय की औपचारिक घोषणा की. दोनों दलों के शीर्ष नेताओं ने कहा कि यह निर्णय देश में मौजूदा राजनीतिक हालात का गहन विश्लेषण करने के बाद लिया गया है. संयुक्त बयान में कहा गया कि नेपाल में संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य व्यवस्था को और सशक्त करने की जरूरत को महसूस करते हुए दोनों पार्टियों ने अपने संगठनों के एकीकरण का फैसला किया है. नेताओं के अनुसार, बिखरी हुई राजनीति के बजाय एक मजबूत और संगठित राजनीतिक शक्ति के रूप में सामने आना समय की मांग है.
दूरगामी सुधारों से जुड़े मुद्दों को एक मंच पर लाएंगी मधेसी पार्टियां
महंत ठाकुर और उपेंद्र यादव द्वारा हस्ताक्षरित बयान में यह भी स्पष्ट किया गया कि दोनों पार्टियों का विलय केवल राजनीतिक गणित तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य संघवाद, पहचान की राजनीति, आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर समावेशिता और सामाजिक न्याय जैसे दूरगामी सुधारों से जुड़े मुद्दों को एक मंच पर लाना है. दोनों नेताओं का कहना है कि इन मूल सिद्धांतों को समेकित कर एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में यह कदम उठाया गया है. इस विलय को मधेस क्षेत्र की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले आम चुनावों से पहले राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है.
RSP-DBP का विलय, बालेन साझा पीएम उम्मीदवार
वहीं 5 मार्च 2026 को होने वाले संसदीय चुनाव से पहले बने इस नए समीकरण में सात बिंदुओं के समझौते के तहत बालेन शाह को गठबंधन का संसदीय दल नेता और प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाया गया है, जबकि RSP के प्रमुख रवि लामिछाने पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे. बालेन ने मेयर चुनाव जीतने के बाद देश विकास पार्टी (DBP) बनाई थी, अब उनकी यह पार्टी और पूरी टीम RSP में विलय करेंगी. चुनाव RSP के ‘घंटी’ चुनाव चिह्न पर लड़ा जाएगा, हालांकि पार्टी का नाम, झंडा और प्रतीक पहले जैसे ही रहेंगे.
बालेन के आने से शहरी युवाओं का वोट मिल सकता है
इस गठबंधन को सितंबर 2025 में हुए युवा और Gen Z आंदोलन का राजनीतिक विस्तार माना जा रहा है, जिसने केपी शर्मा ओली सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था. दोनों पक्षों का कहना है कि वे भ्रष्टाचार, खराब शासन और बेरोजगारी के खिलाफ युवाओं के नेतृत्व में उठी आवाज को आगे बढ़ाएंगे. आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी और कई घायल हुए थे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बालेन शाह जैसे लोकप्रिय और गैर-पारंपरिक नेता के जुड़ने से RSP को शहरी युवाओं और पहली बार वोट करने वालों का बड़ा समर्थन मिल सकता है.
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कुलमान घिसिंग की UNP से चल रही बातचीत
गौरतलब है कि भंग हो चुकी प्रतिनिधि सभा में RSP पहले ही चौथे नंबर की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में मौजूद थी. अब बालेन शाह जैसे लोकप्रिय और परंपरागत राजनीति से अलग छवि वाले नेता के साथ आने से पार्टी को शहरी युवाओं और पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं का मजबूत समर्थन मिलने की संभावना जताई जा रही है. वहीं, बालेन ने गुरुवार, 25 दिसंबर को क्रिसमस के दिन, ऊर्जा और जल संसाधन मंत्री कुलमान घिसिंग से भी मुलाकात की थी. घिसिंग के नेतृत्व वाली उज्यालो नेपाल पार्टी (UNP) से भी संंभवतः गठबंधन के लिए बातचीत की गई थी, हालांकि इनके बीच फिलहाल गठबंधन में शामिल होने को लेकर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है. माना जा रहा है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत का दौर जारी है.
भारत से संंबंध को लेकर बालेन का रुख संशय भरा
नेपाल में राजशाही के पतन के बाद अब तक किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है और सरकारें अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई हैं. ऐसे में इस नए गठबंधन को संभावित स्थिरता के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि बालेन शाह का भारत को लेकर रुख अक्सर आलोचनात्मक रहा है और उन्होंने सीमा विवादों व कथित हस्तक्षेप पर कड़े बयान दिए हैं, लेकिन अब तक चीन के खुले समर्थन में उन्होंने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं. आने वाले चुनावों में यह गठबंधन नेपाल की राजनीति की दिशा तय करने में ये दोनों गठबंधन अहम भूमिका निभा सकते हैं.
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