नींद में थे मासूम, सेना ने बौद्ध मठ पर गिराया बम, 23 की मौत

Myanmar Army Massacres Civilians: म्यांमार में रात के सन्नाटे में बौद्ध मठ पर बरसा मौत का बम. नींद में थे मासूम बच्चे, 23 की दर्दनाक मौत... क्या चुनाव से पहले सेना कर रही है ताकत का प्रदर्शन?

By Govind Jee | July 12, 2025 12:29 PM

Myanmar Army Massacres Civilians: म्यांमार के सागाइंग इलाके में सेना के एक हवाई हमले में शुक्रवार तड़के कम से कम 23 लोगों की मौत हो गई. हमला एक बौद्ध मठ पर हुआ, जहां 150 से अधिक लोग शरण लिए हुए थे. बताया गया कि मारे गए लोगों में चार बच्चे भी शामिल हैं, जबकि करीब 30 लोग घायल हुए हैं. इनमें से 10 की हालत गंभीर है.

प्रत्यक्षदर्शियों और प्रतिरोध समूह के सदस्यों के मुताबिक, यह हमला रात करीब एक बजे हुआ. मठ की इमारत पर एक फाइटर जेट से बम गिराया गया. जिस वक्त हमला हुआ, उस समय लोग पास के गांवों से भागकर मठ में छिपे हुए थे. बीते कुछ हफ्तों से इस क्षेत्र में सेना और विद्रोही समूहों के बीच लगातार संघर्ष चल रहा है.

मठ अब सुरक्षित नहीं

स्थानीय स्वतंत्र मीडिया ‘डेमोक्रेटिक वॉइस ऑफ बर्मा’ की रिपोर्ट है कि मरने वालों की संख्या 30 तक पहुंच सकती है. हालांकि इस आंकड़े की अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. सेना की ओर से भी अब तक कोई बयान नहीं आया है. मठ मंडाले शहर से करीब 35 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है.

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Myanmar Army Massacres Civilians: सेना का बड़ा अभियान

हाल के दिनों में म्यांमार की सेना ने सागाइंग क्षेत्र में टैंक और लड़ाकू विमानों के साथ एक बड़ा सैन्य अभियान चलाया है. बताया जा रहा है कि सेना इस इलाके पर दोबारा कब्जा जमाने की कोशिश कर रही है, जो फिलहाल विरोधी समूहों के नियंत्रण में है. प्रतिरोध समूह ‘पीपुल्स डिफेंस फोर्स’ के पास हवाई हमलों से निपटने की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है.

चुनाव से पहले ताकत दिखाने की कोशिश?

विपक्षी नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) के प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि यह हमला म्यांमार में प्रस्तावित आम चुनाव से पहले जुंटा (सेना) द्वारा अपनी शक्ति दिखाने की कोशिश है. उन्होंने कहा, “सेना चाहती है कि चुनाव के जरिए सत्ता पर अपनी पकड़ को वैधता दी जाए और लोगों को डराकर चुप करा दिया जाए.”

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2021 से जारी संघर्ष

फरवरी 2021 में म्यांमार की लोकतांत्रिक नेता आंग सान सू ची की सरकार को सेना ने तख्तापलट कर हटा दिया था. इसके बाद से ही देशभर में विरोध प्रदर्शन और हिंसक संघर्ष शुरू हो गया. सागाइंग क्षेत्र इस संघर्ष का केंद्र बन चुका है, जहां आम नागरिकों और मिलिशिया समूहों ने सैन्य शासन के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं.अब हालात ऐसे हो चुके हैं कि मठ जैसे धार्मिक स्थल भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं.