पाकिस्तान बना ‘ग्लोबल टेरर फैक्ट्री’, UNGA में गरजे जयशंकर, कहा- पहलगाम हमले समेत हर बड़े आतंक की जड़ यहीं

Jaishankar Thundered UNGA: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने UNGA में पाकिस्तान को आतंकवाद का अड्डा बताते हुए कड़ा हमला बोला. पहलगाम हमले का जिक्र किया और भारत की वैश्विक भूमिका, आत्मनिर्भर विदेश नीति और संयुक्त राष्ट्र की नाकामी पर दो टूक बयान दिए.

By Govind Jee | September 28, 2025 10:51 AM

Jaishankar Thundered UNGA: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर का भाषण हर तरफ चर्चा में है. वजह? पाकिस्तान पर सीधा और करारा हमला. आतंकवाद के मुद्दे पर भारत ने दुनिया के सामने अपने पड़ोसी की पोल खोल दी. लेकिन कहानी सिर्फ यहीं तक नहीं है. जयशंकर ने भारत की भूमिका, UN की नाकामी और “आत्मनिर्भर भारत” की विदेश नीति पर भी खुलकर बात रखी. आइए जानते हैं, न्यूयॉर्क में जयशंकर ने क्या कहा.

पाकिस्तान को घेरा, पहलगाम हमले का जिक्र

जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि दुनिया के बड़े-बड़े आतंकी हमले एक ही देश से जुड़े पाए जाते हैं. साफ शब्दों में उन्होंने पाकिस्तान को “ग्लोबल टेरर फैक्ट्री” कहा. विदेश मंत्री ने कहा, “जब देश आतंकवाद को खुलकर राज्य नीति बना लें, जब आतंकी कैंप फैक्ट्री की तरह चलें और जब आतंकियों को सार्वजनिक मंच पर महिमामंडित किया जाए, तो इसकी साफ निंदा होनी चाहिए.”

उन्होंने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें 26 निर्दोष सैलानियों की मौत हुई थी. उनके मुताबिक, भारत ने हमेशा अपने लोगों की रक्षा की है और दोषियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया है.

Jaishankar Thundered UNGA: भारत की वैश्विक भूमिका

भाषण में जयशंकर ने यह भी बताया कि भारत सिर्फ अपने ही लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए काम करता है. उन्होंने अफगानिस्तान और म्यांमार में आए हालिया भूकंपों के दौरान भारत की मदद का उदाहरण दिया. विदेश मंत्री बोले, “हमारे सैनिक शांति बनाए रखते हैं, हमारे नाविक समुद्री जहाजों की सुरक्षा करते हैं, हमारी सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद से लड़ती हैं, हमारे डॉक्टर और शिक्षक मानव विकास को बढ़ावा देते हैं, हमारी इंडस्ट्री सस्ते प्रोडक्ट बनाती है, हमारे टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाते हैं और हमारे ट्रेनिंग सेंटर दुनिया के लिए खुले रहते हैं. यही हमारी विदेश नीति का मूल है.”

UN की नाकामी और सुधार की मांग

जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की हालत पर भी सवाल उठाए. उनके मुताबिक, UN आज एक “संकटग्रस्त संस्था” बन चुका है. उन्होंने कहा, “जब शांति युद्ध से खतरे में हो, जब विकास संसाधनों की कमी से रुक जाए, जब आतंकवाद मानवाधिकार कुचल दे और फिर भी UN कोई ठोस कदम न उठाए, तो ये संस्था कमजोर नजर आती है.”

उन्होंने यूक्रेन, वेस्ट एशिया और अन्य हॉटस्पॉट्स का उदाहरण देते हुए कहा कि UN की विफलता से मल्टीलेटरलिज्म पर विश्वास घटता जा रहा है. साथ ही, जलवायु परिवर्तन पर भी उन्होंने निशाना साधा. उनके मुताबिक, “क्लाइमेट एक्शन में सिर्फ पुराने वादे दुहराए जा रहे हैं और क्रिएटिव अकाउंटिंग हो रही है. ऐसे में जलवायु न्याय की उम्मीद कैसे की जाए?”

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आत्मनिर्भरता, आत्मरक्षा और आत्मविश्वास

भारत किस तरह दुनिया के साथ खड़ा है, इस पर जयशंकर ने तीन शब्दों में जवाब दिया और बताया कि आत्मनिर्भरता, आत्मरक्षा और आत्मविश्वास. आत्मनिर्भरता को लेकर बताया कि खुद पर भरोसा और मजबूत अर्थव्यवस्था. वहीं आत्मरक्षा के बताया जीरो टॉलरेंस फॉर टेररिज्म, मजबूत बॉर्डर डिफेंस और प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा और आत्मविश्वास यानि भारत की स्वतंत्र आवाज और ग्लोबल साउथ का प्रतिनिधित्व. जयशंकर बोले, “भारत हमेशा अपनी स्वतंत्रता बनाए रखेगा और ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा.”

डिकोलोनाइजेशन से लेकर ग्लोबलाइजेशन तक

जयशंकर ने UN की यात्रा का भी जिक्र किया. उनके अनुसार, उपनिवेशवाद (Colonialism) खत्म होने के बाद दुनिया ने अपनी प्राकृतिक विविधता वापस पाई. सदस्य देशों की संख्या चार गुना बढ़ी और संगठन का कामकाज भी फैला. उन्होंने कहा, “ग्लोबलाइजेशन के दौर में विकास लक्ष्य केंद्र में आ गए, जलवायु परिवर्तन साझा प्राथमिकता बन गया. व्यापार का महत्व बढ़ा और भोजन व स्वास्थ्य को वैश्विक कल्याण का हिस्सा माना गया.”

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