भारत में पड़े नौकरी के लाले, विदेशी पढ़ाई, 600 आवेदन और 4 इंटरव्यू, महिलाओं ने साझा की परेशानियां

Girls Job Problem India back from Foreign Studies: भारत में नौकरी पाना कठिन है, यह शिकायत है दो लड़कियों की, जो हाल ही में विदेशों से पढ़कर लौटी हैं. उनका कहना है कि कई बार कई जगह आवेदन करने के बाद भी बेहद कम रिप्लाई मिल रहे हैं. रेडिट पर उन्होंने अपने अनुभव साझा किए हैं. इस पर उन्होंने लोगों से सलाह मांगी है.

By Anant Narayan Shukla | December 15, 2025 11:57 AM

Girls Job Problem India back from Foreign Studies: देश से बाहर पढ़ाई या काम करने के बाद दोबारा भारत लौटकर नौकरी पाना कई बार बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. ऐसी ही मुश्किलों का सामना कर रही युवा प्रोफेशनल्स की पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में है. भारत लौटकर करियर दोबारा स्थापित करने की कोशिश कर रही इन भारतीय महिला ने न सिर्फ अपनी परेशानियां साझा की हैं, बल्कि प्रभावी जॉब सर्च रणनीतियों को लेकर लोगों से सलाह भी मांगी है. भारत में नौकरी तलाशने की कड़वी सच्चाई पर एनआरआई की इस पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं.

भारत वापसी: 600 आवेदन, सिर्फ 4 इंटरव्यू

महिला हाल ही में कनाडा से भारत लौटी हैं. दो महीने की जॉब हंट उनके लिए एक बड़ा रियलिटी चेक साबित हुई. रेडिट पोस्ट में उन्होंने दावा किया कि अब तक वह 600 से अधिक नौकरियों के लिए आवेदन कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें सिर्फ चार इंटरव्यू ही मिल पाए हैं. उन्होंने लिखा, “कनाडा से लौटने के बाद भारत में नौकरी मिलना बेहद मुश्किल हो रहा है. मार्केटिंग और कम्युनिकेशन के क्षेत्र में मैंने 600 से ज्यादा रोल्स के लिए अप्लाई किया, लेकिन केवल चार इंटरव्यू मिले. कनाडा में आमतौर पर 50-100 आवेदन करने पर ही 10-15 इंटरव्यू मिल जाते थे.”

उन्होंने यह भी शिकायत की कि भारत में उनके क्षेत्र में मिलने वाली सैलरी बेहद कम है. महिला ने लिखा कि वह पहले बड़ी कंपनियों में काम कर चुकी हैं, इसके बावजूद भारत में नौकरी के लिए आवेदन करना उनके लिए अब तक का सबसे कठिन अनुभव साबित हो रहा है.

लड़की की रेडिट पर पोस्ट का लिंक.

लिंक्डइन और जॉब पोर्टल्स से निराशा

एक और 25 वर्षीय महिला ने इसी तरह की दिक्कत को साझा किया है. उन्होंने यूके की एक प्रमुख यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की थी और इसके बाद करीब दो साल तक विदेश में काम भी किया. अपनी रेडिट पोस्ट में उन्होंने बताया कि भारत के बेहद प्रतिस्पर्धी जॉब मार्केट में खुद को फिर से स्थापित करने की कोशिश में वह खुद को “भटका हुआ” महसूस कर रही हैं. महिला के मुताबिक, ग्रेजुएट वीजा की अवधि समाप्त होने और पिछले कार्यस्थल का माहौल विषाक्त (टॉक्सिक) हो जाने के कारण उन्हें भारत लौटना पड़ा. उन्हें उम्मीद थी कि यह ट्रांजिशन आसान रहेगा, लेकिन भारत पहुंचने के बाद उन्हें कड़ी प्रतिस्पर्धा और सीमित अवसरों की सच्चाई का सामना करना पड़ा.

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उसने कहा कि लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म्स पर नौकरी के लिए किए जा रहे आवेदनों पर कोई जवाब न मिलने को लेकर भी निराशा जाहिर की. उनके अनुसार, कई बार आवेदन भेजने के बाद “बिना किसी प्रतिक्रिया के वे गायब हो जाते हैं.” पोस्ट के अंत में उन्होंने इस कठिन जॉब मार्केट से निपटने के लिए लोगों से सुझाव और मार्गदर्शन भी मांगा.

जॉब सर्च के तरीकों पर सवाल

अपनी पोस्ट में उन्होंने भारत में नौकरी ढूंढने के तौर-तरीकों को लेकर कई सवाल उठाए. उन्होंने जानना चाहा कि क्या भारत में हायरिंग मैनेजर्स से सीधे संपर्क करना सही माना जाता है और अगर हां, तो ऐसा करने का बेहतर तरीका क्या हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने ऐसे विशेष जॉब पोर्टल्स या इंडस्ट्री-स्पेसिफिक कम्युनिटीज के बारे में भी जानकारी मांगी, जहां वास्तव में सक्रिय भर्ती होती हो, न कि केवल सामान्य एप्लिकेशन जमा कराए जाते हों.
उनकी एक बड़ी चिंता यह भी थी कि क्या भारत की कंपनियां अंतरराष्ट्रीय अनुभव को महत्व देती हैं या फिर उसे नजरअंदाज कर देती हैं. उन्होंने सवाल किया कि क्या भारतीय नियोक्ता वास्तव में ग्लोबल एक्सपीरियंस को सराहते हैं या उसे अप्रासंगिक मान लेते हैं.

25 वर्षीय महिला की पोस्ट का लिंक.

सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएं

महिला की पोस्ट ने उन कई यूजर्स को प्रभावित किया, जो विदेश में रह चुके हैं और बाद में भारत लौटे हैं. कई लोगों ने भारत के तेजी से बदलते और बेहद प्रतिस्पर्धी प्रोफेशनल माहौल में दोबारा अपनी पहचान बनाने से जुड़ी उलझन, भावनात्मक दबाव और अनिश्चितता को साझा किया. एक यूजर ने सलाह दी, “सबसे पहले आपको अपने ‘कनाडाई बैगेज’ से बाहर निकलना होगा, जो आपकी पोस्ट से साफ झलकता है. आम धारणा के विपरीत, विदेशी डिग्री या अनुभव हमेशा कोई बड़ी बढ़त नहीं देता. अगर आप उस मानसिकता से बाहर नहीं निकलेंगी, तो यह आपके लिए नुकसानदेह भी हो सकता है.”

एक अन्य यूजर ने लिखा कि उनके क्षेत्र के कई प्रोफेशनल्स को खाड़ी देशों में अच्छे अवसर मिले हैं और अगर भारत में रुकने की कोई ठोस वजह नहीं है, तो यह भी एक विकल्प हो सकता है. वहीं, कुछ लोगों ने उन्हें हिम्मत बनाए रखने और धैर्य के साथ कोशिश जारी रखने की सलाह दी. कुल मिलाकर, यह पोस्ट भारत लौटने वाले कई एनआरआई प्रोफेशनल्स की उस हकीकत को सामने लाती है, जहां विदेश का अनुभव होने के बावजूद करियर को दोबारा पटरी पर लाना आसान नहीं होता.

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