इक्वाडोर के 10 प्रांतों में लगा आपातकाल, राष्ट्रपति के पक्ष और विपक्ष में हो रहे प्रदर्शन

Ecuador Emergency in 10 Province: इक्वाडोर के दस प्रांतों में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है. यह कदम सरकार द्वारा डीजल पर सब्सिडी समाप्त करने के बाद हो रहे प्रदर्शन के मद्देनजर उठाया गया है. हालांकि इसमें सरकार के पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं.

By Anant Narayan Shukla | October 6, 2025 7:51 AM

Ecuador Emergency in 10 Province: इक्वाडोर की राजधानी क्विटो में रविवार कोराष्ट्रपति डैनियल नोबोआ के समर्थन और विरोध में लोग सड़कों पर उतरे. यह प्रदर्शन 10 प्रांतों में आपातकाल की घोषणा के ठीक एक दिन बाद हुआ. सरकार-विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत दो हफ्ते पहले हुई थी, जिसे देश के सबसे बड़े स्वदेशी संगठन ने आयोजित किया था. इस विरोध का कारण है, ईंधन सब्सिडी हटाना, जिसके चलते डीजल की कीमत 1.80 डॉलर से बढ़कर 2.80 डॉलर प्रति गैलन हो गई.

राजधानी के एक लोकप्रिय पार्क में प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, “डीजल बढ़ेगा तो सब कुछ बढ़ेगा” और “नोबोआ इस्तीफा दो.” वहीं पास में सरकार समर्थक भी बड़ी संख्या में जमा हुए. पुलिस ने रविवार को बताया कि कोई घायल या गिरफ्तार नहीं हुआ, हालांकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया.

पहले ही लगा दी थी इमरजेंसी

दरअसल इक्वाडोर की सरकार ने पिछले महीने 16 सितंबर को 60 दिन की इमरजेंसी लगा दी थी. यह अचानक डीजल पर सब्सिडी खत्म करने के बाद शुरू हुए प्रदर्शनों के बाद उठाया गया कदम था. सरकार का कहना है कि इस सब्सिडी से गरीबों को कम और संपन्न और अमीरों और बिजनेस सेक्टर को ज्यादा फायदा हो रहा था. लेकिन जनता का मानना है कि इसका असर उनकी जेब पर पड़ा है. विशेषकर गरीब वर्ग और ट्रांसपोर्ट सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. 

क्यों हटाई सब्सिडी

वहीं नोबोआ सरकार का कहना है कि डीजल सब्सिडी खत्म करने से बची रकम में से 220 मिलियन डॉलर परिवहन क्षेत्र को दी जाएगी, ताकि बसों और टैक्सियों के किरायों में बढ़ोतरी न करनी पड़े. साथ ही, प्रशासन ने यह भी वादा किया है कि 11 दिसंबर से एक मूल्य स्थिरीकरण तंत्र (प्राइस स्टेबिलाइजेशन मेकैनिज्म) लागू किया जाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का सीधा असर जनता पर न पड़े. 

पहले भी सब्सिडी समाप्त करने का हुआ था प्रयास

इक्वाडोर में ईंधन सब्सिडी लंबे समय से राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा रही है. पिछली कई सरकारों ने भी इसे खत्म करने की कोशिश की थी, लेकिन भारी जनविरोध के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा. नोबोआ प्रशासन का तर्क है कि देश की कमजोर अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अब सख्त कदम उठाना अनिवार्य है.

बढ़ते प्रदर्शन के बाद लगानी पड़ी इमरजेंसी

विरोध अब शुरू हो गया है. ऐसे में अब अगर प्रदर्शन और हिंसा का दायरा बढ़ता गया, तो यह देश की राजनीति और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए गंभीर संकट बन सकता है. शनिवार देर रात, सरकार ने घोषणा की कि रविवार मध्यरात्रि से 10 प्रांतों में आपातकाल लागू होगा, क्योंकि वहां “गंभीर आंतरिक अशांति” की स्थिति है. ये प्रांत वे हैं जहाँ स्वदेशी आबादी अधिक है और प्रदर्शन सबसे ज्यादा केंद्रित हैं. इस आदेश में सभा की स्वतंत्रता पर कुछ पाबंदी लगाई गई है, हालांकि शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर रोक नहीं है.

सैन्यकर्मियों को भी बनाया गया था बंदी

इक्वाडोर की स्वदेशी राष्ट्रीयताओं के परिसंघ (Confederation of Indigenous Nationalities of Ecuador) ने एक बयान जारी कर कहा कि नोबोआ का यह आपातकाल आदेश “जनता की वैध मांगों के खिलाफ उनकी युद्ध नीति को और गहरा करता है.” संगठन ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं से स्थिति पर नजर बनाए रखने की अपील की. पिछले हफ्ते पुलिस और स्वदेशी प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में एक नागरिक की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे. इस प्रदर्शन में करीब 100 लोगों को हिरासत में लिया गया है और कुछ सैन्यकर्मियों को भी अस्थायी रूप से बंदी बनाया गया, हालांकि इन्हें बाद में रिहा कर दिया गया.

राष्ट्रपति ने अपनाया कड़ा रुख

रविवार को प्रदर्शनकारियों ने गिरफ्तार लोगों की रिहाई की मांग की, जिनमें 13 लोग आतंकवाद के आरोपों का सामना कर रहे हैं. वहीं, सरकार समर्थक कार्यक्रमों में एल आर्बोलितो पार्क में एक कला मेले का आयोजन किया गया, जिसमें मंत्रियों और अन्य अधिकारियों ने सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच भाग लिया. गृह मंत्री जायदा रोविरा ने कहा, “इक्वाडोर अब हिंसा से थक चुका है.” वहीं राष्ट्रपति नोबोआ ने स्पष्ट किया है कि वह ईंधन सब्सिडी वापस नहीं लेंगे. उन्होंने रविवार को प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “जो हिंसा का रास्ता चुनेंगे, वे कानून का सामना करेंगे. जो अपराधी की तरह काम करेंगे, उनके साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाएगा.”

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