ट्रंप ने दो देशों में तीसरी बार कराया शांति समझौता, मंदिर को लेकर चल रही लड़ाई में 20 लोगों की हो चुकी मौत

Donald Trump Thailand Cambodia Ceasefire: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि थाईलैंड-कंबोडिया के शीर्ष नेतृत्व ने कई दिनों से जारी खूनी संघर्ष के बाद फिर से युद्धविराम लागू करने पर सहमति जताई है. यह ट्रंप की ओर से दोनों देशों के बीच तीसरा प्रयास है. एक मंदिर वाले क्षेत्र के लिए इस टकराव में अब तक दोनों देशों में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि बड़े पैमाने पर नागरिकों को सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है.

By Anant Narayan Shukla | December 13, 2025 12:06 PM

Donald Trump Thailand Cambodia Ceasefire: दक्षिण-पूर्व एशिया में लंबे समय से चला आ रहा थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद एक बार फिर गंभीर रूप ले चुका है. हाल के दिनों में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई भीषण झड़पों ने न केवल दर्जनों जानें लीं, बल्कि लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पर भी मजबूर कर दिया. ऐसे नाजुक हालात में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हस्तक्षेप करते हुए दावा किया है कि दोनों देशों के नेता दोबारा संघर्षविराम पर सहमत हो गए हैं. हालांकि, इस दावे पर थाईलैंड की ओर से उठे सवालों ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. ट्रंप की इस बार कराई गई शांति कितने दिनों टिकेगी, क्योंकि वे दो बार दोनों देशों के बीच सुलह करवा चुके हैं और दोनों बार पिछली बार से स्थिति ज्यादा ही विकट हुई थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि थाईलैंड और कंबोडिया के शीर्ष नेतृत्व ने कई दिनों से जारी खूनी संघर्ष के बाद फिर से युद्धविराम लागू करने पर सहमति जताई है. ट्रंप के अनुसार, इस टकराव में दोनों देशों में दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि बड़े पैमाने पर नागरिकों को सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा है. ट्रुथ सोशल पर साझा किए गए एक संदेश में ट्रंप ने बताया कि उन्होंने थाईलैंड के प्रधानमंत्री अनुतिन चार्नवीराकुल और कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट से सीधे बातचीत की. उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने तत्काल प्रभाव से गोलीबारी रोकने और पहले से हुए शांति समझौते की शर्तों पर लौटने का भरोसा दिलाया है. ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रयास में मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मध्यस्थ की अहम भूमिका निभाई.

पहले दो समझौते हुए फेल

जुलाई में सीमा पर पांच दिनों तक चले संघर्ष के बाद मलेशिया और अमेरिका की मदद से थाईलैंड और कंबोडिया के बीच एक संघर्षविराम कराया गया था. बाद में अक्टूबर में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस समझौते को औपचारिक मंजूरी दी थी. इस संयुक्त घोषणा पर कुआलालंपुर में हस्ताक्षर हुए थे, जिसे ‘कुआलालंपुर समझौता’ के नाम से जाना जाता है. उस समय मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम और डोनाल्ड ट्रंप भी मौजूद थे. लेकिन यह नाजुक शांति पिछले महीने टूट गई थी, जिसके बाद ट्रंप ने फिर से दोनों देशों के बीच सुलह करवाई, लेकिन इस सप्ताह वह फिर से टूट गई. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संघर्ष दोबारा शुरू करने के आरोप लगाए. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हालिया झड़पों में अब तक कम से कम 20 लोगों की जान जा चुकी है और 260 से अधिक लोग घायल हुए हैं.

मलेशियाई पीएम का जताया आभार

अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने ताजा हिंसा के लिए थाईलैंड को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि सड़क किनारे हुए एक बम धमाके में कई थाई सैनिक मारे गए और घायल हुए, जिसे एक दुर्घटना बताया गया, लेकिन इसके बावजूद थाईलैंड की ओर से अत्यधिक कठोर जवाबी कार्रवाई की गई. ट्रंप के मुताबिक, अब दोनों देश शांति चाहते हैं और अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते बनाए रखने के इच्छुक हैं. उन्होंने इस पूरी प्रक्रिया में सहयोग के लिए मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम का आभार भी जताया.

थाईलैंड का रुख अलग लग रहा

हालांकि, ट्रंप के दावे थाई प्रधानमंत्री अनुतिन के बयानों से मेल नहीं खाते. कुछ ही घंटे पहले अनुतिन ने संघर्षविराम को लेकर किसी ठोस सहमति की बात से इनकार किया था. उन्होंने कहा कि उन्होंने ट्रंप से कंबोडिया पर दबाव डालने का अनुरोध किया है, ताकि वह शत्रुता रोके और सीमा क्षेत्रों में बिछाई गई बारूदी सुरंगों को हटाए. अनुतिन ने स्पष्ट किया कि थाईलैंड आक्रामक कार्रवाई नहीं कर रहा, बल्कि केवल जवाब दे रहा है.

क्यों हो रहा है यह संघर्ष

वर्तमान संघर्ष दोनों देशों के बीच 817 किलोमीटर लंबी विवादित सीमा से जुड़ा है, जहां रॉकेट और तोपखाने का इस्तेमाल हो रहा है. यह जुलाई की झड़पों के बाद की सबसे गंभीर सैन्य कार्रवाई मानी जा रही है. थाईलैंड ने हवाई हमलों के लिए लड़ाकू विमानों को तैनात किया है, जबकि कंबोडिया ने लंबी दूरी तक मार करने वाले बीएम-21 रॉकेट लॉन्चर लगाए हैं. हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच प्रीह विहार मंदिर (शिव मंदिर) को लेकर विवाद चल रहा है. यह सीमा पर स्थित एक चोटी पर है, जिस पर दोनों देश दावा करते हैं.

विवाद की जड़ें हैं पुरानी

इस तनाव की जड़ें औपनिवेशिक दौर तक जाती हैं. विवाद मुख्य रूप से 1907 के उस नक्शे से जुड़ा है, जो फ्रांसीसी शासन के दौरान बनाया गया था और जिसे थाईलैंड आज भी गलत मानता है. 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले ने दोनों देशों के बीच अविश्वास और नाराजगी को और गहरा कर दिया, जिसमें विवादित क्षेत्र की संप्रभुता कंबोडिया को सौंपी गई थी. फिलहाल, क्षेत्र में ट्रंप की ओर से टैरिफ की धमकी देकर कराया गया शांति समझौता टिका है, लेकिन कितने दिनों तक यह चल पाएगा- कहना मुश्किल है. हालात बेहद संवेदनशील बने हुए हैं और घोषित संघर्षविराम वास्तव में जमीन पर लागू हो पाता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी.

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