Coronavirus Vaccine: रूस की कोरोना वैक्सीन को लेकर WHO को संदेह क्यों, कहा- हमें सावधान रहना होगा

Coronavirus Vaccine, coronavirus update: रूस ने इस सप्ताह ये ऐलान कर सबको हैरान दिया था कि वो अक्टूबर महीने से कोरोना वायरस की वैक्सीन का उत्पादन शुरू करने जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि रूस ने खुद कहा है कि उत्पादन के साथ-साथ वैक्सीन के फेज-3 का क्लीनिकल ट्रायल जारी रहेगा. रूस के वैक्सीन बनाने के दावे पर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने संदेह जाहिर किया है. डब्लूएचओ ने रूस से वैक्सीन उत्पादन के लिए बनाई गई गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा है.

By Utpal Kant | August 5, 2020 11:57 AM

Coronavirus Vaccine, coronavirus update: रूस ने इस सप्ताह ये ऐलान कर सबको हैरान दिया था कि वो अक्टूबर महीने से कोरोना वायरस की वैक्सीन का उत्पादन शुरू करने जा रहा है. दिलचस्प बात ये है कि रूस ने खुद कहा है कि उत्पादन के साथ-साथ वैक्सीन के फेज-3 का क्लीनिकल ट्रायल जारी रहेगा. रूस के वैक्सीन बनाने के दावे पर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने संदेह जाहिर किया है.

डब्लूएचओ ने रूस से वैक्सीन उत्पादन के लिए बनाई गई गाइडलाइन का पालन करने के लिए कहा है. दरअसल, डब्लूएचओ के प्रवक्ता क्रिस्टियन लिंडमियर से यूएन प्रेस ब्रीफिंग के दौरान सवाल किया गया था कि अगर किसी वैक्सीन का फेज 3 का ट्रायल किए बगैर ही उसके उत्पादन के लिए लाइसेंस जारी कर दिया जाता है तो क्या संगठन इसे खतरनाक करार देगा? बता दें कि रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने बीते शनिवार को कहा था कि उनका देश अक्टूबर महीने से बड़े स्तर पर वैक्सीन कैंपेन शुरू करने की तैयारी में है.

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स्वास्थ्य मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि वैक्सीन की कोई शुल्क नहीं ली जाएगी और सबसे पहले इसे डॉक्टर्स और अध्यापकों को दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि उत्पादन के साथ-साथ वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल भी जारी रहेगा और इसे बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी. लिंडमियर ने कहा कि जब भी ऐसी खबरें आएं या ऐसे कदम उठाए जाएं तो हमें सावधान रहना होगा.

वैक्सीन के असरदार होने और क्लीनिकल ट्रायल में बड़ा फर्क

बीबीसी के मुताबिक, क्रिस्टियन लिंडमियर ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि कुछ शोधकर्ता दावा करते हैं कि उन्होंने कोई खोज कर ली है जो कि वाकई बहुत अच्छी खबर होती है. लेकिन कुछ खोजने या वैक्सीन के असरदार होने के संकेत मिलने और क्लीनिकल ट्रायल के सभी चरणों से गुजरने में बहुत बड़ा फर्क होता है. हमने आधिकारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं देखा है.

अगर आधिकारिक तौर पर कुछ होता तो यूरोप के हमारे दफ्तर के सहयोगी जरूर इस पर ध्यान देते. उनके मुताबिक, एक सुरक्षित वैक्सीन बनाने को लेकर कई नियम बनाए गए हैं और इसे लेकर गाइडलाइन्स भी हैं. इनका पालन किया जाना जरूरी है ताकि हम जान सकें कि वैक्सीन या कोई भी इलाज किस पर असरदार है और किस बीमारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में मदद कर सकती है.

फायदे के बजाए नुकसान तो नहीं

डब्लूएचओ के प्रवक्ता ने कहा कि गाइडलाइन का पालन करने से हमें ये भी पता चलता है कि क्या किसी इलाज या वैक्सीन के साइड इफेक्ट हैं या फिर कहीं इससे फायदे के बजाय नुकसान तो ज्यादा नहीं हो रहा है. डब्लूएओ ने अपनी वेबसाइट पर क्लीनिकल ट्रायल से गुजर रहीं 25 वैक्सीन को सूचीबद्ध किया है जबकि 139 वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल स्टेज में हैं.

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