पुतिन के खिलाफ है इंटरनेशनल कोर्ट का वारंट, क्या भारत में हो सकते हैं गिरफ्तार?
Vladimir Putin arrest in India International Criminal Court warrant: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन 4 दिसंबर को अपने दो दिनी दौरे पर भारत आ रहे हैं. हालांकि उनके ऊपर पर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. ऐसे में क्या वे भारत में गिरफ्तार किए जा सकते हैं?
Vladimir Putin arrest in India International Criminal Court warrant: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए नई दिल्ली पहुंचने वाले हैं. मार्च 2023 में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) द्वारा उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद यह उनकी सबसे महत्वपूर्ण विदेशी यात्राओं में गिनी जा रही है. इस दौरे ने एक अहम प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या पुतिन भारत में गिरफ्तार हो जाएंगे. क्या भारत अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ICC वारंट को लागू करने और एक सिटिंग राष्ट्राध्यक्ष को गिरफ्तार करने के लिए बाध्य है? भारत की कानूनी स्थिति और विदेश नीति के आधार पर इसका सीधा जवाब है नहीं.
ICC ने पुतिन के खिलाफ वारंट इसलिए जारी किया था. अदालत की प्री-ट्रायल चैंबर-II ने मार्च 2023 में पुतिन और उनकी बाल अधिकार आयुक्त मारिया ल्वोवा-बेलोवा पर युद्ध अपराध के आरोप तय किए. आरोपों के अनुसार, दोनों पर यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों से हजारों बच्चों के अवैध निर्वासन और उन्हें रूस ले जाने की व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार हैं. ICC अभियोजक करीम खान ने कहा था कि ये घटनाएँ फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर पूर्ण हमले के बाद से जारी हैं.
ICC ने बताया पुतिन का अपराध गंभीर
इन आरोपों की जड़ यह दावा है कि यूक्रेनी बच्चों को जबरन उनके देश से हटाकर रूस में गोद लेने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया. पुतिन के आदेशों ने रूसी नागरिकता और गोद लेने की औपचारिकताओं को सरल कर दिया, जिससे इन बच्चों को स्थायी रूप से यूक्रेन से दूर करने का इरादा झलकता है. ICC का कहना है कि यह जिनेवा कन्वेंशन का गंभीर उल्लंघन है और रोम संविधि के तहत युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है. हालांकि, रूस ICC की अधिकारिता को मानने से इंकार करता है, जिससे वारंट का असर केवल उन देशों तक सिमट जाता है जो रोम संविधि के सदस्य हैं.
भारत क्यों बाध्य नहीं है पुतिन की गिरफ्तारी के लिए
भारत पुतिन को गिरफ्तार करने के लिए इसलिए बाध्य नहीं है, क्योंकि भारत रोम संविधि (Rome Statute) का पक्षकार ही नहीं है. अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांत pacta sunt servanda के अनुसार, कोई भी संधि केवल उसी देश पर लागू होती है जो उसे स्वीकार करता है. भारत ने न तो इस संविधि पर हस्ताक्षर किए और न ही इसे अनुमोदित किया, इसलिए अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी या सहयोग संबंधी दायित्व यहाँ लागू नहीं होते. भारत ने 1998 में ही संविधि के मसौदे पर गंभीर आपत्तियाँ जताई थीं, जिन्हें उसकी संतुष्टि के अनुसार कभी दूर नहीं किया गया. भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को दिए गए अधिकार, अंतरराष्ट्रीय अपराधों की सीमित परिभाषा और राष्ट्रीय संप्रभुता की चिंता की वजह से देश में रोम संविधि को लागू करने के लिए कोई राष्ट्रीय कानून पारित नहीं किया है.
रूस खारिज करता है ICC की अधिकारिता
वहीं रूस भी हेग (नीदरलैंड) स्थित इस अदालत की अधिकारिता को खारिज करता है और वारंटों को कानूनी रूप से अप्रासंगिक बताता है. हालांकि ICC का रूस जैसे गैर-सदस्य देश पर अधिकार लागू होता है, क्योंकि यूक्रेनने 2014 से अपने क्षेत्र में किए गए कथित अपराधों के लिए दो बार औपचारिक रूप से न्यायालय के अधिकार-क्षेत्र को स्वीकार किया है. हालांकि हास्यास्पद बात है कि यूक्रेन खुद इसका सिग्नेटरी 2025 तक नहीं था. उसने 1 जनवरी 2025 को रोम संविधि को अपने देश में लागू किया है. यह स्थिति तुरंत वारंट के व्यावहारिक प्रभाव को 125 राष्ट्रों तक सीमित कर देती है, जो रोम संविधि के हस्ताक्षरकर्ता हैं, क्योंकि केवल वही देश ICC के साथ कानूनी रूप से सहयोग करने के लिए बाध्य हैं.
भारत पहले भी झेल चुका है ऐसा मामला
इतिहास बताता है कि यह पहली बार नहीं है जब भारत को ICC वारंट से जुड़े सवालों का सामना करना पड़ा हो. 2015 में सूडान के तत्कालीन राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर के भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन में आने पर भी ऐसी स्थिति बनी थी, लेकिन भारत ने साफ कहा था कि वह ICC का हिस्सा नहीं है, इसलिए उस पर किसी गिरफ्तारी की कानूनी बाध्यता नहीं बनती. अल-बशीर पर ICC ने 2009 में दारफुर में नरसंहार, युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराधों का आरोप लगाया था, जिससे वे ऐसे वारंट का सामना करने वाले पहले राष्ट्राध्यक्ष बने थे.
ब्राजील नहीं गए थे पुतिन
2023 में BRICS सम्मेलन के दौरान दक्षिण अफ्रीका जो ICC सदस्य है, पुतिन की उपस्थिति को लेकर दुविधा में था. इसलिए पुतिन ने ऑनलाइन जुड़ने का निर्णय लिया. हाल ही में इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू, पूर्व रक्षा मंत्री गैलेंट और हमास नेताओं पर जारी ICC वारंट भी यह दर्शाते हैं कि दुनिया भर में इन आदेशों का पालन समान रूप से नहीं होता. यही वजह है कि भारत, अमेरिका और चीन जैसे गैर-सदस्य देश ICC की न्यायिक शक्ति को स्वीकार नहीं करते.
भारत पुतिन के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करेगा
भारत और रूस दशकों पुराने साझेदार हैं और भारत की रक्षा एवं ऊर्जा सुरक्षा में रूस की महत्वपूर्ण भूमिका है. रूस भारत को बड़ी मात्रा में सैन्य उपकरण प्रदान करता है. इनमें फाइटर जेट, पनडुब्बियाँ, टैंक और S-400 वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं. इन उपकरणों के रखरखाव, स्पेयर पार्ट्स और अपग्रेड के लिए भी भारत रूस पर निर्भर है. यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने रियायती दरों पर रूसी कच्चे तेल का आयात भी बढ़ाया है, जिससे घरेलू ईंधन कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिली है. ऐसे में, भारत किसी ऐसे कदम की कल्पना भी नहीं करेगा जो रूस के साथ उसके रिश्तों को नुकसान पहुँचाए.
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