चुनाव घोषणा होते ही बांग्लादेश में हिंसा शुरू, हसीना सरकार गिराने वाले पर चली पहली गोली, बेटों ने भी बढ़ाया सियासी पारा

Bangladesh Poll Violence: शेख हसीना सरकार गिराने और भारत के नॉर्थ ईस्ट को तोड़ने का सपना देखने वाले पर गोली चली है. बांग्लादेश में चुनावों का ऐलान होते ही हिंसा की भी शुरुआत हो गई है. सियासी पारा बढ़ाने के लिए अवामी लीग और बीएनपी के उत्तराधिकारियों के भी बयानों की बाढ़ आ गई है.

By Anant Narayan Shukla | December 13, 2025 1:51 PM

Bangladesh Poll Violence: बांग्लादेश में आगामी राष्ट्रीय संसदीय चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल बेहद गर्म हो गया है. हिंसा की शुरुआत भी चुनावी ऐलान के साथ शुरू हो गई है. शेख हसीना के खिलाफ चले आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल और ढाका-8 संसदीय क्षेत्र से संभावित निर्दलीय उम्मीदवार उस्मान हादी को शुक्रवार को गोली मार दी गई. बीते दिन करीब 2 बजे उन्हें गोली मारी गई, जब वे अपने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से मिलने निकले थे. उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है. वह ‘इंकलाब मंच’ नामक एक मंच के शीर्ष नेता भी हैं. इस हिंसक घटना ने देश की राजनीति में भारी तनाव पैदा कर दिया है. सियासी गर्मी उत्तराधिकारियों ने भी बढ़ा दिया है. वहीं बीएनपी और अवामी लीग की अगली पीढ़ी के पुत्र नेताओं ने भी बयानबाजी करनी शुरू कर दी है.

मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि शरीफ उस्मान हादी पर हमले को अंजाम देने वालों और इसकी साजिश रचने वालों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए. सीए प्रेस विंग के मुताबिक, उन्होंने शुक्रवार रात राज्य अतिथि गृह जमुना में सलाहकार परिषद के सदस्यों और कानून-व्यवस्था व सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई आपात बैठक में यह बात कही. उस्मान हादी शेख हसीना सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का बड़ा चेहरा थे. भाषण देने में माहिर उस्मान की पढ़ाई ढाका यूनिवर्सिटी से हुई है. उनके तीन भाई बहन हैं. हादी के फेसबुक पर लगभग 9 लाख फॉलोवर्स हैं. हादी ने तख्तापलट अभियान के दौरान शेख मुजीबुर्रहमान के स्मारकों पर हमले को लीड किया था. उन्होंने जुलाई आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों के सम्मान में स्मारक बनाने की भी बात कही थी. हादी ने भारत के नॉर्थ ईस्ट को अलग करने की भी टिप्पणी की थी.

यूनुस ने कहा- हम साजिशों को सफल नहीं होने देंगे

मुख्य सलाहकार ने कहा कि हादी पर हमला अंतरिम सरकार के कार्यकाल के दौरान सबसे चिंताजनक घटनाओं में से एक है. उन्होंने इसे बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रगति पर जानबूझकर किया गया हमला बताया और कहा कि इस कृत्य के जरिए पराजित ताकतों ने देश के अस्तित्व को चुनौती देने का साहस किया है. उन्होंने कहा, “हम किसी भी कीमत पर ऐसी कोशिशों को नाकाम करेंगे. देश पर इस तरह के हमले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि यह हमला राष्ट्रीय चुनाव और जनमत संग्रह को पटरी से उतारने की साजिश का हिस्सा है. “किसी भी सूरत में हम इन साजिशों को सफल नहीं होने देंगे. चाहे कितनी भी चुनौतियां या तूफान आएं, कोई भी ताकत आगामी चुनाव को बाधित नहीं कर पाएगी,” उन्होंने कहा. यूनुस ने भरोसा दिलाया कि देश की जनता के साथ मिलकर सामूहिक ताकत से शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित किया जाएगा.

तारिक रहमान की 17 साल बाद वापसी

इसी बीच बांग्लादेश की राजनीति में एक और अहम घटनाक्रम सामने आया है. बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की मुखिया बेगम खालिदा जिया भले ही गंभीर रूप से बीमार हों, लेकिन उसकी ओर से भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है. बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान लगभग 17 साल के निर्वासन के बाद 25 दिसंबर को देश लौट रहे हैं. बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने पत्रकारों को इसकी जानकारी दी. वहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीने के बेटे सजीब वाजेद ने भी अपने बयानों की आवृत्ति बढ़ा दी है. उन्होंने मोहम्मद यूनुस पर हमला बोलते हुए कहा कि वह आने वाले समय में फ्रांस भागने वाले हैं.

चुनावों के साथ होगा जनमत संग्रह

बांग्लादेश में अगला राष्ट्रीय संसदीय चुनाव 12 फरवरी 2026 को होगा. इसके साथ ही ‘जुलाई चार्टर’ पर जनमत संग्रह भी कराया जाएगा, जो जुलाई 2024 में शेख हसीना के खिलाफ हुए आंदोलन की भावना के अनुरूप सुधारों का दस्तावेज है. मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन ने इस कार्यक्रम की घोषणा की थी. चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के ठीक एक दिन बाद ही देश का राजनीतिक माहौल अचानक अशांत हो गया.

शेख हसीना की अवामी लीग पर लगा है प्रतिबंध

जुलाई 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ व्यापक विरोध को जन्म दिया था. उसी साल 5 अगस्त को शेख हसीना भारत चली गईं. इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ. चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बावजूद शेख हसीना की अवामी लीग पर राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध बना हुआ है और चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण निलंबित कर रखा है. यदि यह प्रतिबंध नहीं हटता है तो अवामी लीग आगामी चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएगी. पार्टी पहले ही चुनाव कार्यक्रम को खारिज कर चुकी है.

जमात भी है अहम दावेदार

आगामी चुनाव में बीमार चल रहीं पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया की बीएनपी मुख्य राजनीतिक ताकत के रूप में उभर रही है. देश की सबसे बड़ी इस्लामी पार्टी बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी भी एक अहम दावेदार है. इसके अलावा, शेख हसीना विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले छात्रों द्वारा गठित नई नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) भी चुनाव मैदान में है. सभी दल इस समय विभिन्न गठबंधनों को आकार देने में जुटे हैं.

शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव एक चुनौती

फिलहाल बांग्लादेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती आगामी चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से कराना है. देश के इतिहास में चुनावों के आसपास हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी हैं. साथ ही, इस बार अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कड़ी निगरानी के बीच यह सुनिश्चित करना भी एक बड़ी चुनौती है कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष, विश्वसनीय और समावेशी हो. भारत पहले ही बांग्लादेश से ऐसा चुनाव कराने की अपील कर चुका है, जो देश के भीतर और बाहर दोनों जगह विश्वसनीय, समावेशी और सहभागी हो.

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