US में बैन हो शहबाज-मुनीर की एंट्री, 44 अमेरिकी सांसदों ने ट्रंप सरकार से की मांग, खोला पूरा कच्चा चिट्ठा

US Lawmaker letter on Shehbaz Sharif Asim Munir: आतंकवाद को पाल पोसकर दुनिया भर में फैलाने वाले पाकिस्तान पर अब अमेरिका ने नजर टेढ़ी की है. इसकी शिकायत अमेरिका के 44 सांसदों ने विदेश मंत्री मार्को रूबियो से की है. उन्होंने आग्रह किया है कि वे वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों पर तुरंत प्रतिबंध लगाएँ. उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का नाम लिया है. 

By Anant Narayan Shukla | December 5, 2025 8:20 AM

US Lawmaker letter on Shehbaz Sharif Asim Munir: भारत के ऑपरेशन सिंदूर में पड़ी मार के बाद पाकिस्तान अमेरिका के पास पहुंचा था. जहां उसने लगभग अपने देश को गिरवी रख दिया. बलूचिस्तान में रेयर अर्थ मैटेरियल के लिए अमेरिका को आमंत्रित किया. बलूचिस्तान में ही पासनी बंदरगाह बनाने का ऑफर दे दिया. लेकिन पाकिस्तान में सैन्य बदलाव की आहट के साथ ही अमेरिका के कान खड़े हो गए हैं. आतंकवाद को पाल पोसकर दुनिया भर में फैलाने वाले पाकिस्तान पर अब अमेरिका ने नजर टेढ़ी की है. इसकी शिकायत अमेरिका के 44 सांसदों ने विदेश मंत्री मार्को रूबियो से की है. उन्होंने आग्रह किया है कि वे वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों पर तुरंत प्रतिबंध लगाएँ. उन्होंने सीधे तौर पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सैन्य समर्थित सरकार और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का नाम लिया है. 

बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस के 44 सांसदों ने एक द्विदलीय (रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स) पत्र जारी किया. इसमें उन्होंने पाकिस्तानी अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध और संपत्ति जब्त करने की मांग की गई है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में मानवाधिकार स्थिति बिगड़ रही है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दमन की मुहिम तेज होती जा रही है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारी अमेरिकी नागरिकों और निवासियों को धमकाने की योजना बना रहे हैं, विशेषकर उनकी जो पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था की आलोचना करते हैं. इस पत्र के प्रमुख सिग्नेटरी प्रमिला जयपाल, राशीदा तलीब, ग्रेगर कैसर और जेम्स पी. मैकगवर्न हैं. उनका मानना है कि पाकिस्तान में सरकार को सेना चला रही है. उन्होंने शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर के शासन में तानाशाही चल रही है. जनता के अधिकारों का हनन हो रहा है. विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है. 

पत्र में क्या लिखा है? पढ़ें पूरा बयान

सांसदों ने लिखा- हम यह पत्र पाकिस्तान में सैन्य-समर्थित प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार और सेना प्रमुख असीम मुनीर के अधीन बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दमन (transnational repression) और बिगड़ते मानवाधिकार संकट को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करने के लिए लिख रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में, पाकिस्तान में अधिनायकवादी दुरुपयोगों के खिलाफ बोलने वाले अमेरिकी नागरिकों और निवासियों को धमकियों, डराने-धमकाने और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. अक्सर यह उत्पीड़न पाकिस्तान में उनके परिवारों तक भी फैल जाता है. इन रणनीतियों में मनमानी हिरासत, जबरदस्ती, और प्रतिशोधात्मक हिंसा शामिल है, जिनका लक्ष्य प्रवासी समुदाय और उनके रिश्तेदार होते हैं.

अहमद नूरानी और सलमान अहमद का किया जिक्र

उन्होंने कहा कि हम आपसे आग्रह करते हैं कि पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय दमन, व्यापक मानवाधिकार उल्लंघनों और व्यवस्थित दमन के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर लक्षित कार्रवाई की जाए. इसमें वीजा प्रतिबंध और संपत्ति फ्रीज करना तुरंत लागू करें. हम पहले भी अन्य देशों में होने वाले अंतरराष्ट्रीय दमन की आलोचना कर चुके हैं और आगे भी करते रहेंगे; इसी सैद्धांतिक रुख को यहाँ भी लागू किया जाना चाहिए.

पत्र में वर्जीनिया स्थित खोजी पत्रकार अहमद नूरानी के बारे में जिक्र है, जो सैन्य भ्रष्टाचार पर अपनी रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं. वे लगातार धमकियों का सामना कर रहे हैं. इस वर्ष की शुरुआत में जब नूरानी ने एक खोजी रिपोर्ट प्रकाशित की, तो इस्लामाबाद में उनके भाइयों को उनके घर से अगवा कर लिया गया, उन्हें पीटा गया और एक महीने से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया.

इसी तरह, संगीतकार सलमान अहमद को भी सेना की सीधी धमकियों का सामना करना पड़ा, जिनमें अमेरिका और पाकिस्तान दोनों जगहों पर उनके परिवार को निशाना बनाने वाली धमकियाँ शामिल थीं. उनके बहनोई को अगवा कर लिया गया और बिना किसी आरोप के हिरासत में रखा गया, जब तक कि अमेरिकी विदेश विभाग और एफबीआई ने हस्तक्षेप नहीं किया.

विपक्ष और बलूचिस्तान पर उठाई आवाज

उन्होंने चेतावनी दी कि समस्या सिर्फ प्रवासी आलोचकों के उत्पीड़न तक सीमित नहीं है. पत्र में कहा गया-
पाकिस्तान में यह अधिनायकवादी प्रणाली लगातार दमन के सहारे चल रही है. विपक्षी नेताओं को बिना आरोप के हिरासत में रखा जाता है, निष्पक्ष मुकदमे नहीं दिए जाते और उन्हें अनिश्चितकालीन न्यायिक हिरासत में रखा जाता है. स्वतंत्र पत्रकारों को परेशान किया जाता है, अगवा किया जाता है या निर्वासन के लिए मजबूर किया जाता है. आम नागरिकों को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया जाता है, जबकि महिलाएँ, धार्मिक अल्पसंख्यक और हाशिए पर पड़े समुदाय खासकर बलूचिस्तान में, जहां वे अत्यधिक हिंसा और निगरानी का सामना करते हैं.

2024 का चुनाव लोकतंत्र का पतन

सांसदों ने 2024 के चुनाव और स्वतंत्र निगरानी को लोकतांत्रिक पतन का महत्वपूर्ण संकेतक बताया. पत्र में कहा गया है कि 2024 के चुनाव में भारी अनियमितताएँ थीं और जिन्हें पाकिस्तान के नागरिक समाज द्वारा तैयार ‘पट्टन रिपोर्ट’ में विस्तार से दर्ज किया गया. एक ‘कठपुतली’ जैसी नागरिक सरकार स्थापित करने के लिए उपयोग किए गए. अमेरिकी विदेश विभाग ने भी इन चिंताओं को दोहराते हुए अनियमितताओं पर सार्वजनिक रूप से चिंता जताई और चुनावी प्रक्रिया की पूरी जांच की मांग की. ये घटनाएँ व्यापक अधिनायकवादी दमन की ओर इशारा करती हैं.

इमरान खान की रिहाई की भी की मांग

सांसदों के समूह ने राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग भी की, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का नाम प्रमुख है. पत्र के अंत में कहा गया कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि व्यवस्थित दमन, अंतर्राष्ट्रीय दमन और न्यायिक स्वतंत्रता को कमजोर करने में शामिल अधिकारियों पर तुरंत वीजा प्रतिबंध और संपत्ति फ्रीज करने जैसे कदम उठाए जाएँ. ऐसा करने से न केवल मानवाधिकारों के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता मजबूत होगी, बल्कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और अन्य राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग को भी बल मिलेगा, अमेरिकी नागरिकों को अंतर्राष्ट्रीय दमन से सुरक्षा मिलेगी और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा.

अमेरिकी कांग्रेस के द्वारा जारी वास्तविक पत्र आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. 

आसिम मुनीर बने सीडीएफ

उनका तर्क है कि उन अधिकारियों पर प्रतिबंध, व्यवस्थित दमन, अंतर्राष्ट्रीय दमन और न्यायपालिका को कमजोर करेगा. इससे अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों को समर्थन मिलेगा. यह पत्र ऐसे समय में आया है, जब पाकिस्तान में सैन्य ढांचे में एक बड़ा बदलाव दिख रहा है. पाकिस्तान ने 27वें संविधान संशोधन के तहत एक नया पद सृजित किया है. इससे आर्मी चीफ आसिम मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज बनाया गया है. उनकी नियुक्ति का नोटिफिकेशन शरीफ सरकार ने जारी कर दिया है. अब वे तीनों सेनाओं को कमांड कर सकेंगे. उनके हाथ में तीनों सेनाओं की कमान होगी. साथ ही उन्हें संवैधानिक रूप से रक्षा कवच भी मिल गया है, जो उनके खिलाफ किसी भी मामले से उन्हें बचाएगा. ऐसे में वे अब पाकिस्तान के सत्ता के शीर्ष पर पहुंच गए हैं. वहीं पाकिस्तान में इमरान खान की हालत और भी खराब हो रही है. उन्हें अपने परिवार से मिलने के लिए भी मुश्किलें पैदा की जा रही हैं. 

प्रभात पॉडकास्ट पर रवि शास्त्री 7 दिसंबर को.

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