जानिये कौन हैं गणित का नोबेल जीतने वाले मंजुल भार्गव
नयी दिल्ली: बुधवार को भारतीय मूल के दो शिक्षाविदों को वैश्विक स्तर पर पुरस्क़त किया गया है. इनमें से मंजुल भार्गव को गणित के क्षेत्र में बेहतरीन अनुसंधान के लिए फील्ड्स मेडल प्रदान किया गया है. इस मेडल को गणित का नोबेल कहा जाता है.... नारायण मूर्ति ने कहा रियल ‘भारत रत्न’ भारतीय मूल के […]
नयी दिल्ली: बुधवार को भारतीय मूल के दो शिक्षाविदों को वैश्विक स्तर पर पुरस्क़त किया गया है. इनमें से मंजुल भार्गव को गणित के क्षेत्र में बेहतरीन अनुसंधान के लिए फील्ड्स मेडल प्रदान किया गया है. इस मेडल को गणित का नोबेल कहा जाता है.
नारायण मूर्ति ने कहा रियल ‘भारत रत्न’
भारतीय मूल के इस शिक्षाविद को बधाई देते हुए नारायण मूर्ति ने ट्वीट किया कि अंजुल भार्गव रियल ‘भारत रत्न’ है.इस ट्वीट से जहां एक और इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति की सोंच और नजरिये का पता चलता है वहीं ‘भारत रत्न’ के लिए देशभर में लगायी जा रही अटकलों में एक नाम और भी जुडता नजर आ रहा है.
नारायण मूर्ति के ट्वीट के आधर पर बात की जाये तो उनका यही मानना लगता है कि ‘साइंस और टेक्नोलॉजी’ के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले और वैश्विक स्तर पर भारत का नाम रौशन करने वाले को ही ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए.
चार दिनों पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को ‘भारत रत्न’ दिये जाने की खबरे मीडिया में काफी उडायी गयी थी. इससे तंग आकर सरकार को स्पष्ट करना पडा कि गृह मंत्रालय की ओर से भारत रत्न के लिए किसी भी नाम की सिफारिश नहीं की गयी है.
‘भारत रत्न’ की अटकलों को यहीं रोका नहीं गया है अभी भी हॉकी के जादुगर मेजर ध्यानचंद का नाम मीडिया में भारत रत्न के दावेदार के रूप में सुर्खियों में रखा गया है.
कौन हैं मंजुल भार्गव
भारतीय मूल के मंजुल भार्गव का जन्म 4 अगस्त 1974 को कनाडा में हुआ था. उनकी माता मीरा भार्गव एक गणितज्ञ थीं. जबकि उनके पिता की एक दवा की दुकान थी. 14 साल की आयु में भार्गव ने अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर ली थी. इसके बाद वे ग्रेजुएशन के लिए प्रिंसटन युनिवर्सिटी में दाखिला लिया. दो साल की पढाई के बाद ही युनिवर्सिटी की ओर से उन्हें प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया.
इस बीच कई फेलोशिप पर कार्य करने के साथ-साथ भार्गव ने ग्रेजुएशन किया. मंजुल भार्गव वर्तमान में प्रिंसटन युनिवर्सिटी में ही गणित के प्रोफेसर हैं. इन्होंने 2001 में प्रिंसटन युनिवर्सिटी से ही पीएचडी की डिग्री हासिल की. भार्गव को ज्यामिती संख्या में महत्वपूर्ण नई पद्धति विकसित करने के लिए इसी साल आज ही के दिन पुरस्कृत किया गया.
निपुण तबला वादक हैंभार्गव, संस्कृत के भी जानकार
गणित के महारथी मंजुल भार्गव एक निपुण तबला वादक हैं. इन्होंने भारत के मशहूर और विश्व विख्यात तबला वादक जाकीर हुसैन से तबला सीखा है. इसके साथ ही मंजुल भार्गव ने संस्कृत की शिक्षा भी ग्रहण की है. इन्हें संस्कृत का अच्छा ज्ञान है. इनके दादाजी पुरुषोत्तम लाल भार्गव संस्कृत के एक प्रसिद्ध विद्यान और मशहूर इतिहासकार रहे हैं. इस वजह से मंतुल की रूचि संस्कृत के प्रति भी रही है.
कई पुरस्कारों से नवाजा गया है मंजुल भार्गव को
मंजुल भार्गव को अभीतक कई पुरस्कार और शोध के लिए फेलोशिप प्रदान किये गये हैं. इनमें मुख्य हैं-
# 1992 : प्लेंज हाई स्कूल वेटेडिक्टोरियन, न्यूयार्क साइंस टैलेंट सर्च के विजेता.
# 1993 : डेटर प्राइज फोर आउटस्टैंडिंग एकेडेमिक एचिवमेंट, हारवर्ड युनिवर्सिटी.
# 1993-1995 : तीन बार डोरेक ब्रोक अवार्ड फोर एक्सेलेंस इन टीचिंग.
# 1995 : सैल्यूट्टोरियन हारवर्ड युनिवर्सिटी.
# 1996 : होप्स पुरस्कार.
# 2003 : हसे पुरस्कार.
# 2005 : शस्त्र रामानुजम पुरस्कार और क्ले अनुसंधान पुरस्कार.
# 2008 : कोल पुरस्कार.
# 2011 : फेरमेट पुरस्कार.
# 2012 : इंफोसिस पुरस्कार.
# 2014 : फिल्ड मेडल.
Manjul Bhargava, a true Bharat Ratna, gives us Indians yet another reason to feel proud. Congratulations, Manjul!
— Narayana Murthy (@Infosys_nmurthy) August 13, 2014
