इजरायल ने इस देश को दी मान्यता, पहला UN मेंबर देश बनकर चला तगड़ा दांव, अरब जगत में लगा दी आग

Israel recognizes Somaliland as independent state: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शुक्रवार, 26 दिसंबर को रिपब्लिक ऑफ सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी. इजरायल ऐसा करने वाला संयुक्त राष्ट्र (UN) का पहला सदस्य देश बना है. सोमालीलैंड की भौगोलिक स्थिति ने इजरायल को ऐसा करने पर मजबूर किया है.

By Anant Narayan Shukla | December 27, 2025 7:44 AM

Israel recognizes Somaliland as independent state: मध्य-पूर्व और अफ्रीका की राजनीति में एक अहम घटनाक्रम के तहत इजरायल संयुक्त राष्ट्र (UN) का पहला सदस्य देश बन गया है, जिसने आधिकारिक तौर पर रिपब्लिक ऑफ सोमालीलैंड को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दी है. इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल पर हुए अब्राहम समझौतों की भावना से जुड़ा कदम बताया है. इस फैसले को केवल कूटनीतिक मान्यता भर नहीं, बल्कि लाल सागर क्षेत्र में  इजरायल की सुरक्षा रणनीति से जुड़ा एक सोचा-समझा भू-राजनीतिक कदम माना जा रहा है.

प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में सोमालीलैंड के राष्ट्रपति डॉ. अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाह को बधाई दी और क्षेत्र में शांति व स्थिरता बनाए रखने के उनके प्रयासों की सराहना की. उन्होंने राष्ट्रपति को  इजरायल की आधिकारिक यात्रा का न्योता भी दिया. इसके साथ ही इजरायल ने कृषि, स्वास्थ्य, तकनीक और अर्थव्यवस्था जैसे अहम क्षेत्रों में सोमालीलैंड के साथ व्यापक सहयोग बढ़ाने की घोषणा की है.

क्या है सोमालीलैंड और क्यों है यह अहम?

सोमालीलैंड हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थित एक स्व-घोषित गणराज्य है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब भी सोमालिया का हिस्सा माना जाता है. मई 1991 में सोमाली गृहयुद्ध के बाद इस क्षेत्र ने एकतरफा रूप से स्वतंत्रता की घोषणा की थी और तब से यह व्यावहारिक रूप से (डी-फैक्टो) स्वतंत्र रूप से काम कर रहा है.

वर्ष 2020 में ताइवान ने सबसे पहले सोमालीलैंड को मान्यता दी थी. इसके बाद जनवरी 2024 में इथियोपिया ने नौसैनिक अड्डे तक पहुंच के बदले औपचारिक मान्यता की संभावनाओं को लेकर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए. ब्रिटेन, यूएई, तुर्की, डेनमार्क और केन्या जैसे देशों के सोमालीलैंड के साथ अनौपचारिक राजनयिक रिश्ते पहले से मौजूद हैं, जबकि सोमालिया लगातार इसे अपना अलग हुआ प्रांत बताते हुए अंतरराष्ट्रीय मान्यता के प्रयासों का विरोध करता रहा है.

 इजरायल के लिए सोमालीलैंड क्यों है रणनीतिक?

इजरायल की दिलचस्पी का सबसे बड़ा कारण सोमालीलैंड की भौगोलिक स्थिति है. यह क्षेत्र एडन की खाड़ी और बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य के पास स्थित है, जो वैश्विक व्यापार और ऊर्जा आपूर्ति की दृष्टि से दुनिया के सबसे संवेदनशील समुद्री मार्गों में से एक है. इसी जलमार्ग के दूसरी ओर यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोही सक्रिय हैं, जो हाल के महीनों में  इजरायल और अंतरराष्ट्रीय शिपिंग को निशाना बनाते रहे हैं. 

सोमालीलैंड की भौगोलिक स्थिति. फोटो- गूगल मैप.

इन हमलों से न केवल इजरायल की समुद्री सुरक्षा, बल्कि वैश्विक व्यापार भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में सोमालीलैंड इजरायल को लाल सागर क्षेत्र में एक स्थिर, गैर-ईरानी और भरोसेमंद रणनीतिक मंच प्रदान करता है. यहां से बंदरगाहों तक पहुंच, खुफिया सहयोग और समुद्री निगरानी को मजबूत किया जा सकता है. इसी रणनीतिक महत्व के चलते अमेरिका ने भी पास के जिबूती में अपना सैन्य अड्डा स्थापित कर रखा है.

क्षेत्रीय प्रतिक्रिया और विरोध

इजरायल के इस फैसले पर क्षेत्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. शुक्रवार को सोमालिया, मिस्र, तुर्की और जिबूती के विदेश मंत्रियों ने सोमालीलैंड को मान्यता देने के  इजरायली कदम की कड़ी निंदा की. मिस्र के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि इन देशों ने सोमालिया की एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपना पूर्ण समर्थन दोहराया है और  इजरायल की इस मान्यता को पूरी तरह खारिज किया है.

सोमालीलैंड का मैप. फोटो- एक्स

पुराने चुनाव और नई ‘चिंगारी’

गौरतलब है कि 14 नवंबर 2017 को सोमालीलैंड में पाँचवें राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे, जिनसे स्थानीय लोगों को उम्मीद थी कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता की राह मिलेगी. हालांकि वर्षों तक यह उम्मीद पूरी नहीं हो सकी. अब  इजरायल द्वारा दी गई मान्यता ने इस लंबे समय से ठहरे मुद्दे में नई ‘चिंगारी’ डाल दी है, जिससे न सिर्फ हॉर्न ऑफ अफ्रीका बल्कि लाल सागर और मध्य-पूर्व की राजनीति में भी नए समीकरण बनते दिख रहे हैं.

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