Viral Video : इस मुस्लिम शिक्षक के छलके आंसू, वीडियो देखकर आप भी रो देंगे
Viral Video : सोशल मीडिया पर एक टीचर का वीडियो वायरल है. इसमें उनकी आंखों में आंसू हैं. कई शिक्षकों के विपरीत, उन्होंने कमजोर छात्रों की अनदेखी नहीं की, बल्कि उनकी कमजोरियों को दूर करने में अतिरिक्त समय देकर उनकी मदद की. जानें उनकी आंखों से क्यों छलके आंसू?
Viral Video : एक व्यक्ति ने 43 साल पहले सबसे निःस्वार्थ पेशा शिक्षण चुना. उसने मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के छोटे से गांव गवला में शिक्षा को लेकर एक बड़ा परिवर्तन लाकर वहां के लोगों का दिल जीत लिया. यह प्रेरणादायक कहानी नूर खान की है, जो इंदौर संभाग के खरगोन जिले के निवासी हैं और एक सरकारी स्कूल शिक्षक हैं. उन्होंने कई बच्चों की जिंदगी रोशन की, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे. अब उनका रोते हुए एक वीडियो सामने आया है. पहले आप वीडियो देखें फिर आगे सारी बात पढ़ें.
In the village of Gavla, located in Khargone district of Madhya Pradesh, a deeply emotional moment unfolded.
— The Better India (@thebetterindia) September 5, 2025
Noor Khan, a government school teacher who had devoted 43 years of continuous service, was finally bidding farewell.
He began his journey as a teacher in the late… pic.twitter.com/q1wXGdlEBF
नूर खान की आंखों से क्यों छलके आंसू?
दरअसल, सोशल मीडिया पर उनके विदाई समारोह का एक भावुक वीडियो सामने आने के बाद नूर खान ने लोगों के दिलों को छू लिया. वीडियो में देखा जा सकता है कि गांववाले उनका सम्मान कर रहे हैं, उन्हें माला पहना रहे हैं. जब वह गांव का चक्कर लगाते हैं, तो लोग उनके साथ चलते हैं. इस दौरान नूर खान की आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं, जो सभी को भावुक कर देता है. इस वीडियो को The Better India ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर शेयर किया है.
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वीडियो शेयर करते हुए लिखा गया कि मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के गांव गवला में एक बेहद भावुक पल देखने को मिला. नूर खान एक सरकारी स्कूल शिक्षक, जिन्होंने 43 साल तक लगातार सेवा दी, अब विदाई ले रहे थे. उन्होंने अपनी शिक्षक यात्रा की शुरुआत 1980 के दशक के अंत में की थी. शुरुआत से ही उनका मानना था कि शिक्षा सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों के समग्र विकास के लिए जरूरी है. शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ, उन्होंने बच्चों को अनुशासन, मूल्यों और जीवन के पाठ भी सिखाए. वह दरवाजे-दरवाजे जाकर माता-पिता को मनाते कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें, कमजोर छात्रों के साथ अतिरिक्त समय बिताते, और यह सुनिश्चित करते कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे.
