Pitru Paksha 2020: पितृ पक्ष में पितरों को ऐसे करें प्रसन्न, जानिए विधि

पितृ पक्ष शुरू हो चुका है. पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने वालों को लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही 15 दिनों तक दाढ़ी-बाल बनाने से परहेज करना चाहिए. खास बात यह है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का खास महत्व होता है. हर महीने की अमावस्या की तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. पितृ पक्ष के 15 दिनों में श्राद्धकर्म, पिंडदान और तर्पण का अधिक महत्व माना गया है. 15 दिनों में पितर धरती पर किसी न किसी रूप में अपने परिजनों के बीच में रहने के लिए आते हैं. पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के कुछ खास तिथियां भी होती हैं. बिहार के गया में पितृ पक्ष पर श्राद्ध और तर्पण करने का विशेष महत्व बताया गया है. हालांकि, इस साल कोरोना संकट के बीच नदी किनारों पर जाकर पितरों को जलदान करने से परहेज करें. इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर तक है. पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करना बहुत ही अच्छा होता है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है जिन प्राणियों की मृत्यु के बाद उनका विधिनुसार तर्पण नहीं किया जाता है उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. पितृपक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है. धर्मग्रंथों के मुताबिक पितरों को तर्पण नहीं करने वाले को पितृदोष लगता है. ऐसे दोष की स्थिति में परिजनों को धन, सेहत और अन्य कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है.  

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2020 4:00 PM

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पितृ पक्ष शुरू हो चुका है. पितृपक्ष में पूर्वजों का श्राद्ध करने वालों को लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही 15 दिनों तक दाढ़ी-बाल बनाने से परहेज करना चाहिए. खास बात यह है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का खास महत्व होता है. हर महीने की अमावस्या की तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. पितृ पक्ष के 15 दिनों में श्राद्धकर्म, पिंडदान और तर्पण का अधिक महत्व माना गया है. 15 दिनों में पितर धरती पर किसी न किसी रूप में अपने परिजनों के बीच में रहने के लिए आते हैं. पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के कुछ खास तिथियां भी होती हैं. बिहार के गया में पितृ पक्ष पर श्राद्ध और तर्पण करने का विशेष महत्व बताया गया है. हालांकि, इस साल कोरोना संकट के बीच नदी किनारों पर जाकर पितरों को जलदान करने से परहेज करें. इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर तक है. पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करना बहुत ही अच्छा होता है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है जिन प्राणियों की मृत्यु के बाद उनका विधिनुसार तर्पण नहीं किया जाता है उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. पितृपक्ष में पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है. धर्मग्रंथों के मुताबिक पितरों को तर्पण नहीं करने वाले को पितृदोष लगता है. ऐसे दोष की स्थिति में परिजनों को धन, सेहत और अन्य कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है.

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