GST कट का बड़ा असर, WPI गिरकर पहुंचा माइनस में
WPI: भारत की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा मोड़ आया है, जिसने सभी की निगाहें अपनी ओर खींच ली हैं. अक्टूबर में थोक महंगाई (WPI) अचानक गिरकर माइनस में पहुंच गई है, जिसे देखकर विशेषज्ञ भी चौंक गए हैं. सब्जियों से लेकर दाल तक, रोजमर्रा की चीजें अब पहले से सस्ती हो रही हैं, लेकिन क्या यह राहत लंबे समय तक चलेगी? GST दरों में कटौती और पिछले साल की ऊंची कीमतों ने इस गिरावट का रास्ता बनाया है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस गिरती महंगाई से RBI ब्याज दरों पर कैंची चलाएगा और लोगों की जेब में थोड़ी और खुशियां लौटेंगी?
WPI: देश में महंगाई की मार से परेशान लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है. अक्टूबर महीने में थोक महंगाई दर (WPI) न सिर्फ घटी, बल्कि माइनस में पहुंच गई है. मतलब अब कई जरूरी चीजों के दाम पहले के मुकाबले कम हो रहे हैं. खासकर सब्जियां, दाल और ईंधन जैसी रोजमर्रा की जरूरत भरी चीजों के दाम कम कर दिए गए है. सरकार के ताजा आंकड़े यह संकेत दे रहे हैं कि बाजार में राहत का दौर शुरू हो सकता है, जिससे आम लोगों की जेब पर कम बोझ पड़ेगा और त्योहारी सीजन में खर्च करने का मौका भी मिलेगा.
WPI में गिरावट क्यों आई?
भारत में थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति यानी WPI अक्टूबर महीने में गिरकर –1.21 प्रतिशत हो गई है. इसका मतलब यह है कि बाजार में सामानों की कीमतें पहले के मुकाबले कम हुई हैं. सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में बताया गया कि खाद्य पदार्थों, ईंधन और कई तरह के मैन्युफैक्चर किए गए सामानों की कीमतों में कमी देखने को मिली है. इससे आम जनता को थोड़ी राहत महसूस हो सकती है.
सबसे ज्यादा कीमतें कहां घटी?
खाद्य पदार्थों की कीमतों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. खासकर दाल, सब्जियां, प्याज और आलू के दाम काफी कम हो गए हैं. सब्जियों में तो लगभग 35 प्रतिशत तक की कमी हुई है, जबकि प्याज की कीमतें 65 प्रतिशत तक नीचे आ गई हैं. दालों में भी 16 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट हुई है. ईंधन और बिजली जैसी जरूरी चीजों के दाम में भी कमी दर्ज की गई, जिससे कुल मिलाकर थोक बाजार में कीमतें नीचे आई हैं.
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GST कटौती का असर पड़ा है क्या?
सरकार ने हाल ही में कई रोजमर्रा की चीजों पर GST घटाया था. पहले 4 स्लैब थे, जिन्हें घटाकर 5 और 18 प्रतिशत वाले सिर्फ दो स्लैब तक सीमित कर दिया गया था. इससे दुकानों पर सामान के दाम कम हुए और बाजार में मंदी जैसा माहौल बना था. साथ ही पिछले साल का महंगा बेस भी इस बार की महंगाई को और कम दिखा रहा है.
ग्राहकों की जेब पर क्या असर होगा?
WPI के साथ-साथ खुदरा महंगाई यानी CPI भी अक्टूबर में कम होकर 0.25 प्रतिशत के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई है. जब दोनों तरह की महंगाई कम होती है, तो उम्मीद बढ़ जाती है कि RBI ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो आने वाले समय में EMI और लोन सस्ते हो सकते हैं, जिससे युवाओं और आम लोगों दोनों को आर्थिक राहत मिल सकती है.
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