Ganesh Ji Ki Aarti: जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति, गणेश जी के दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना

Ganesh Ji Ki Aarti lyrics in hindi: गणेश जी, विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता, हर शुभ कार्य की शुरुआत से पहले पूजनीय हैं. उनकी आरती भक्ति, श्रद्धा और आशीर्वाद का प्रतीक है. दीप जलाकर, भजन गाकर और मंत्रों के साथ आरती करने से मन शांत होता है, सकारात्मक ऊर्जा आती है और हर कार्य में सफलता मिलती है.

By Shaurya Punj | October 3, 2025 12:36 PM

Ganesh Ji Ki Aarti: गणेश जी को भगवान बुद्धि और विघ्नहर्ता कहा जाता है. वे हर शुभ कार्य और नए कार्य की शुरुआत से पहले पूजनीय हैं. गणेश जी की आरती उनके प्रति हमारी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक सुंदर तरीका है. आरती में दीप जलाकर, भजन गाकर और मंत्र बोलकर हम उनके आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. यह न केवल हमारी मन:स्थिति को शांत करता है, बल्कि घर और मन में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी लाता है. आरती का उद्देश्य भगवान गणेश से बुद्धि, शक्ति और सफलता की प्राप्ति करना है. जब हम उनके चरणों में अपनी भक्ति समर्पित करते हैं, तो हमारे जीवन की कठिनाइयां सरल हो जाती हैं और हर कार्य सफल होता है. गणेश जी की आरती छोटे बच्चों और बड़े सभी के लिए श्रद्धा और आनंद का स्रोत है. यहां पढ़ें गणेश जी की आरती

Ganesh Ji Ki Aarti: गणेश जी की आरती-1

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ति

दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ती

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

दास रामाचा वाट पाहे सदना

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति

जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को

हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को

महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी

विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी

गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय देव जय देव

जय जय जय जय जय

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे

संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

जय देव जय देव

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गणेश जी की आरती-2

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥