profilePicture

Varanasi News: जहरीली हुई काशी की हवा, सिर्फ तीन दिन में काला पड़ा कृत्रिम फेफड़ा

कृत्रिम फेफड़ों के साथ इस अभिनव प्रयोग को सबसे पहले झटका नामक संस्था ने बंगलुरु में किया था, जहां इन्हें काले होने में 18 दिन लगे थे. इसके बाद हेल्प डेल्ही ब्रीद अभियान ने इसे दिल्ली में किया, जहां इसे काला होने में 6 दिन लगे थे.

By Prabhat Khabar News Desk | April 15, 2022 9:16 PM
an image

Varanasi News: गंगा नगरी बनारस प्रदूषण की मार से बुरी तरह से जूझ रहा है. यहां की आबोहवा में स्वच्छ हवा भी सांस लेने के लिए अब शुद्ध नहीं रही. पिछले 3 दिनों से अस्सी घाट पर चल रहे क्लाइमेट एजेंडा के तहत चलाये जा रहे स्वच्छ वायु अभियान द्वारा जांच हेतु लगाए गए कृत्रिम फेफड़े का रंग तीन दिनों में ही काला पड़ गया. इससे यह साफ पता चलता है कि यहां की वायु प्रदूषित हो चुकी है. इसी संदर्भ में वाराणसी के पराड़कर भवन में क्लाइमेट एजेंडा के सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के अंतर्गत एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया

10 अप्रैल 2022 को अस्सी घाट पर क्लाइमेट एजेंडा के तहत एक कृत्रिम फेफड़े को स्थापित किया गया था, जो कि उच्च दक्षता वाले फ़िल्टर से बने होने के बावजूद भी महज तीन दिनों में प्रदूषण के कारण काला हो गया. इससे यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि वाराणसी गम्भीर रूप से प्रदूषण की मार झेल रहा है.

Also Read: Varanasi News: काशी की आबोहवा में घुला प्रदूषण, महज दो दिन कृत्रिम फेफड़ा हुआ धुंधला

इसे गम्भीरता से लेते हुए क्लाइमेट एजेंडा की एकता शेखर ने कहा कि बिलकुल सफेद फेफड़ों का 72 घंटों में काला हो जाना इस बात का प्रमाण है कि वाराणसी समेत प्रदेश के अन्य शहरों में वायु प्रदूषण अब एक अहम् सवाल बन चुका है. यह अभियान आम जनता से लेकर जन प्रतिनिधियों के बीच जागरूकता पैदा करने की दृष्टि से चलाया जा रहा है. अभियान के अगले चरण में हमारी टीम अब मुख्य धारा के सभी राजनीतिक दलों का प्रदूषण के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण का प्रयास करेगी. अभियान दल सभी दलों के कार्यालय में जाकर उन्हें ज्ञापन सौंपेगा और उनसे प्रदूषण के स्थाई हल के लिए प्रेरित करेगा.

Varanasi news: जहरीली हुई काशी की हवा, सिर्फ तीन दिन में काला पड़ा कृत्रिम फेफड़ा 3
Also Read: शिव की नगरी काशी पहुंचे उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू, कलाकारों ने लोक नृत्य से किया स्वागत, देखें तसवीरें

वाराणसी ने इस जागरूकता अभियान को खुल कर समर्थन दिया है. ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों ही स्तरों पर चलाये जा रहे हस्ताक्षर अभियान में पिछले केवल 5 दिनों में कुल 4 हज़ार से ज्यादा समर्थन ऑनलाइन एवं 20 हजार से अधिक समर्थन ऑफलाइन हासिल हुआ है. इस समर्थन प्रक्रिया को हम अभी अनवरत जारी रखेंगे. हमारा लक्ष्य यह है कि कुल 50 हजार समर्थन के साथ प्रदेश एवं भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को एक मांग पत्र सौंपा जाए, जिसमें राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्ययोजना के कठोर, समयबद्ध अनुपालन की मांग प्राथमिक तौर पर शामिल रहेंगी. यह अभियान मुख्य रूप से शहर के युवाओं के नेतृत्व में चल रहा है. हस्ताक्षर अभियान, नुक्कड़ नाटक, गीत संध्या, आदि के माध्यम से निरंतर शहर के हर तबके के लोगों को इस अभियान से जोड़ने की कवायद इन युवाओं की अगुवाई में ही चल रही है.

कृत्रिम फेफड़ों के साथ इस अभिनव प्रयोग को सबसे पहले झटका नामक संस्था ने बंगलुरु में किया था, जहां इन्हें काले होने में 18 दिन लगे थे. इसके बाद हेल्प डेल्ही ब्रीद अभियान ने इसे दिल्ली में किया, जहां इसे काला होने में 6 दिन लगे थे. आने वाले समय में 100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान से जुड़े सहयोगी संगठन व संस्थाएं इसे उत्तर भारत के अन्य शहरों में भी आयोजित करेंगे.

रिपोर्ट – विपिन सिंह

Next Article

Exit mobile version