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मुजफ्फरपुर में फंस रहा लोगों का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, जानिये कहां है गड़बड़ी

कई बार लोग जेब में बिना कैश लिये दुकान पर सामान लेने चले जाते हैं. इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, गुगल पे, फोन पे, पेटीएम आदि से भी सही से काम नहीं कर रहा है.

मुजफ्फरपुर. पिछले करीब एक सप्ताह से उपभोक्ताओं को ऑनलाइन बैंकिंग ट्रांजेक्शन में काफी परेशानी हो रही है. इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, गुगल पे, फोन पे, पेटीएम आदि से भी सही से काम नहीं कर रहा है. कई बार लोग जेब में बिना कैश लिये दुकान पर सामान लेने चले जाते हैं.

सामान लेते और जब पेमेंट करते हैं, उनका ई-पेमेंट सर्विस काम नहीं कर रहा होता है. ऐसे में उन्हें दुकान में सामान वापस करना पड़ता है या नहीं तो एटीएम दौड़कर जाना पड़ता है. दुकान के आसपास एटीएम नहीं होती, तो उन्हें काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती, किसी से कर्ज लेकर दुकानदार को पैसा देकर सामान ले जाते हैं.

दोस्त ने आकर किया पेमेंट

मुजफ्फरपुर जीरोमाइल के रवि कुमार दवा लेने सरैयागंज टावर पर आये. उन्होंने 1680 रुपये की दवा ली. लेकिन, ना तो फोन पे और ना ही गुगल पे से पेमेंट हो पाया. फिर उन्होंने अपने दोस्त को फोन किया. इसके बाद दोस्त ने वहां पहुंचकर पेमेंट किया. मिठनपुरा के राजीव ने अपने एलआइसी के प्रीमियम का भुगतान किया. लेकिन, उनका पेमेंट नहीं हुआ और पैसा चार दिनों से फंसा हुआ है. अभी स्टूडेंट ऑनलाइन परीक्षा शुल्क, रजिस्ट्रेशन शुल्क का ऑनलाइन भुगतान कर रहे हैं, वह भी फंस जा रहे हैं.

सेंट्रल सर्वर से ही गड़बड़ी

साइबर कैफे संचालक शैलेंद्र ने बताया कि ऑनलाइन पेमेंट पिछले करीब एक सप्ताह से फंस रहा है. इनका करीब 30 हजार से अधिक पैसा फंसा हुआ है. अब जो अभ्यर्थी आते हैं, वे अपने एकाउंट के बजाये उन्हें खुद से ऑनलाइन पेमेंट को कहते हैं, तो किसी का सक्सेस, तो किसी फंस जाता है. बैंक अधिकारियों की माने तो सेंट्रल लेवल पर सर्वर मेंटेनेंस को लेकर यह स्थिति बनी है, अब स्थिति सामान्य हो रही है. कोरोना के कारण ऑनलाइन ट्रांजेक्शन का दबाव बढ़ा है. सर्वर को अपग्रेड किया जा रहा है.

बिहार स्टेट सेंट्रल बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के महामंत्री मृत्युंजय मिश्रा कहते हैं कि डिजिटल बैंकिंग को जिस तरह बढ़ावा दिया जा रहा है, उसी तरह से उसकी तैयारी नहीं की गयी है. सभी नेट चलाने वाली कंपनी प्राइवेट है. इसका खामियाजा बैंकिंग उपभोक्ता को भुगतना पड़ रहा है. लगभग हर महीने सर्वर का मेंटेनेंस तो बैंकिंग मोबाइल एप का मेंटेनेंस होता है. इसीलिए बैंकर निजीकरण का विरोध कर रहे हैं.

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