इंडियन स्मॉल टी ग्रोवर्स एसोसिएशन की ओर से आयोजन

सिलीगुड़ी : भारतीय टी बोर्ड ने छोटे व मझोले चाय बागान प्रबंधनों को चाय की गुणवत्ता बनाये रखने का निर्देश दिया है. रविवार सिलीगुड़ी के मल्लागुड़ी स्थित एक होटल में कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल टी ग्रोवर्स एसोसिएशन (सीआईएसटीए) की ओर से एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में राज्य के साथ देश के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 18, 2019 2:43 AM
सिलीगुड़ी : भारतीय टी बोर्ड ने छोटे व मझोले चाय बागान प्रबंधनों को चाय की गुणवत्ता बनाये रखने का निर्देश दिया है. रविवार सिलीगुड़ी के मल्लागुड़ी स्थित एक होटल में कॉनफेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल टी ग्रोवर्स एसोसिएशन (सीआईएसटीए) की ओर से एक सेमिनार का आयोजन किया गया.
इस सेमिनार में राज्य के साथ देश के विभिन्न हिस्सों से छोटे व मझोले चाय बागान मालिक और जैविक खाद व कीटनाशक उत्पादक प्रतिष्ठान के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे. व्यापार में आशातीत सफलता हासिल करनेवाले चाय बागान मालिकों ने अपना अनुभव साझा किया.
सेमिनार में चाय उत्पादन में गुणवत्ता बनाये रखने पर टी बोर्ड ने विशेष जोर दिया. कहा गया कि बड़े-बड़े चाय बागानों में काफी समस्याएं है, जिसकी वजह से वह व्यापार में आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं. वहीं छोटे व मझोले चाय बागान ने बाजार के 60 प्रतिशत भाग पर अधिकार जमा लिया है.
उत्तर बंगाल के तराई व डुआर्स की चाय की मांग बाजार में सबसे अधिक है. दूर बैठे उपभोक्ता उत्पादन प्रक्रिया को अपनी आंखों से नहीं देख पाते हैं. इसलिए कीटनाशक आदि के इस्तेमाल में सावधानी बरतना आवश्यक है.
सीआइएसटीए के अध्यक्ष विजय गोपाल चक्रवर्ती ने बताया कि छोटे चाय बागान के लिए बड़े कारखानों की जरूरत नहीं है. राज्य में छोटे व मझोले चाय बागानों के लिए पांच कारखाने हैं.
लेकिन 20 हजार की मशीन लगाकर घर में भी चाय का उत्पादन किया जा सकता है. छोटे चाय बागानों में श्रमिकों की समस्या भी नहीं है. छोटे बागानों से उत्पादित चाय की मांग बाजार में काफी अधिक है.
इसलिए चाय की गुणवत्ता को बनाये रखने से काफी लाभ मिलेगा. वहीं मकईबाड़ी चाय के राजा बनर्जी ने अपना 30 वर्ष का अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि जैविक खाद व कीटनाशक के कम व्यवहार से चाय की गणवत्ता बढ़ेगी. हमे इस ओर आगे बढ़ना चाहिए.

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