मतदाता सूची से नाम हटाये जाने पर राज्य के अधिकारी चिंतित

राज्य सरकार के अधिकारियों के एक संगठन ने यहां जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची के मसौदे में बड़े पैमाने पर नाम हटाये जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी है. संगठन का आरोप है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) की वैधानिक भूमिका को दरकिनार कर स्वत: प्रणाली-चालित तरीके से नाम हटाये जा रहे हैं.

By BIJAY KUMAR | December 27, 2025 10:51 PM

कोलकाता.

राज्य सरकार के अधिकारियों के एक संगठन ने यहां जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची के मसौदे में बड़े पैमाने पर नाम हटाये जाने पर कड़ी आपत्ति जतायी है. संगठन का आरोप है कि निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) की वैधानिक भूमिका को दरकिनार कर स्वत: प्रणाली-चालित तरीके से नाम हटाये जा रहे हैं. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गये ज्ञापन में डब्ल्यूबीसीएस (एग्जीक्यूटिव) ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि मसौदा प्रकाशन की तारीख पर बड़ी संख्या में ऐसे मतदाताओं के नाम हटा दिये गये, जिनके गणना फॉर्म (ईएफ) मृत्यु, प्रवास या अनुपस्थिति जैसे आधारों पर वापस नहीं आये थे.

निर्वाचन आयोग ने एसआइआर के बाद 16 दिसंबर को राज्य की मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया था, जिसमें मृत्यु, प्रवास और फॉर्म जमा न करने जैसे कारणों से 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाये गये हैं. एसोसिएशन ने कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 22 के तहत किसी भी मतदाता का नाम हटाने से पहले संबंधित ईआरओ द्वारा उस व्यक्ति को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाना अनिवार्य है.

संगठन ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम एक साथ हटाना उन नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है, जो पात्र हो सकते हैं. लेकिन किसी कारणवश गणना प्रक्रिया के दौरान उपस्थित नहीं रह सके. उन्होंने कहा कि अनिवार्य वैधानिक प्रावधानों को दरकिनार कर मतदाता सूची से इतने बड़े पैमाने पर नाम हटाये जाने से यह आशंका पैदा होती है कि इस कार्रवाई के लिए ईआरओ को ही जवाबदेह ठहराया जायेगा, जबकि उन्हें अर्द्ध न्यायिक सुनवाई के माध्यम से अपनी वैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने का अवसर ही नहीं दिया गया.

संगठन के अनुसार, इस कार्रवाई से प्रभावित लोग ईआरओ को ही जिम्मेदार मानेंगे, जबकि उन्हें पूरी प्रक्रिया से बाहर रखा गया है. एसोसिएशन ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल से सुधारात्मक कदम उठाने और स्पष्ट निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है.

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