सिविल प्रक्रिया संहिता में दावाें को संशोधित करने का है प्रावधान

सिविल मुकदमेबाजी में, वादी का याचिका पत्र और प्रतिवादी का लिखित बयान मुकदमे की नींव रखते हैं. लेकिन अगर किसी पक्ष को अपना मामला बदलने की आवश्यकता पड़े, तो क्या होगा?

By BIJAY KUMAR | December 27, 2025 10:57 PM

कोलकाता.

सिविल मुकदमेबाजी में, वादी का याचिका पत्र और प्रतिवादी का लिखित बयान मुकदमे की नींव रखते हैं. लेकिन अगर किसी पक्ष को अपना मामला बदलने की आवश्यकता पड़े, तो क्या होगा? सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) का ऑर्डर छह नियम 17 प्लीडिंग्स में संशोधन को नियंत्रित करता है, और इसके अनुप्रयोग को भारत के सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों ने एक नया रूप दिया है. इस संबंध में कलकत्ता हाइकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवब्रत उपाध्याय ने प्रभात खबर के ऑनलाइन सवालों का जवाब देते हुए बताया कि मुकदमे की सुनवाई शुरू होने से पहले अदालतों को संशोधनों के प्रति उदार रवैया अपनाना चाहिए. इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि पक्षों के बीच वास्तविक विवाद के मुद्दों का समाधान किया जाये, ताकि तकनीकी त्रुटि के कारण अन्याय न होने पाये. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा है कि संशोधन की अनुमति तब नहीं दी जानी चाहिए, जब इससे दूसरे पक्ष को अपूरणीय क्षति हो या यह दुर्भावनापूर्ण ढंग से किया गया हो. इसके अलावा, अदालत ने वादियों और प्रतिवादियों के बीच एक अंतर किया है. एक वादी पूरी तरह से नया कारण बताये बिना संशोधन का उपयोग नहीं कर सकता. सवाल : मेरे नाम पर जमीन है. मेरे चार बेटे हैं. लेकिन बड़ा बेटा दुर्व्यवहार करता है. इस कारण मैं उसे संपत्ति से बेदखल करना चाहता हूं. क्या करना होगा?

-रमाकांत सिंह, बैरकपुर

जवाब : आप सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत इसकी शिकायत एसडीओ से कर सकते हैं और कानून के अनुसार पुत्र को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं.

सवाल : बेटी ने अपनी मर्जी से कोर्ट मैरिज कर ली है. वह बालिग है. इस कारण समाज में प्रतिष्ठा खराब हो रही है. मैं बेटी से रिश्ता खत्म करना चाहता हूं, क्या करना होगा?

-राजू कुमार यादव, हावड़ा

जवाब : कोर्ट से डिक्लेरेशन बनाने के बाद उसे अखबार में छपवाना होगा और इसके जरिये आप बेटी के साथ तमाम रिश्तों को समाप्त करने की घोषणा कर सकते हैं.

सवाल : मैंने खुद की अर्जित कमाई से खरीदी गयी जमीन पर घर बनवाया है. जिसमें मेरा बेटा और बहू भी रहते हैं. लेकिन वे देखभाल नहीं करते हैं. इसे लेकर मैंने एसडीओ से शिकायत की थी, जिसके बाद बेटा ने घर खाली कर किराये के मकान में रह रहा है. लेकिन बहू उसी घर में रहकर हमलोगों के खिलाफ झूठा केस कर रही है. मुझे घर खाली कराना है, क्या करूं?

-अनिरुद्ध साव, खिदिरपुर

जवाब : आप अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजें, उसके बाद एसडीओ के पास केस दर्ज करा सकते हैं.

सवाल : मैंने एजेंट के माध्यम से एक एजेंसी में पांच लाख रुपये इनवेस्ट किया था. एजेंट ने अधिक मुनाफा देने की बात बतायी थी. एक साल में पैसा वापसी का एग्रीमेंट भी किया था. लेकिन अब रुपये वापस करने में टाल-मटोल कर रहा है. क्या करना होगा?

साहिल विश्वकर्मा (कांचरापाड़ा)

जवाब : एग्रीमेंट के आधार पर रुपये वापसी के लिए एजेंट व कंपनी को लीगल नोटिस भेजें.

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